पिता को खाना देकर लौट रहे 7 साल के मासूम पर कुत्तों का हमला, नोचकर मार डाला
- लखीमपुर के नीमगांव क्षेत्र में रविवार दोपहर को खेत से अकेले वापस घर लौट रहे सात साल के बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड ने नोचकर मार डाला। कुत्तों ने बच्चे के गले पर हमला किया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बच्चे का शव खेत से 300 मीटर दूर बरामद हुआ।

लखीमपुर के नीमगांव क्षेत्र में रविवार दोपहर को खेत से अकेले वापस घर लौट रहे सात साल के बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड ने नोचकर मार डाला। कुत्तों ने बच्चे के गले पर हमला किया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बच्चे का शव खेत से 300 मीटर दूर बरामद हुआ। नीमगांव थाना क्षेत्र के बेलहरी गांव के रहने वाले अचल शुक्ला का सात वर्षीय पुत्र सूर्यांश रविवार सुबह अपने पिता के साथ खेत पर गया हुआ था। कुछ देर बाद रविवार दोपहर को सूर्यांश घर जाने के लिए पिता को बताए बिना ही चल पड़ा। इसके बाद वह काफी देर तक घर नहीं पहुंचा।
इसी दौरान गांव के कुछ लोगों ने अचल को सूचना दी कि खेत से कुछ दूर सूर्यांश गिरा पड़ा है और उसके पास ही कुत्तों का झुंड मौजूद है। बच्चे का पिता तत्काल मौके पर पहुंचा तो देखा कि सूर्याश का खून से लथपथ शव पड़ा था और उसके गले पर गहरा जख्म था। पास ही आवारा कुत्ते शव को घेरे हुए बैठे थे। कुत्तों के हमले में बच्चे की मौत की खबर से परिवार में मातम है और घटना से ग्रामीण दहशत में हैं। घटना की जानकारी नीमगांव पुलिस को भी दी गई है।
शहर से गांव तक खूंखार हो रहे कुत्ते, जिम्मेदार लापरवाह
नीमगांव के बेलहरी गांव में आवारा कुत्तों के हमले से बालक की मौत के मामले में जिम्मेदारों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक कुत्ते खूंखार हो रहे हैं। इसके बाद भी नगर पालिका से लेकर ग्राम पंचायत तक इस दिशा में कोई काम नहीं हो रहा। बेलहरी गांव का सात साल का सूर्याश आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ता था। वह रविवार को घर पर ही था। परिजनो के मुताबिक सूर्यांश अपने पिता अचल के साथ खेत पर गया था। पिता का कहना है कि कुछ देर बाद वह घर वापस आने को कहने लगा।
तेज धूप होने के कारण पिता ने मना किया और कहा कि अभी थोड़ी देर में साथ चलेंगे। यह कह कर वह खेती के काम में लग गए। कुछ देर बाद देखा तो सूर्यास वहां नहीं था। इसके बाद कुत्तों के हमले की सूचना मिली। जिसमें उसकी मौत हो गई। आवारा कुत्ते हर रोज 50 लोगों को काट रहे है, लेकिन जान लेने का मामला यह पहला है। करीब आठ साल पहले इसी इलाके में कुत्तों के हमले से बालक की मौत हो गई थी। जिले में कुत्तों का आक्रामक व्यवहार लोगों के लिए बड़ी परेशानी बनता जा रहा है। खासकर शहर की सड़कों पर घूमते आवारा कुत्ते राहगीरों, बच्चों और बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं। वहीं पालतू कुत्तों की हिंसक प्रवृत्ति भी चिंता का विषय बन गई है।
बीते महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं। जहां आवारा और घर में पाले गए कुत्ते लोगों पर हमला कर बैठे। पशु विशेषज्ञों की मानें तो इस आक्रामकता के पीछे मौसम में बदलाव और भोजन की कमी जैसी वजहें हो सकती हैं। शहर सहित पूरे जिले में कुत्तों के काटने की घटनाएं हाल ही में बढ़ती जा रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दिनेश कुमार सचान बताते हैं कि आवारा कुत्तों के हिंसक होने का एक बड़ा कारण भोजन की कमी भी है।
पहले ये कुत्ते होटल, ढाबों और बाजारों से खाने के टुकड़े जुटा लेते थे। लेकिन अब कचरे के सही निस्तारण और खाने के स्रोत हिंसक हो रहे हैं। सिर्फ आवारा ही नहीं पालतू कुत्तों की आक्रामकता भी बढ़ रही है। लखीमपुर नगर पालिका सहित जिले की किसी भी नगर पालिका में एक भी पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। जबकि नियम के अनुसार हर पालतू कुत्ते का पंजीकरण अनिवार्य है।