बोले कानपुर : आपने तो खेल को खिलवाड़ बना डाला
Kanpur News - शहर के युवा खिलाड़ी क्रिकेट, बास्केटबाल, वॉलीबाल, हॉकी, फुटबाल जैसे खेलों में अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाना चाहते हैं। लेकिन उन्हें उचित सुविधाओं और प्रशिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रीनपार्क...
क्रिकेट, बास्केटबाल, वॉलीबाल, हॉकी, फुटबाल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों में शहर के खिलाड़ी भी परचम लहराना चाहते हैं। सुबह से शाम तक मैदान पर पसीना बहा रहे ये खिलाड़ी चाहते हैं तो सिर्फ अच्छे कोच और अच्छी सुविधाएं लेकिन उत्तर और दक्षिण में बंट चुके शहर में उन्हें यह सहूलियतें नहीं मिल रही हैं। खिलाड़ी कहते हैं कि समय के साथ कुछ एकेडमी खुली हैं, जहां सुविधाएं अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर हैं पर वह एक सामान्य प्रतिभाशाली खिलाड़ी की पहुंच से दूर हैं। ऐसे में प्रतियोगिताओं में पदक पाने की उम्मीदों को भी झटका लगता है। क्रिकेट, बास्केटबाल, वॉलीबाल, हॉकी, फुटबाल, एथलेटिक्स, टेबल टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों में अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने का सपना संजोने वाले युवा ग्रीनपार्क स्टेडियम या शहर में स्थित अन्य स्पोर्ट्स एकेडमी में जाते हैं। भरसक पसीना बहाते हैं पर राष्ट्रीय फलक पर परिणाम वैसे नहीं आते जिनके वह हकदार हैं। इसकी वजह सुविधाओं का राष्ट्रीय स्तर का न होना है। खिलाड़ियों का दर्द बयां करते करते बैडमिंटन खिलाड़ी सुनील विचलित हो जाते हैं। वे कहते हैं कि जरूरी सुविधाओं से अनजान खिलाड़ियों पर विश्व स्तर या ओलंपिक में पदक जीतने का दबाव होता है लेकिन, इन पदकों के लिए खिलाड़ी जिस स्तर पर अभ्यास करते हैं, वह पूरी तरह से मानक अनरूप नहीं होते हैं। क्राइस्टचर्च में अभ्यास कर रहे अभिषेक कहते हैं कि सुविधाओं का अभाव है। खेल को खिलवाड़ बनाया जा रहा है। कम से कम शहर में दो और स्पोर्ट्स स्टेडियम होने चाहिए।
क्रिकेट खिलाड़ी कहते हैं कि शहर में कहने को तो कई स्टेडियम हैं, लेकिन वे सभी सामान्य खिलाड़ियों की पहुंच से दूर हैं। सरकार की ओर से बनाया गया ग्रीनपार्क स्टेडियम हर प्रतिभा के लिए पर्याप्त नहीं है। बैडमिंटन कोच आशुतोष सत्यम झा कहते हैं खिलाड़ियों ने कहा कि शहर लगभग उत्तर और दक्षिण में बंट चुका है। दक्षिण में प्रतिभाओं की भरमार है लेकिन सरकार की ओर से कोई स्टेडियम नहीं है। हालांकि अकादमियों की भरमार है लेकिन उनका खर्च वहन करना हर खिलाड़ी के बजट में नहीं है। वहीं स्विमर काव्या कहती हैं कि शहर में अभ्यास के लिए पर्याप्त स्विमिंग पुल भी नहीं हैं।
खेल को संघों में नहीं बांटें ज्यादा खेलने का दें मौका : खिलाड़ियों ने कहा कि खेल को बढ़ावा देने के लिए संघों का गठन किया गया है। लेकिन, खेल को संघों में नहीं बांटना चाहिए। जैसे ये प्रतियोगिता संघ से मान्यता प्राप्त नहीं है, इसमें खिलाड़ी नहीं खेलेंगे। खेलते हैं तो संघ से निष्कासित कर दिया जाएगा। यह हाल शहर में हर खेल का है। खिलाड़ी कहते हैं कि वे अपने खेल को निखारने के लिए प्रतियोगिता में हिस्सा लेता है, यह छूट मिलनी चाहिए।
