अयोध्या की मिल्कीपुर में थमा प्रचार का शोर, लड़ाई में सपा-भाजपा, नजरें रहेंगी बसपा के वोटरों पर
अयोध्या के मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सोमवार की शाम प्रचार का शोर थम गया। मिल्कीपुर में लड़ाई भले ही भाजपा और सपा के बीच है लेकिन नजरें बसपा के वोटों पर हैं। बसपा ने चुनाव से दूरी बनाई हुई है।

अयोध्या के मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सोमवार की शाम प्रचार का शोर थम गया। मिल्कीपुर में लड़ाई भले ही भाजपा और सपा के बीच है लेकिन नजरें बसपा के वोटों पर हैं। बसपा ने चुनाव से दूरी बनाई हुई है। आजाद पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने सपा के बागी को टिकट देकर यहां का चुनाव रोचक बना दिया है। दलित बहुल्य सीट पर असली लड़ाई यही दिखाने की है कि दलित वोटर किसके साथ हैं। भाजपा, सपा और चंद्रशेखर की आसपा तीनों के प्रत्याशी एक ही समाज पासी से आते हैं। एक तरफ बसपा का वोट चंद्रशेखर कितना ले पाते हैं यह तय होगा। दूसरी तरफ सपा सांसद अवधेश प्रसाद की इस समाज पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में सांसद बनने के बाद अपने समाज पर उनकी कितनी पकड़ है, यह भी उपचुनाव तय करेगा।
अंतिम समय तक भाजपा और सपा ने यहां पूरी ताकत झोंकी। भाजपा किसी भी तरह मिल्कीपुर जीतकर लोकसभा चुनाव में अयोध्या की हार का हिसाब बराबर करना चाहती है। पार्टी ने सपा से यह सीट छीनने को सरकार और संगठन दोनों मोर्चों पर आखिर तक एड़ी-चोटी का जोर लगाया। मिशन मिल्कीपुर की कमान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाल रखी थी। प्रयाग महाकुंभ के साथ योगी मिल्कीपुर के मोर्चे पर भी डटे रहे। उधर, सपा की तरफ से अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रचार के अंतिम दिन यहां पहुंचे। अखिलेश से पहले उनकी पत्नी डिंपल यादव ने रोडशो कर ताकत का एहसास कराया था।
यूपी की आठ सीटों के साथ मिल्कीपुर का उपचुनाव भले न हुआ हो लेकिन भाजपा ने यहां तैयारियां बंद नहीं कीं। मिल्कीपुर के मैदान में पार्टी ने आधा दर्जन भारी-भरकम मंत्रियों की फौज उतार रखी थी। बीते एक पखवारे से अधिक समय से यह मंत्री वहीं मोर्चा संभाले हैं। इनमें सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह, जेपीएस राठौर, दयाशंकर मिश्र दयालु, सतीश शर्मा शामिल हैं। शाही-स्वतंत्रदेव के चुनावी अनुभव और जेपीएस राठौर की मोर्चेबंदी का लाभ पार्टी इस उपचुनाव में उठाना चाहती है। कटेहरी सीट सहित आठ में से सात सीटों पर उपचुनाव में मिली जीत से भी भाजपा उत्साहित है।
योगी ने बोले तीखे हमले
उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार मिल्कीपुर पर निगाहें जमाए हुए हैं। चुनावी घोषणा से पहले और बाद में मुख्यमंत्री ने वहां कई सभाएं और कार्यक्रम किए हैं। इन सभाओं में योगी ने सीधे तौर पर सपा मुखिया को घेरने के साथ ही विरोधियों पर सनातन विरोधी होने के आरोप जड़े। सपा पर लगातार तीखे हमले बोले। योगी ने इस दांव से सपा को एक विशेष दायरे में समेटने का प्रयास किया है। वहीं पासी बिरादरी का नया चेहरा उतारकर पार्टी ने इसी जाति से आने वाले अजीत प्रसाद को घेरने की पूरी कोशिश की है।
संगठन मंत्री ने किया सामाजिक समीकरण पर फोकस
वहीं संगठन का मोर्चा भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने संभाला। मिल्कीपुर को लेकर उन्होंने कई दौर में बैठकें कीं। उन्होंने मंडल, शक्ति केंद्र, बूथ और पन्ना प्रमुखों तक से संवाद किया। उन्हें मतदान तक मैदान में डटे रहने का मंत्र दिया। धर्मपाल सिंह ने संघ से समन्वय के साथ ही सामाजिक समीकरण के हिसाब से नेताओं की चुनावी ड्यूटी भी लगाई। अंतिम दिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी मिल्कीपुर में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने का आह्वान कार्यकर्ताओं से किया। भाजपा के यह सारे प्रयास कितने सफल हुए, इसका फैसला आठ फरवरी को होगा।