बृजेश पाठक की टिप्पणी पर विधानसभा में सपा का भारी हंगामा, स्पीकर ने कार्यवाही से हटाई बात
- यूपी विधानसभा में सोमवार को कार्यवाही होते ही हंगामा शुरू हो गया। प्रश्नपहर में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की टिप्पणी पर सपा सदस्यों ने भारी हंगामा किया। हालांकि बाद में स्पीकर ने टिप्पणी को कार्यवाही से हटा दिया।
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उत्तर प्रदेश विधानमंडल का बजट सत्र 2025 चल रहा है। सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू हुई। प्रश्नप्रहर में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने टिप्पणी पर सदन में भारी हंगामा शुरू हो गया। विधानसभा में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की टिप्पणी पर सपा सदस्यों ने वेल में आकर धरना दिया। सपा सदस्य नारेबाजी करने लगे। सपा सदस्यों ने स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सपा सदस्यों को बार-बार चेतावनी देते रहे पर सपाईयों का हंगामा जारी रहा। हालांकि बाद में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की टिप्पणी को स्पीकर सतीश महाना ने कार्यवाही से हटा दिया। हंगामा बढ़ने पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधायी कार्य निपटाए और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना के अनुरोध पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही स्वास्थ्य मंत्री डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सपा सदस्यों के सवालों का जवाब देना शुरू किया। सोमवार को सपा के इंजीनियर सचिन यादव, डा. रागिनी, डा. आरके पटेल व समर पाल सिंह आदि ने स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्न लगाए थे। ब्रजेश पाठक ने एक-एक कर सभी सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि आशा वर्करों को मौजूदा वक्त में कम से कम 6000 रुपये और अधिकतम 11000 रुपये मानदेय दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को आशा वर्करों का मानदेय 3000 रुपये करने के लिए पत्र भेजा है।
ब्रजेश पाठक ने सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा वर्ष 2014 में खुद इनकी सरकार ने शासनादेश जारी कर कहा था कि आशा वर्करों को कोई नियत वेतन नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों और हर संभव स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। केवल आशा वर्कर ही नहीं सरकार सभी कर्मचारियों को हितों के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सप सरकार ने तो आशा वर्करों की अध्यक्ष पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुकदमा लिखवा दिया था। मैंने खुद मुकदमा वापस लिया है।
सपा के अमरोहा से विधायक समर पाल सिंह ने मुरादाबाद के निजी अस्पताल ब्राइट स्टार हास्पिटल में मरीजों से ज्यादती करने की बात कही। उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल ने दिलशाद पुत्र नौशे की मृत्यु पर उसकी लाश नहीं दी। बाद में जब उन्होंने हंगामा किया तो किसी तरह शव दिया गया लेकिन पहले 25 हजार रुपये जमा करवाए फिर 50 हजार रुपये और मांगे।