Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Maha Kumbh: One month long Kalpavas starts with the Paush Purnima snan , 21 difficult rules have to be followed

महाकुंभ के पौष पूर्णिमा स्नान के साथ एक माह का कल्पवास शुरू, 21 कठिन नियमों का करना होता है पालन

  • महाकुंभ के पौष पूर्णिमा स्नान के साथ एक माह का कल्पवास शुरू होग गया है। कल्पवास 13 जनवरी से 12 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान 21 कठिन नियमों का पालन करना होता है।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, महाकुम्भ नगर। ईश्वर शरण शुक्लMon, 13 Jan 2025 02:31 PM
share Share
Follow Us on
महाकुंभ के पौष पूर्णिमा स्नान के साथ एक माह का कल्पवास शुरू, 21 कठिन नियमों का करना होता है पालन

सोमवार को पौष पूर्णिमा पर्व पर गंगा में पावन डुबकी लगाने के साथ ही संगम की रेती पर एक माह के कठिन कल्पवास की शुरूआत हो गई। कल्पवास 13 जनवरी से 12 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान 21 कठिन नियमों का पालन करना होता है। प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक इस महाकुम्भ में लगभग 10 लाख श्रद्धालु के कल्पवास करने का अनुमान है। कल्पवासी एक सप्ताह पहले से ही मेला क्षेत्र में आने लगे थे, रविवार को देर शाम तक इनके आने का क्रम जारी रहा।

कल्पवासी सोमवार को पौष पूर्णिमा पर शुभ मुहुर्तू में स्नान करने के बाद तीर्थ-पुरोहितों के सानिध्य में कल्पवास का संकल्प लिया। अपने शिविर के बाहर तुलसी का बिरवा रखकर पूजन अर्चन किया। साथ ही जौ भी बोएं। मान्यता है कि इस दौरान जौ जिस तरह से बढ़ता है, उसी तरह से उसे बोने वाले कल्पवासी के सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। शिविर के किसी एक कोने में भगवान शालिग्राम की स्थापन कर कल्पवासी जप-तप और मानस का पाठ करेंगे। मेला क्षेत्र में होने वाले संतों के कथा-प्रवचन में शामिल होंगे। हर रोज कल्पवासी सुबह और शाम गंगा में स्नान करने के साथ ही एक समय अपने हाथ से तैयार किया हुआ भोजन करेंगे। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि कल्पवास व्यक्ति के दिल और दिमाग पर भी प्रभाव डालता है। इससे व्यक्ति को मानसिक ऊर्जा मिलती है।

ये भी पढ़ें:महाकुंभ में उमड़ी भारी भीड़, श्रद्धालुओं पर हो रही हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा
ये भी पढ़ें:महाकुंभ में कुल 6 राजयोगी स्नान; संत-महंत, महामंडलेश्वर का पहला शाही स्नान कल
ये भी पढ़ें:महाकुंभ के पहले स्नान में ही आस्था और उत्साह का सैलाब उमड़ा, देखें PHOTOS

नियम का पालन करना सबसे कठिन माना जाता

कल्पवास के 21 नियमों का पालन करना सबसे कठिन माना जाता है। इन नियमों में सत्यवचन, अहिंसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण, प्राणियों पर दयाभाव, ब्रह्मचर्य का पालन, व्यसनों का त्याग, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, नित्य तीन बार पवित्र नदी में स्नान, त्रिकाल संध्या, पितरों का पिंडदान, दान,अन्तर्मुखी जप, सत्संग, संकल्पित क्षेत्र के बाहर न जाना, किसी की भी निंदा ना करना, साधु सन्यासियों की सेवा, जप व संकीर्तन, एक समय भोजन, भूमि शयन, अग्नि सेवन न कराना और देव पूजन शामिल है।

यहां से आएंगे सबसे ज्यादा कल्पवासी

तीर्थपुरोहित पं. स्वामी नाथ दुबे ने बताया कि कल्पवास के लिए प्रयागराज के अलावा कौशाम्बी, प्रतापगढ़, जौनपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, सुल्तानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, अयोध्या से अधिक कल्पवासी आते हैं। दूसरे प्रदेशों से आने वाले कल्पवासियों की मदद के लिए उनके तीर्थपुरोहित खुद संपर्क करते हैं।

टीकरमाफी आश्रम झूंसी के स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी के बताया कि शास्त्रत्तें में कहा गया है कि गृहस्थ जीवन में व्यक्तियों से जाने-अनजाने बहुत से पाप होते रहते हैं। इससे तीर्थराज प्रयाग में एक माह तक कल्पवास करने से सकल पाप से मुक्ति मिल जाती है। प्रयाग की पुण्य भूमि पर 60 करोड़ 10 हजार तीर्थ और 33 करोड़ देवता माघ मास में निवास करते हैं। सभी देवता मनुष्य का रूप धारण करके कल्पवास से मनुष्यों के क्षरण होते पापों को देखते हैं। मत्स्य पुराण के अनुसार प्रयागराज में माघ मास में कल्पवास का वही फल है, जो फल रोज करोड़ों गायों के दान का है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें