बोले कानपुर : खटारा संसाधनों पर तकनीक के हिचकोले
Kanpur News - आईटीआई पांडुनगर ने 65 वर्षों में 2 लाख से अधिक हुनरमंद तैयार किए हैं। अब छात्रों और शिक्षकों की मांग है कि आईटीआई को हाईटेक बनाया जाए। वर्तमान में छात्रों को पुराने संसाधनों पर पढ़ाई करनी पड़ रही है,...

बीते 65 वर्षों में आईटीआई पांडुनगर ने दो लाख से ज्यादा हुनरमंद दिए। किसी समय यहां पर एडमिशन होना अपने आप में योग्यता की निशानी और नौकरी की गारंटी होती थी। अफसोस की बात यह है कि तकनीक के साथ आईटीआई हाईटेक नहीं हो सकी। लिहाजा, अब यहां डिग्री तो मिल रही है लेकिन उस डिग्री की पूछ नौकरियों के बाजार में कम है। यहां खटारा संसाधनों पर छात्र तकनीक के हिचकोले खा रहे हैं। वर्तमान में आईटीआई में दो दर्जन से अधिक ट्रेड में पढ़ाई होती है। इसमें 2500 से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। अब शिक्षक से लेकर छात्र सरकार से यही गुहार लगा रहे हैं कि मेरी आईटीआई को हाईटेक बनाकर खोई पहचान वापस दिलाएं। आईटीआई पांडु नगर में कल-पुर्जे बनाने से लेकर, सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटीशियन, पेंटिंग, कारपेंटर और ड्राइविंग तक का प्रशिक्षण छात्र लेते हैं। वर्तमान में आईटीआई में व्यवस्थागत दिक्कतों के चलते यह छात्र अधूरा ज्ञान ले पा रहे हैं। स्थिति यह है कि पढ़ने के लिए ठीक भवन है और न बैठने के लिए कुर्सी-मेज। लिहाजा, छात्र जैसे-तैसे कोर्स पूरा कर डिग्रीधारक बन रहे हैं। छात्रों का कहना है कि सरकार को आईटीआई को अपग्रेड करने की जरूरत है। इसे इसकी खोई पहचान वापस दिलानी चाहिए।
मोटर मैकेनिक ट्रेड में पुराने वाहन : आईटीआई के शिक्षकों ने बताया कि मोटर मैकेनिक ट्रेड में जिन वाहनों के पार्ट्स से छात्रों को पढ़ाया जा रहा है, वह आउटडेटेड हैं। नए मॉडल के वाहन चल रहे हैं। पुराने वाहनों की जानकारी लेकन नए वाहन की मरम्मत करना छात्र कैसे कर सकते हैं। निष्प्रयोज्य वाहनों को हटाकर नए वाहन वर्कशॉप में लाए जाना चाहिए।
आईटीआई परिसर में चलाया जाए आंगनबाड़ी केंद्र: आईटीआई में बड़ी संख्या में महिला शिक्षक व कर्मचारी काम करती हैं। छोटे बच्चों के पालन पोषण की चिंता बनी रहती है। ऐसे में कई मर्तबा कॉलेज आने में देर होती है। इस स्थिति से निपटने के लिए बेहतर होगा कि आंगनबाड़ी केंद्र आईटीआई परिसर में संचालित कर दिया जाए। शहर में सभी आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवन में चल रहे हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि किराए के भवन के बजाय आईटीआई परिसर में संचालित हो। इससे आंगनबाड़ी में आईटीआई की महिला स्टाफ के बच्चे भी पढ़ सकेंगे।
आईटीआई परिसर में कैंटीन खोली जाए : आईटीआई की छात्राओं ने बताया कि कॉलेज परिसर में कैंटीन की सुविधा नहीं है। ऐसे में लंच टाइम में छात्र-छात्राओं को परिसर के बाहर जाना पड़ता है। इससे छात्र-छात्राओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और पैसे भी अधिक खर्च हो जाते हैं। साथ ही सुरक्षा का भी खतरा रहता है। उनकी मांग है कि कॉलेज परिसर में ही कैंटीन की सुविधा हो। इससे कॉलेज को भी राजस्व की आय होगी। खानपान की बेहतर सुविधा भी मिल सकेगी।
लाइब्रेरी को अपग्रेड कर ई-लाइब्रेरी बनाई जाए : आईटीआई के छात्रों ने कहा कि उनकी लाइब्रेरी में किताबें तो हैं लेकिन बैठने की बेहतर सुविधा नहीं है। कॉलेज में छात्रों की संख्या 2500 के पार है। संख्या के लिहाजा से लाइब्रेरी छोटी है। लाइब्रेरी को बड़े कमरे में शिफ्ट किया जाए। लाइटिंग के साथ बैठने के लिए पर्याप्त संख्या में कुर्सियां और पंखे लगवाए जाए। इसके साथ लाइब्रेरी को अपग्रेड कर ई-लाइब्रेरी बनाया जाए। ई-लाइब्रेरी बनने से छात्र कहीं भी रहकर अध्ययन कर सकेंगे।