खिलाड़ियों के लिए मैदान में ही चेंजिंग रूम होना चाहिए : प्रैक्टिस को आने वाले खिलाड़ियों ने बताया कि ग्रीनपार्क स्टेडियम में रोजाना 250 से अधिक खिलाड़ी प्रैक्टिस करने आते हैं। इसमें हर उम्र के लड़के व लड़कियां होते हैं। इसके बावजूद ग्राउंड में चेंजिंग रूम नहीं है। इससे खिलाड़ियों को बहुत परेशानी होती है। हालांकि मैदान के बाहर कुछ चेंजिंग रूम बने हैं लेकिन वे पर्याप्त नहीं है। खिलाड़ियों के लिए मैदान में ही चेंजिंग रूम होना चाहिए।
ग्रीनपार्क में जिम के भरोसे चल रहा पावरलिफ्टिंग : खिलाड़ियों ने बताया कि शहर में पावरलिफ्टिंग खेल जिम के भरोसे चल रहा है। अधिकांश खिलाड़ी अपनी प्रैक्टिस जिम के भरोसे ही कर रहे हैं। वे जिम में ही हैवीवेट उठाकर अपनी नियमित प्रैक्टिस करते हैं और प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं। खेल के हिसाब से प्रैक्टिस न होने के कारण शहर में प्रतिभा होने के बावजूद अब तक वर्ल्ड लेवल का मेडल नहीं आया है। इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है।
खिलाड़ी अच्छे लेकिन कोर्ट मानकों के अनुरूप नहीं : खिलाड़ियों ने बताया कि ग्रीनपार्क स्टेडियम में बास्केटबाल और वॉलीबाल की नियमित प्रैक्टिस होती है। खिलाड़ी सुबह-शाम जी-जान से मेहनत करते हैं लेकिन उनके परिणाम वैसे नहीं आते हैं। क्योंकि स्टेडियम में जिस कोर्ट पर खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं, वह राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर नहीं है। बास्केटबाल कोर्ट सिंथेटिक होना चाहिए, जबकि अभी तक मिट्टी पर यहां प्रैक्टिस होती है।
सुझाव
1. सभी खेल एकेडमियों के शुल्कों का एक मानक तय होना जरूरी करना चाहिए।
2. सरकार या राष्ट्रीय एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त एकेडमी ही संचालित हों।
3. ग्रीनपार्क स्टेडियम में ओलंपिक से मान्यता प्राप्त सभी खेलों का प्रशिक्षण हो।
4. खेलों का प्रशिक्षण एनआईएस कोच या पदक विजेता खिलाड़ी ही दें।
5. सभी खेलों से पहले ग्रीनपार्क स्टेडियम में खिलाड़ियों का कैम्प लगाया जाए।
समस्याएं
1. खेल संघ व पदाधिकारियों के आपसी टकराव से खिलाड़ियों का नुकसान।
2. ग्रीनपार्क स्टेडियम में कोच के अभाव में कई खेल की प्रैक्टिस बंद है।
3. निजी एकेडमी का मनमाना शुल्क है। खिलाड़ियों के लिए यह अच्छा नहीं है।
4. सरकार की ओर से नियमित जिलास्तर व राज्यस्तर की प्रतियोगिताएं होनी चाहिए।
5. प्रतिभावान व उभरते हुए खिलाड़ी को कुछ प्रोत्साहन राशि भी दी जाए।
बोले कोच और खिलाड़ी
अधिकांश मैदान पर या तो कब्जे हैं या फिर उसे पार्क में परिवर्तित कर दिया है। जिस पार्क में लोग टहलने आते हैं, वहां खिलाड़ी नियमित अभ्यास नहीं कर सकता है। खेलों से जुड़ी जरूरी सुविधा वाले पार्क बनाए जाएं।
वैभव गौड़, आर्चरी कोच
