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बोले कानपुर : हमारे रीति -रिवाज,भाषा-भोजन सबको संरक्षण चाहिए

Kanpur News - कानपुर में जैन समाज की आबादी 20 हजार है, लेकिन उन्हें उचित अधिकार नहीं मिलते। मंदिरों के पास सड़कें ठीक नहीं हैं और मांस-मदिरा की दुकानें चल रही हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। जैन समाज ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरFri, 28 Feb 2025 02:49 AM
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बोले कानपुर : हमारे रीति -रिवाज,भाषा-भोजन सबको संरक्षण चाहिए

कहने को तो कानपुर में हमारी आबादी 20 हजार है पर अधिकार पूरे नहीं मिलते। हमारे मंदिरों के पास न तो सड़कें ठीक हैं और न ही साफ-सफाई होती है। मंदिरों के आसपास मांस-मदिरा की दुकानें चल रही हैं। कई बार आवाज उठाई पर निस्तारण नहीं हुआ। जैन समाज के लोगों का यह दर्द है। उनका कहना है कि हम काफी समय से आरक्षण की मांग कर रहे हैं पर सुनवाई नहीं होती। हमारे रीति रिवाज, भाषा-भोजन सबको संरक्षण मिलना चाहिए। जैन समाज के लोग महावीर जयंती को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। बावजूद इसके अपना त्योहार मनाने के लिए एक स्थाई स्थल नहीं मिला है। प्रशासन को जगह दिलानी चाहिए। अपनी बात रखते हुए शैलेंद्र कुमार जैन कहते हैं कि शहर में समाज में लोग की संख्या कम है। ऐसे में समस्याएं दबी रह जाती हैं और समाज के लोग विरोध भी नहीं कर पाते हैं। रतेंद्र जैन कहते हैं कि जैन मंदिरों के आसपास मांस-मदिरा की दुकानें खुली हैं,इससे हमारी भावनाएं आहत होती हैं। इन दुकानों को अविलंब हटाना चाहिए।

पार्क संवरे तो कार्यक्रम के लिए जगह मिलनी हुई बंद : जैन समाज के लोगों का कहना है कि महावीर जयंती का कार्यक्रम बीते 70 वर्षों से गणेश उद्यान फूलबाग और नानाराव पार्क में भव्य तरीके से मनाई जाती थी। दोनों ही पार्कों का सौंदर्यीकरण हो गया। अब इन पार्कों में प्रवेश के लिए शुल्क लगने लगा है। लिहाजा, महावीर जयंती के कार्यक्रम के लिए जैन समाज को जगह के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। प्रशासन को चाहिए कि जैन समाज को भी महावीर स्वामी की जयंती मनाने के लिए स्थाई जगह मुहैया कराए। स्थाई जगह होने से समाज के लोगों को कार्यक्रम और भी भव्य तरीके से कराना संभव हो सकेगा। इस पर प्रशासन को ध्यान देना होगा।

अहिंसा स्तंभ के आसपास रहता है कूड़े का ढेर : जैन समाज का कहना है कि बादशाही नाका चौराहे पर अहिंसा स्तंभ लगा है। यहां कूड़े का ढेर लगा रहता है, जिससे अहिंसा स्तंभ की तौहीन होती है। यहां साफ-सफाई हर रोज होनी चाहिए। यह स्तंभ आसपास जैन मंदिर होने का संकेत देता है। यहां दो जैन मंदिर भी है। बाहर से आने वाले लोग अहिंसा स्तंभ देखकर जान जाते हैं कि आसपास जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। कई बार जिम्मेदारों को इसकी शिकायत की गई पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्राकृत भाषा से भेदभाव नहीं होना चाहिए : जैन समाज के लोगों ने बताया कि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में विद्यासागर सुधासागर जैन शोध पीठ की स्थापना बीते साल फरवरी में की गई थी। मकसद प्राकृत भाषा के प्रचार-प्रसार और शोध किया जाना है। इस शोध पीठ के संचालन का खर्च जैन समाज वहन करेगा। यह प्राकृत भाषा के साथ भेदभाव वाली बात है। सरकार विश्वविद्यालयों में अन्य भाषाओं के विकास व खोज के लिए शोध पीठ खोले हैं, उसका खर्च सरकार ही उठाती है। जबकि, प्राकृत भाषा में शोध का खर्च जैन समाज से लिया जाना अनुचित और अन्याय है।

