बोले कानपुर : उम्र की ढलान पर थोड़ी सी पेंशन, ढेर सारा टेंशन
Kanpur News - सेवानिवृत्त पेंशनधारकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नई पेंशन स्कीम के तहत अधिकांश पेंशनधारकों की पेंशन नहीं बन पाई है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति में देरी और कटौतियों के कारण उन्हें मुश्किलों...
सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशनधारकों को परिवार से लेकर उम्र जनित तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पेंशन ही एकमात्र उनके बुढ़ापे की लाठी होती है। संयुक्त पेंशनर्स कल्याण समिति के पदाधिकारी बताते हैं कि अभागे हैं नई पेंशन स्कीम के सेवानिवृत्त कर्मचारी, जिनमें 90 प्रतिशत से ज्यादा की पेंशन ही नहीं बन पाई है। वहीं, पुरानी पेंशन का लाभ ले रहे लोग सुविधा शुल्क की पीड़ा से परेशान हैं। चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिल पास कराने में उन्हें एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। विभागों की परिक्रमा लगा-लगाकर हम लोग थक जाते हैं। सरकारी विभागों से सेवानिवृत्त कर्मी आज खुद सरकारी व्यवस्था की बदहाली का शिकार हो गए हैं। हर साल जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए चप्पलें घिसनी पड़ती हैं तो इलाज के खर्च की चिकित्सा प्रतिपूर्ति पाने में पापड़ बेलने पड़ते हैं। रामजी श्रीवास्तव कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग से लेकर ट्रेजरी तक उनकी फाइलें अटकी रहती हैं। दीनदयाल कार्ड से इलाज की सुविधा भी सभी अस्पतालों में नहीं मिल पा रही है। ऐसे में पेंशनधारकों को परेशानी होती है।
बंद हो पेंशन पर 15 साल तक कटौती : सेवानिवृत्त कर्मचारियों का कहना है कि सरकार बिकने वाली पेंशन पर 15 साल तक कटौती करती है। जबकि, कुल रकम ब्याज के साथ 10 साल 11 माह में ही पूरी हो जाती है। इसके बाद भी 4 साल तक पेंशन की रकम से कटौती करना सेवानिवृत्त कर्मचारियों का शोषण है। जबकि कोर्ट के निर्देश पर डाइरेक्टर पेंशन उन पेंशनरों के पेंशन से कटौती नहीं कर रहे हैं, जो विरोध में कोर्ट चले गए। 15 साल तक कटौती नियम के खिलाफ है तो अन्य सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी राहत दी जानी चाहिए।
सरकार सहायता प्राप्त संस्थाओं में भी मिले चिकित्सा प्रतिपूर्ति : पेंशनधारकों ने बताया कि राज्य सरकार से सहायता प्राप्त संस्थाओं जैसे बीएसए, केस्को, सीएसए आदि में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं मिलता है। जबकि, बुढ़ापे में इलाज के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ मिलना बहुत जरूरी है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति न मिलने से पेंशनरों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
दीनदयाल कार्ड से इलाज को अस्पताल करते हैं बहाने : पेंशनधारकों ने बताया कि सरकार ने कर्मचारियों को दीनदयाल कार्ड दिया। कार्ड में सूचीबद्ध अस्पताल इलाज देने में आनाकानी करते हैं। अक्सर मना कर देते हैं। इसकी बड़ी वजह है कि सरकार किसी भी इलाज के लिए न्यूनतम शुल्क भुगतान करती है। जबकि, अस्पताल अधिक शुल्क देने वाले मरीजों को भर्ती करने और इलाज को वरीयता देते हैं। दीनदयाल कार्ड से सूचीबद्ध अस्पतालों की संख्या बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
80 की उम्र में पेंशन बढ़ाने के प्रावधान में हो बदलाव : पेंशनधारकों ने बताया कि आज देश में सामान्य उम्र 67 साल है। सरकार ने 20 प्रतिशत पेंशन बढ़ाने की उम्र सीमा 80 वर्ष तय कर रखी है। तमाम पेंशन धारक 80 की उम्र पूरी ही नहीं कर पाते। लिहाजा, उन्हें बढ़ी पेंशन का लाभ नहीं मिल पाता है। सरकार को पेंशन बढ़ाने का प्रावधान सेवानिवृत्त की तारीख से 5-5 वर्ष के अंतर पर 5-5 प्रतिशत करना चाहिए। 65, 70, 75 और 80 वर्ष इसकी उम्र तय करने की आवश्यकता है।
सीएमओ कार्यालय में रोकते हैं चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल : पेंशन धारकों ने बताया कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल को लेकर वह लोग बहुत परेशान होते हैं। सीएमओ कार्यालय में बिल को तीन-तीन माह तक रोके रहते हैं। बिना सुविधा शुल्क पाए सीएमओ कार्यालय के कर्मचारी बिल पर स्वीकृत की मुहर नहीं लगाते हैं।
