मंत्री की गवाही पर सिपाही को 5 साल की कैद, जानें पूरा मामला
- झांसी की 33वीं वाहिनी में तैनात सिपाही राजेश कुमार उपाध्याय के खिलाफ एक शिकायत हुई थी। इसमें आरोप लगा था कि उसने फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी पाई है। मामले की जानकारी होने पर तब पीएसी के सेना नायक रहे आईपीएस असीम अरुण ने इसे बड़ी गंभीरता से लिया।
उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण की गवाही पर 26 साल पुराने मामले में पीएसी के सिपाही को पांच साल की सजा सुनाई गई है। उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे 1999 में पीएसी की 33वीं वाहिनी में नौकरी पा ली थी। तत्कालीन सेना नायक आईपीएस असीम अरुण ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
दरअसल, झांसी की 33वीं वाहिनी में तैनात सिपाही राजेश कुमार उपाध्याय के खिलाफ एक शिकायत हुई थी। इसमें आरोप लगा था कि उसने फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी पाई है। इस मामले की जानकारी होने पर तब पीएसी के सेना नायक रहे आईपीएस असीम अरुण ने इसे बड़ी गंभीरता से लिया। उन्होंने सिपाही राजेश के प्रपत्रों की गहनता से जांच के आदेश दिए। इस आदेश पर सिपाही के प्रपत्रों की जांच हुई तो मामला खुल गया।
सिपाही के प्रपत्र फर्जी पाए गए। इस पर राजेश उपाध्याय के खिलाफ झांसी में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। मामले की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। अदालती कार्यवाही 26 साल तक चली। इतनी लंबी अदालती कार्यवाही के बाद अंतत: सिपाही का दोष साबित हुआ और अब अदालत ने सिपाही को 5 साल की सजा सुनाई है।
मंत्री असीम अरुण ने ही कराया था केस
सिपाही के खिलाफ किसी ने शिकायत की थी। यह शिकायत सामने आने के बाद पीएसी के तत्कालीन सेना नायक असीम अरुण ने केस दर्ज कराया था। इसमें असीम अरुण भी गवाह थे। उनकी गवाही पर ही राजेश को पांच साल की सजा हुई।
तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी रहे हैं असीम अरुण
वर्तमान में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी रहे हैं। 2022 में उन्होंने आईपीएस की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कन्नौज सदर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह सीट लंबे समय से समाजवादी पार्टी का गढ़ बनी रही थी।