दिगंबर मंदिर के पास मांस-मदिरा की दुकान, धार्मिक भावनाएं होती आहत : जैन समाज के लोगों ने बताया कि लाल बंगला में मुख्य मार्ग से 20 फीट अंदर गली में दिगंबर जैन मंदिर है। यहां गली के मुहाने पर ही शराब की दुकान है। जहां मांसाहार भी परोसा जाता है, उसकी दुर्गंध जैन मंदिर तक जाती है। इससे जैन समाज के लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होतीं हैं। शासन प्रशासन भी वाकिफ है कि जैन धर्म में अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म कहा जाता है। जीव हत्या पाप है। बावजूद इसके मंदिर के करीब मांस-मदिरा की दुकानें संचालित होने पर कोई रोक नहीं है।

सुझाव

1. शहर के किसी मेट्रो स्टेशन का नाम महावीर भगवान के नाम से किया जाना चाहिए, इससे जैन समाज को भी अपनी पहचान पर गर्व महसूस हो सकेगा

2. पी रोड का नाम दोबारा महावीर स्वामी के नाम पर किया जाए, 1975 में महावीर स्वामी के नाम का पत्थर लगाया गया था, लेकिन कागज में दर्ज नहीं हुआ

3. बाकरगंज चौराहे पर स्थित कीर्ति स्तंभ का सौंदर्यीकरण किया जाना चाहिए, इससे जैन समाज को सम्मान का अहसास होगा

4. जैन संत कुएं के पानी से आहार ग्रहण करते हैं इसलिए वनखंडेश्वर मंदिर के कुआं का जीर्णोंद्धार किया जाना चाहिए, कुएं पट जाने से पानी नहीं मिलता है

समस्याएं

1. जैन समाज को कोई कार्यक्रम कराने के लिए प्रशासन सीधे परमिशन नहीं देता है। इसके लिए किसी नेता की सिफारिश करनी पड़ती है।

2. महावीर जयंती के कार्यक्रम के लिए स्थाई जगह न होने के चलते इधर-उधर भटकना पड़ता है।

3. जैन मंदिरों के आसपास की सड़कों पर मांस-मदिरा की दुकानें चलती हैं। जिससे जैन समाज की भावनाएं आहत होती हैं।

4. शहर में कुओं को पाट दिया गया है, जिससे जैन संतों को आहार लेने के लिए कुएं का पानी नहीं मिलता है या नहीं कराई जाती है।

बोले जैन समाज के लोग

अनंत चतुर्दशी के दिन सार्वजनिक अवकाश हो क्योंकि इस दिन जैन धर्म के लोग निर्जल व्रत रहते हैं। अवकाश होने से लोग त्योहार को बढ़िया से मना सकेंगे।

-विमल कुमार जैन

जैन समाज महावीर जयंती को भव्यता के साथ मनाता है। बावजूद इसके अपना त्योहार मनाने के लिए एक स्थाई स्थल नहीं मिला है। प्रशासन को जगह दिलानी चाहिए।

-शैलेश कुमार जैन

अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सुविधाओं का जैन समाज को पता नहीं चल पाता है। इसका प्रचार प्रसार हो ताकि समाज के लोग भी योजनाओं से लाभान्वित हो सकें।

-अभय कुमार जैन

जैन धर्म के आयोजन को अनुमति देने में प्रशासन को सहयोग करना चाहिए। कार्यक्रम अनुमति के लिए पहले सिफारिश लेकर अधिकारियों तक जाना पड़ता है।

-अनिल जैन

जैन समाज की आबादी कम है। जैन समाज को भी आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए ताकि समाज के बच्चे भी नौकरी और व्यापार में खुद को आगे बढ़ा सकें।

-मुकेश जैन

पी रोड पर ड्रेनेज सिस्टम खराब है। बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या खड़ी हो जाती है मंदिर आने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

-राकेश जैन

जैन मंदिरों के आसपास मांस-मदिरा की दुकानें खुलीं है। इससे जैन समाज की भावनाएं आहत होती हैं। मांस-मदिरा की दुकानों को अविलंब हटाया जाना चाहिए।

-रतेंद्र जैन

बोले जिम्मेदार

जैन मंदिर के पास कचरा होना संज्ञान में नहीं है। सुबह टीम भेजी जाएगी। जैन मंदिर के आसपास विशेष सफाई अभियान चलवाएंगे। मलबा उठाने की जिम्मेदारी नगर निगम के अभियंत्रण विभाग की है। खुले में मांस की बिक्री कहीं नहीं की जा सकती। इस संबंध में खुद मुख्यमंत्री का आदेश है। जैन मंदिर के पास मांसाहार की बिक्री को लेकर नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को अवगत कराया जाएगा।

- डॉ. अजय संखवार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

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