महाकुंभ भगदड़ के गुनाहगार कहीं छिपे हों, किसी पार्टी के हों, बख्शा नहीं जाएगा, विस में बोले सीएम योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में साफ किया कि महाकुंभ भगदड़ मामले की जांच हो रही है। इसमें जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। कहा कि वह कहीं भी छिपा हो, कितने बड़े स्तर का क्यों न हो, किसी पार्टी का हो, बचेंगे नहीं।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सनातन धर्म, मां गंगा, भारत की आस्था, महाकुम्भ के खिलाफ विपक्ष का अनर्गल प्रलाप 56 करोड़ लोगों के साथ ही भारत की सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ है। सनातन धर्म का यह अपमान बर्दाश्त नहीं होगा। विपक्षी दलों के नेताओं की भाषा सभ्य समाज के अनुकूल नहीं है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि महाकुम्भ भदगड़ के गुनाहगारों को बख्शा नहीं जाएगा। वह कहीं भी छुपे हों, कितने बड़े स्तर के क्यों न हों, किसी भी पार्टी के हों, वह बचेंगे नहीं।
मुख्यमंत्री ने ये बातें बुधवार को विधानसभा में महाकुम्भ पर चली चर्चा पर कहीं। उन्होंने सदन में लगभग 1:30 घंटे के अपने संबोधन में विपक्ष के हर आरोप का चुन-चुन कर जवाब दिया। असल में सपा ने नियम-56 के तहत महाकुम्भ में कुप्रबंधन की बात कहते हुए इस पर चर्चा कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने सामने बैठे सपा सदस्यों की आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि यह आयोजन सरकार का नहीं समाज का है। सरकार ने केवल सेवक के तौर पर जिम्मेदारी निभाई है। यह आयोजन सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का गौरव है और इसे भव्य रूप से मनाया गया। क्या इसे भव्य स्वरूप में आयोजित करना कोई अपराध है?
योगी ने कहा कि विपक्ष ने पहले दिन से ही महाकुम्भ का विरोध करते हुए अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया। उन्होंने विपक्ष के नेताओं के सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किए गए बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि यह उनके संस्कार और मानसिकता को दर्शाता है। सपा सदस्यों की ओर मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की भाषा बोलना आप लोगों के अपने संस्कार हो सकते हैं लेकिन कोई सभ्य समाज इसे स्वीकार नहीं कर सकता। यह लोग महाकुम्भ को ‘मृत्यु कुंभ’ बताकर सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि यह सनातन आस्था पर सीधा प्रहार है। सनातन धर्म की सुरक्षा ही विश्व मानवता की सुरक्षा की गारंटी है।
1954 के कुम्भ में 800 लोगों की जान गई थी
मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ मेले में अव्यवस्था के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि 1954 महाकुम्भ में 800 से अधिक श्रद्धालु भगदड़ में जान गंवा बैठे थे जबकि इसके एक दिन पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति वहां आए थे। मेले में की गई व्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रयागराज सिटी, जिसकी अधिकतम क्षमता 25 लाख की आबादी वाले प्रयागराज में एक दिन में 2 करोड़ श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्नान करवाना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
महाकुम्भ में वीआईपी कल्चर के आरोप पर प्रहार
मुख्यमंत्री ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं, वह वीआईपी कल्चर की बात कर रहे हैं। महाकुम्भ अगर वीआईपी कल्चर होता तो क्या 56 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा पाते? अमृत स्नान पर सवाल उठाना केवल झूठ का प्रचार है। सभी प्रमुख 13 अखाड़ों के संतों ने विधिवत रूप से सभी निर्धारित स्नानों में भाग लिया और इसे पूरे विश्व ने देखा।
अमृत स्नान मुर्हुत में ही हुआ
समाजवादी पार्टी द्वारा शाही स्नान के शुभ मुर्हुत में न होने की बात का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मौनी अमावस्या के अवसर पर अमृत स्नान पूरी धार्मिक परंपराओं के साथ संपन्न हुआ। उन्होंने स्वयं अखाड़ों से बातचीत कर स्नान के समय को समायोजित किया ताकि सभी श्रद्धालुओं को अवसर मिल सके। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को विश्व में सर्वोच्च स्थान दिलाने के लिए महाकुम्भ जैसे आयोजनों की गरिमा को बनाए रखना जरूरी है। राजनीति में थोड़ा बहुत प्रहसन चलता है, लेकिन प्रहसन को ही राजनीति बना दिया जाए, यह न्याय नहीं है।