योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की तैयारी, बंद कमरे में केशव-ब्रजेश से महामंत्री तावड़े की चर्चा
यूपी में अब योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की तैयारी हो रही है। संगठन के चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने शुक्रवार को इस बारे में डिप्टी सीएम केशव, ब्रजेश समेत अन्य नेताओं के साथ चर्चा की।

यूपी में भाजपा के संगठन चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार भी होना है। कुछ नये चेहरे टीम योगी का हिस्सा बनेंगे, वहीं कुछ खराब परफॉर्मेंस वालों को बाहर भी किया जा सकता है। इसके अलावा सामाजिक सामंजस्य पर भी फोकस रहेगा। यह संकेत भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने गुरुवार को लखनऊ प्रवास के दौरान दिए। उन्होंने भाजपा मुख्यालय के बंद कमरे में दोनों उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक के अलावा वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही सहित कई अन्य लोगों से बात की। शनिवार को तावड़े के मुख्यमंत्री से भी मिलने की संभावना है। लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। चुनाव के बाद पार्टी में संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई। माना जा रहा है कि अब जल्द मंत्रिमंडल के मौजूदा स्वरूप में फेरबदल हो सकता है।
दरअसल, टीम योगी का हिस्सा रहे जितिन प्रसाद और अनूप प्रधान के सांसद बनने से दो मंत्री पद रिक्त चल रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तावड़े ने पार्टी के चुनिंदा वरिष्ठ नेताओं संग वार्ता में इन चर्चाओं को पंख लगा दिए। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी इन नेताओं से चर्चा और रायशुमारी की। यह जानने की कोशिश की कि किन और जातियों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है या संख्या बल के हिसाब से किनका प्रतिनिधित्व कम है।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी टटोली थी नब्ज
इससे पहले तावड़े ने नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी रायशुमारी की थी। तब वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक के घर भी गए थे जबकि स्वतंत्रदेव सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं से उन्होंने पार्टी कार्यालय पर चर्चा की थी। हालांकि भाजपा में ऐसे तमाम बड़े फैसले दिल्ली दरबार से ही होते रहे हैं। मगर इस बार इसे लेकर पार्टी नेताओं से भी चर्चा की जा रही है। जानकारों का कहना है कि आरएसएस भी इसे लेकर लगातार दबाव बनाता रहा है कि भाजपा में फैसले लोकतांत्रिक तरीके से ही होने चाहिए।