कार्यदेशक को मिले राजपत्रित का दर्जा : अनुदेशकों का कहना है कि अनुदेशक का पदनाम प्रशिक्षण अधिकारी किया जाए। क्योंकि मूल कार्य प्रशिक्षण का है। इसके अलावा अनुदेशक से प्रोन्नति पाने वालों कार्यदेशकों को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा दिया जाए। उनकी यह मांग लंबे समय से शासन के समक्ष रखी जा रही है, लेकिन शासन स्तर पर नजरअंदाज किया जा रहा है। उनकी मांग को स्वीकार किया जाना चाहिए।
एडमिशन मेरिट के बजाय दोबारा प्रवेश परीक्षा के आधार पर हो : शिक्षकों का कहना है कि पहले संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आधार पर आईटीआई में छात्रों को प्रवेश मिलता था। मौजूदा समय में सरकार ने आईटीआई में मेरिट के आधार पर प्रवेश का नियम बना दिया है। इससे आईटीआई की सीटें खाली रह जा रहीं है। अधिक नंबर पाने वाले छात्र आईटीआई की सीट रिजर्व करा लेते हैं। फिर दूसरे कॉलेजों में एडमिशन ले लेते हैं। भरी हुई सीटें छात्रों के कॉलेज छोड़ने से खाली हो जाती हैं। इससे जरूरतमंद छात्र प्रवेश लेने से वंचित हो जाते हैं। दूसरा फायदा यह होगा कि जिन छात्रों का हाईस्कूल, इंटरमीडिएट में नंबर कम आया वह प्रवेश परीक्षा पास करके एडमिशन ले सकेंगे।
वर्कशॉप में रखी मशीनों में आधे से ज्यादा हो गईं कबाड़ : आईटीआई के शिक्षकों की माने तो वर्कशॉप में मशीनें बड़ी संख्या में रखीं हैं, लेकिन इनमें आधा से ज्यादा कबाड़ हो चुकी हैं। मशीन एक बार खराब हो जाती है, तो उसके मरम्मत की प्रक्रिया बड़ी जटिल है। खराब पड़ी मशीनों को निष्प्रयोज्य घोषित किया जाना चाहिए। ताकि, उसके स्थान पर नई मशीनें खरीदी जा सकें। मशीनें खराब होने के चलते छात्रों को प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है।
सेंट्रलाइज्ड टूल स्टोर बनाया जाए : आईटीआई के छात्रों ने बताया कि कॉलेज में ट्रेड के हिसाब से टूल की सुविधा मुहैया कराई गई है। इससे आईटीआई के खजाने पर बोझ ज्यादा पड़ रहा है। इ्ससे इस बात की जानकारी नहीं हो पाता है कि किस ट्रेड में क्या काम हो रहा है। टूल का सेंट्रलाइज्ड स्टोर बन जाए तो टूल की खरीद का खर्च कम हो जाएगा।
साइकिल स्टैंड निशुल्क होना चाहिए : छात्रों ने बताया कि आईटीआई परिसर में साइकिल खड़ी करने के लिए उन लोगों से पांच रुपये और बाइक के लिए 10 रुपये शुल्क लिया जाता है। आईटीआई के प्रधानाचार्य से छात्रों का निवेदन है कि साइकिल स्टैंड में निशुल्क सुविधा मुहैया कराएं।
छात्रों की भी लगे बायोमेट्रिक अटेंडेंस : शिक्षकों का कहना है कि आईटीआई में कर्मचारियों की बायोमेट्रिक हाजिरी लगती है। छात्रों की भी बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
कौशल विकास हॉल को बना दिया लेखपाल प्रशिक्षण केंद्र : आईटीआई में बैठक के लिए 200 सीट क्षमता का कांफ्रेंस हॉल कौशल विकास केंद्र में बनाया गया था। इस कांफ्रेंस हॉल पर भी प्रशासन ने कब्जा जमा लिया है। कांफ्रेंस हॉल को लेखपालों का प्रशिक्षण केंद्र बना दिया है।
सुझाव
1.आईटीआई में कैंटीन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। ताकि, छात्र-छात्राओं और स्टाफ को जलपान के लिए बाहर न जाना पड़े।
2.आईटीआई में छात्रों से पार्किंग शुल्क की वसूली नहीं की जानी चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी।
3.आईटीआई में छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए। बाहर से आने वाले छात्रों को पढ़ने में आसानी होगी।