नई पेंशन में फर्श पर आ जाता सेवानिवृत्त कर्मी : नई पेंशन से आच्छादित तकरीबन 10000 कर्मचारी-अधिकारी जिलेभर में कार्यरत हैं। इनमें 1200 माध्यमिक और 3500 बेसिक के शिक्षक हैं। नई पेंशन स्कीम वाले कर्मचारियों का कहना है कि सेवानिवृत्त होते ही वह अर्श से फर्श पर आ जाएंगे। 80-90 हजार रुपये वेतन पाने वाला कर्मचारी अधिकतम 3000-4000 रुपये पेंशन पाएगा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि वह लोग अपने परिवार का जीवन-यापन कैसे करेंगे। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-ब्याह कैसे करेंगे। सरकार हर माह वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन मद में कटौती करती है। इतना ही राज्यांश सरकार को पेंशन मद में जमा करना होता है। अफसोस की बात है कि सरकार के पास पेंशन मद में राज्यांश के लिए कई साल तक बजट नहीं होता है। लिहाजा, पेंशन मद में रुपये जमा ही नहीं हो पाते हैं। पेंशन के रुपये शेयर बाजार में लगते हैं, जिस प्रकार शेयर उछाल भरता है, उसी प्रकार रकम भी बढ़ती जाती है। यदि शेयर धड़ाम हुआ तो रकम में भी कमी हो जाती है। राज्यांश न जमा होने से कर्मचारी के रुपये भी शेयर में नहीं लग पाते हैं। लिहाजा, घाटा कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है।
पुरानी पेंशन न्यूनतम 9000 रुपये थी : कर्मचारियों की मानें तो पुरानी पेंशन न्यूनतम 9000 रुपये थी। जबकि, नई पेंशन 3 से 4 हजार रुपये ही बन पाती है। ऐसे में कर्मचारियों के सामने समस्या हो जाती है। यही वजह है कि कर्मचारी पुरानी पेंशन को फिर लागू करने की मांग कर रहे हैं। ताकि, राहत मिल सके।
सुझाव
1.चिकित्सा प्रतिपूर्ति को इनकम टैक्स शामिल नहीं करना चाहिए। क्योंकि पेंशनर चिकित्सा प्रतिपूर्ति भत्ता का लाभ नहीं ले रहे हैं
2.पेंशनरों की एफडी के ब्याज को टैक्स से मुक्त कर देना चाहिए। एक लाख रुपये तक की छूट अपर्याप्त है
3.ट्रेजरी में पेंशनरों के लिए सहायता केंद्र बनाया जाना चाहिए, अभी पेंशनरों को इधर-उधर भटकना पड़ता है
4.फाइलों के निस्तारण की समय सीमा तय होनी चाहिए। साथ ही इसका अनुपालन भी विभागों द्वारा कराया जाना चाहिए
5.विभागों में एक कमरा पेंशनरों के लिए बनाया जाना चाहिए, जब कभी पेंशनर अपने विभाग जाए तो उसे बैठने की जगह हो
समस्याएं
1.ऑनलाइन लाइव सर्टिफिकेट ट्रेजरी को अक्सर रिसीव नहीं होती है। पेंशनरों को जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए परेशान होना पड़ता है
2.चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल ट्रेजरी में लंबे समय तक लंबित रहते हैं, सुविधा शुल्क के लिए पेंशनरों को जानबूझकर दौड़ाया जाता है
3.ट्रेजरी में वाटर कूलर काम नहीं कर रहे हैं गर्मी में पेयजल के लिए पेंशनरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है
4.ट्रेजरी में शौचालय बहुत ज्यादा गंदे रहते हैं, इनकी साफ-सफाई को लेकर अधिकारी भी ध्यान नहीं देते हैं
5.सेवानिवृत्त के समय पेंशन के भुगतान नहीं होने के चलते बाद अधिकारी सुनते नहीं है, जिससे अपने ही पैसे के लिए दिक्कत होती है
बोले पेंशनर्स
पेंशनरों की लंबित मांगों का निस्तारण हो ताकि, पेंशनधारक भी सम्मानजनक तरीके से जीवन यापन कर सकें।
एन द्विवेदी
पेंशन धारकों की फाइलों का निस्तारण समय से होना चाहिए। चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल में भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए।
डॉ. सुरेश चंद्र
विभागों में पेंशनधारकों के लिए एक कक्ष दिया जाना चाहिए। किसी विभाग में जाते हैं तो बैठने की जगह नहीं मिलती।
विनोद कुमार
लाइव सर्टिफिकेट ऑनलाइन होने से उन पेंशन धारकों को दिक्कत होती है, जिनका इलाज चल रहा है।
रवि कटियार
लाइव सर्टिफिकेट ऑनलाइन सब्मिट करने पर स्वीकार करने का जवाब नहीं आता है।
सैयद महमूद जकी नकवी
नगर निगम में 2005 स्थाई हुए। वर्षों पहले से कार्यरत थे। सेवानिवृत्त होने पर नौकरी में पहले की सेवा नहीं जोड़ी गई।
राजेश शुक्ला
जीपीएफ क्लेम की फाइल पशुपालन विभाग में दो साल से अटकी है। अधिकारी आए दिन दौड़ाते हैं।
रामजी लाल श्रीवास्तव
10 वर्ष पहले सेवानिवृत्त हुए थे। अब जाकर रिकवरी की नोटिस आ गई, जिससे परेशानी बढ़ गई।
विनोद कुमार दीक्षित
उन्नाव ट्रेजरी ऑफिस से अभी तक सत्यापन नहीं हो पा रहा है। अधिकारी प्रपत्र को मिसिंग बता रहे हैं।
सुनील कुमार निगम
जुलाई 2023 को सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन अभी तक जीपीएफ नहीं मिल पाया है। रोज दौड़ाते हैं।
वीरेंद्र सिंह गंगवार
बोले जिम्मेदार
कर्मचारी अपने विभाग के लिए पूरी जिंदगी काम करते हैं। रिटायर होने के बाद उन्हें किसी भी समस्या के लिए नहीं जूझना चाहिए। विभागों को खुद आगे बढ़कर उनकी समस्याओं का निस्तारण करना चाहिए। अब किसी भी तरह की लापरवाही सामने आई तो संबंधित विभाग के संबंधित जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।
- जितेंद्र प्रताप सिंह, डीएम
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।