बढ़ रही ग्लैशियर झीलें, उत्तराखंड के हिमालय में क्यों हो रहा यह बदलाव,कारण जानिए
वाडिया के भू-वैज्ञानिक डॉ. राकेश भांबरी ने बताया कि ग्लेशियर झीलें तो बढ़ी रही हैं, यह भी पाया गया कि पहले जहां झीलें थीं, वह अब नहीं हैं। ऐसा भी दिखा है कि हिमालय क्षेत्र में आसपास की छोटी-छोटी झीलों ने मिलकर बड़ा रूप ले लिया है।

उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर झीलों की संख्या बढ़ रही है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के अध्ययन में राज्य में ग्लेशियर झीलों की संख्या 1290 रिकॉर्ड की गई हैं। ग्लेशियर झीलों का दायरा भी 8.1 फीसदी बढ़ा है। इससे पहले साल 2015 के शोध के दौरान हिमालय क्षेत्र में 1266 ग्लेशियर झीलें पाई गई थीं। भू-वैज्ञानिक झीलों की संख्या बढ़ने की वजह जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को मान रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग है वजह
वाडिया के भू-वैज्ञानिक डॉ. राकेश भांबरी ने बताया कि ग्लेशियर झीलें तो बढ़ी रही हैं, यह भी पाया गया कि पहले जहां झीलें थीं, वह अब नहीं हैं। ऐसा भी दिखा है कि हिमालय क्षेत्र में आसपास की छोटी-छोटी झीलों ने मिलकर बड़ा रूप ले लिया है। वह इसके पीछे की वजह जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को मान रहे हैं। 4 से 5 हजार मीटर तक बर्फबारी की जगह अब असामान्य रूप से बारिश हो रही है। ऐसे में झीलें सामान्य से अधिक तेजी से भर रही हैं।
13 झीलें निचले क्षेत्र की आबादी के लिए खतरनाक
चौराबाड़ी और रेणी तपोवन हादसे के बाद सरकार ने उच्च हिमालय क्षेत्रों में खतरनाक ग्लेशियर झीलों की पहचान की है। 13 ऐसी ग्लेशियर झीलों को पहचाना गया है तो निचली क्षेत्र की आबादी के लिए खतरनाक हो सकती हैं। ऐसी झीलों का ट्रीटमेंट के लिए विशेषज्ञों की टीम तैनात की गई है। इसमें चमोली में वसुंधरा, उत्तरकाशी में केदारताल, बागेश्वर में नागकुंड, पिथौरागढ़ में 6 झीलें और टिहरी में 1 झील शामिल है।
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