4.आईटीआई में लाइब्रेरी को अपग्रेड किया जाए। साथ ही ई-लाइब्रेरी बनाई जाए। इससे छात्रों को अध्ययन करने में सहूलियत होगी।
5.मेरिट के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया को बंद हो। इसकी जगह संयुक्त प्रवेश परीक्षा की व्यवस्था फिर लागू हो।
समस्याएं
1.वर्कशॉप का भवन व छत जर्जर है। बारिश में टीन से पानी टपकता है, जिससे छात्रों को पढ़ने में दिक्कत होती है।
2.वॉशरूम गंदे रहते हैं। कई वॉशरूम के दरवाजे टूटे हैं। आवश्यकता से कम वॉशरूम परिसर में बने हुए हैं।
3.शुद्ध व शीतल पेयजल के लिए आरओ प्लांट और वाटर कूलर की सुविधा उपलब्ध नहीं है, पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ता है।
4.20 ट्रेड के पास क्लास नहीं हैं, जिससे छात्रों को वर्कशॉप में पढ़ाई करनी पड़ती है। यहां ध्यान भंग
होता है।
5.18 साल से कम के छात्रों को डीएसटी के लिए कंपनियां नहीं लेती हैं, जिससे छात्र प्रशिक्षित नहीं
हो पाते हैं।
बोले शक्षिक व छात्र
आईटीआई में क्रेच की सुविधा होनी चाहिए। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्र आईटीआई परिसर में खोला जाना एक बेहतर माध्यम हो सकता है।
श्वेता, शिक्षिका
वेतनमान में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। प्राइमरी के शिक्षक से बड़ी क्लास में पढ़ाते हैं। इस लिहाज से वेतनमान को तय नहीं किया गया है।
कविता, शिक्षिका
आईटीआई परिसर में डिस्पेंसरी की सुविधा मिलनी चाहिए। साथ ही, महिला शिक्षकों के बैठने के लिए एक अलग कमरे की सुविधा होनी चाहिए।
ऋचा सिंह, शिक्षिका
वेतनमान में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। प्राइमरी के शिक्षक से बड़ी क्लास में पढ़ाते हैं। इस लिहाज से वेतनमान को तय नहीं किया गया है।
कविता, शिक्षिका
आईटीआई परिसर में डिस्पेंसरी की सुविधा मिलनी चाहिए। साथ ही, महिला शिक्षकों के बैठने के लिए एक अलग कमरे की सुविधा होनी चाहिए।
ऋचा सिंह, शिक्षिका
दो साल की पढ़ाई पूरी होने जा रही है। कभी ड्रिल मशीन का प्रयोग करने को नहीं मिला। बारिश में मशीनें खराब हो जाती है। वर्कशॉप की ज्यादातर मशीनें खराब हैं।
दिव्या, छात्रा
आईटीआई उत्तीर्ण करने के बाद सीटीआई के लिए एक साल तक इंतजार करना पड़ता है। सीटीआई की प्रवेश परीक्षा के फॉर्म मई में आते हैं।
खुशबू शर्मा, छात्रा
क्लास रूम और वर्कशॉप के कमरों की रंगाई-पुताई न होने से बदबू आती है। पढ़ाई लायक माहौल वर्कशॉप और क्लास रूम में नहीं है। व्यवस्था सुधरनी चाहिए।
अनिरुद्ध, छात्र
कानपुर से बाहर के जो छात्र आईटीआई में पढ़ रहे हैं, उनके लिए छात्रावास की सुविधा मिलनी चाहिए। शहर में रहने को किराए पर बहुत महंगे कमरे मिलते हैं।
रितेश, छात्र
खेलकूद की सुविधाएं भी होनी चाहिए। अभी खेल से संबंधित कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में कॉलेज प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है।
दीपक, छात्र
बोले जिम्मेदार
आईटीआई के जर्जर भवन के जीर्णोद्धार के लिए विभाग को एस्टीमेट बनाकर दिया गया है। स्वीकृति और बजट मिलने के बाद भवन की मरम्मत का कार्य कराया जाएगा। कॉलेज परिसर में कैंटीन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में भी विचार किया जाएगा। शौचालयों की मरम्मत का कार्य भी कराया जाएगा। साफ-सफाई के लिए स्वच्छकार कर्मियों को निर्देशित किया गया है। शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए शासन से पत्राचार किया गया है।
हरीश मिश्रा, प्रिंसिपल आईटीआई, पांडु नगर
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