राहुल गांधी को भड़काऊ बयान पर वाराणसी कोर्ट की नोटिस, यूपी सरकार को भी पक्ष रखने को कहा
- राहुल गांधी को भड़काऊ बयान पर वाराणसी कोर्ट में निगरानी अर्जी दाखिल की गई है। अर्जी स्वीकर कर ली गई है। वाराणसी की कोर्ट ने अर्जी स्वीकार करते हुए पक्ष रखने के लिए यूपी सरकार और राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है।
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अमेरिका में भड़काऊ बयान देने के मामले में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ गुरुवार को वाराणसी जिला जज संजीव पांडेय की अदालत में निगरानी अर्जी दाखिल की गई है। अदालत ने अर्जी स्वीकार करते हुए पक्ष रखने के लिए यूपी सरकार और राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी की तिथि नियत की है।
गत वर्ष 28 नवंबर को वादी तिलमापुर के पूर्व प्रधान नागेश्वर मिश्र ने एसीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि ह्यभारत में सिखों में असुरक्षा का माहौल है। उन्हें पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार नहीं है। न ही गुरुद्वारों में जाने की अनुमति है।ह्ण राहुल के इस बयान का एक ओर खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने समर्थन किया है। वहीं बयान से आंतकवादी गतिविधियों के बढ़ावा मिलने की आशंका है। बयान से ऐसा लगता है कि उनका मिशन है कि भारत में गृहयुद्ध भड़काया जाए। इसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य भी थे। अदालत ने सुनवाई के बाद अर्जी को बलहीन मानते हुए खारिज कर दी थी।
अमेरिका में भड़काऊ बयान देने के मामले में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ गुरुवार को वाराणसी जिला जज संजीव पांडेय की अदालत में निगरानी अर्जी दाखिल की गई है। अदालत ने अर्जी स्वीकार करते हुए पक्ष रखने के लिए यूपी सरकार और राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी की तिथि नियत की है।
गत वर्ष 28 नवंबर को वादी तिलमापुर के पूर्व प्रधान नागेश्वर मिश्र ने एसीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि ह्यभारत में सिखों में असुरक्षा का माहौल है। उन्हें पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार नहीं है। न ही गुरुद्वारों में जाने की अनुमति है।ह्ण राहुल के इस बयान का एक ओर खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने समर्थन किया है। वहीं बयान से आंतकवादी गतिविधियों के बढ़ावा मिलने की आशंका है। बयान से ऐसा लगता है कि उनका मिशन है कि भारत में गृहयुद्ध भड़काया जाए। इसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य भी थे। अदालत ने सुनवाई के बाद अर्जी को बलहीन मानते हुए खारिज कर दी थी।
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वादी ने आदेश खिलाफ अधिवक्ता अलख नारायण राय के माध्यम से जिला जज की कोर्ट में निगरानी अर्जी दाखिल की है। कहा है कि निचली अदालत ने सरसरी तरीके से सुनवाई के बाद अर्जी खारिज कर दी है। विधि के अनुसार आदेश नहीं दिया गया। इस मामले में दस्तावेजी साक्ष्य भी हैं। साथ ही राहुल गांधी और यूपी सरकार को भी अदालत के समक्ष अपना-अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया गया है।" राय ने अदालत से पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करने का आग्रह किया। अदालत ने 25 फरवरी को सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार कर ली।