बैडमिंटन घर-घर तो खेला जाता है लेकिन उसके सही प्रशिक्षण के लिए एकेडमी की संख्या काफी कम है। एकेडमी में भी अच्छे कोच की भी कमी है। पार्कों में भी बैडमिंटन एकेडमी बनाएं।
आशुतोष सत्यम झा, बैडमिंटन कोच
शहर में पावरलिफ्टिंग के प्रशिक्षण के लिए सही केंद्र नहीं हैं। अधिकतर खिलाड़ी जिम पर निर्भर हैं। ग्रीनपार्क में भी सीमित संसाधन हैं। कई खिलाड़ी दूरी व संसाधनों के अभाव में खेल ही छोड़ देते हैं।
पार्थ त्रिपाठी, पावरलिफ्टिंग खिलाड़ी
बैडमिंटन की प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। निजी एकेडमियों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मगर, वहां का शुल्क बहुत महंगा है। गरीब वर्ग के खिलाड़ियों के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं है।
विजय कुमार दीक्षित, सीनियर बैडमिंटन खिलाड़ी
शहर में विभिन्न क्रिकेट एकेडमी चल रही है और प्रतियोगिताएं भी काफी होती हैं। निजी एकेडमी के शुल्क का मानक तय होना आवश्यक है। प्रतियोगिताएं ऐसी हों जिसमें हर एक खिलाड़ी को मौका मिले।
तनवीर अहमद, क्रिकेट खिलाड़ी
टेबल टेनिस का प्रशिक्षण हर एकेडमी में नहीं मिलता है। जबकि यह खेल ऐसा है, जिसमें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की प्रतिभा शहर के युवाओं में है।
साहिल श्रीवास्तव, टेबल टेनिस खिलाड़ी
बैडमिंटन कोर्ट पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। सीनियर खिलाड़ियों के अलावा युवा खिलाड़ियों के लिए अलग से कोर्ट बनना चाहिए। कोच की पर्याप्त संख्या होना जरूरी है।
अनुज गौतम, बैडमिंटन खिलाड़ी
पावरलिफ्टिंग के लिए ग्रीनपार्क स्टेडियम में पर्याप्त सुविधाएं हैं। लेकिन, हर खिलाड़ी ग्रीनपार्क नहीं जा सकता। कुछ एकेडमियां पावरलिफ्टिंग का अभ्यास कराती हैं लेकिन वे जिम पर ही निर्भर हैं।
आयुष मिश्रा, एथलीट
पीवी सिंधु और सानिया नेहवाल जैसी खिलाड़ी हर बालिका बनना चाहती हैं। मगर सुविधाओं की पर्याप्त इंतजाम न होने से दिक्कतें हो रही हैं। एकेडमी ज्यादा होगी तो खिलाड़ियों की संख्या बढ़ेगी।
कृतिका पांडेय, बैडमिंटन खिलाड़ी
हैंडबाल खेल में काफी प्रतिभा है। शहर में न तो हैंडबाल का कोच है और न मैदान। विवि में कई नेशनल लेवल के खिलाड़ी पढ़ाई कर रहे हैं। मगर पर्याप्त अभ्यास और कोच न होने से हार मिलती है।
शुभम यादव, हैंडबाल खिलाड़ी
बोले जिम्मेदार
ग्रीनपार्क में खिलाड़ियों से जुड़े सभी संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। विवि में कई खेल में अभ्यास के लिए खिलाड़ी आते हैं लेकिन उनके कोच न होने से न तो संसाधन हैं और न ही अब प्रैक्टिस होती है। खेल और खिलाड़ी को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। वर्तमान में खिलाड़ी स्टेडियम में अनुभवी कोच की देखरेख में प्रैक्टिस कर रहे हैं और प्रदेश स्तरीय व राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में पदक भी जीत रहे हैं।
विजय कुमार, आरएसओ, ग्रीनपार्क स्टेडियम
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