Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Important decision of High Court regarding date of birth or death verification certificate SDM s order cancelled

जन्म या मृत्यु तिथि सत्यापन, प्रमाणपत्र को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला, एसडीएम का आदेश निरस्त

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जन्म और मृत्यु की डेट सत्यापन और प्रमाणपत्र को लेकर एक अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एसडीएम को मृत्यु की तिथि सत्यापन करने का अधिकार नहीं है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानTue, 18 Feb 2025 11:28 PM
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जन्म या मृत्यु तिथि सत्यापन, प्रमाणपत्र को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला, एसडीएम का आदेश निरस्त

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि एसडीएम को जन्म या मृत्यु तिथि के सत्यापन करने का अधिकार नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने एटा के एसडीएम सदर के आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही आदेश प्राप्ति के छह सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ एवं न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने एटा में शीतलपुर ब्लाक के अंबारी गांव निवासी संतोष कुमार की याचिका पर अधिवक्ता अरविंद कुमार सिंह और सरकारी वकील को सुनकर दिया है।

हाईकोर्ट ने वेलु बनाम मादाथी के मामले में मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के हवाले से कहा कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 की धारा 13(3) के अनुसार जन्म या मृत्यु का एक वर्ष के भीतर पंजीकरण नहीं किया गया है तो उसे केवल प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट द्वारा जन्म या मृत्यु की सत्यता की पुष्टि करने के बाद और उचित शुल्क के भुगतान पर ही पंजीकृत किया जाएगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जन्म या मृत्यु की सत्यता को सत्यापित करने के तरीके के संबंध में अधिनियम या नियमों के अंतर्गत कोई विशेष प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है। इस सत्यापन के लिए कोई विशेष प्रक्रिया निर्धारित नहीं होने का तात्पर्य यह है कि अधिनियम की धारा 13(3) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट का संबंध केवल जन्म या मृत्यु के सत्यापन से है।

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उपधारा (3) के अनुसार मजिस्ट्रेट को जन्म या मृत्यु की तिथि का सत्यापन करने या मृत्यु या जन्म की सटीक तिथि पर विवाद की स्थिति में जांच करने का अधिकार नहीं है। सत्यापन केवल जन्म या मृत्यु के तथ्य की सत्यता से संबंधित होना चाहिए। मजिस्ट्रेट को इस बात से संतुष्ट होना होगा कि जन्म या मृत्यु वास्तव में हुई थी। तिथि के संबंध में विवाद की स्थिति में मृत्यु या जन्म की सटीक तिथि तय करना धारा 13(3) के दायरे से बाहर है।

धारा 8 में उल्लिखित है कि कोई भी व्यक्ति जन्म या मृत्यु के पंजीकरण के लिए जानकारी देने को बाध्य है, वह उसके ज्ञान या यहां तक ​​कि विश्वास पर आधारित हो सकती है। यदि सत्यापन के बाद मजिस्ट्रेट इस बात से संतुष्ट नहीं है कि जन्म या मृत्यु वास्तव में हुई थी, तो उसे पंजीकरण का आदेश जारी करने से इनकार कर देना चाहिए। और यदि वह इस बात से संतुष्ट है कि जन्म या मृत्यु हुई थी तो उसे पंजीकरण का आदेश देना होगा। उसे जन्म या मृत्यु की सही तारीख से कोई सरोकार नहीं है। उसे आवेदक की आवश्यकता के अनुसार पंजीकरण करना होगा और यदि कोई पीड़ित पक्ष है तो उसे सिविल फोरम या किसी अन्य उचित फोरम में उपचार लेने के लिए छोड़ देना होगा।

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एडवोकेट अरविंद कुमार सिंह के मुताबिक याची के पिता लटूरी सिंह की 12 जनवरी 1987 को मृत्यु हो गई थी। आवश्यकता होने पर उसने 18 अक्टूबर 2023 को अपने दिवंगत पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए एटा के एसडीएम सदर को प्रार्थना पत्र दिया। एसडीएम ने बीडीओ शीतलपुर को एक सप्ताह में जांच कर सुस्पष्ट आख्या उपलब्ध कराने के आदेश दिए। बीडीओ ने वीडीओ जिरसिमी से आख्या प्राप्त की। वीडीओ ने मृत्यु दिनांक स्पष्ट न होने के कारण प्रमाण पत्र निर्गत करने से इनकार कर दिया।

बीडीओ ने यह आख्या ने एसडीएम सदर को भेज दी। दोनों पक्षों की दलील एवं साक्ष्यों को देखने के बाद एसडीएम ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना न्यायोचित न पाते हुए याची का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। जबकि याची ने साक्ष्य के रूप में ग्राम प्रधान द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र और पिता की मृत्यु के बाद वारिस के रूप में खतौनी की प्रविष्टि प्रस्तुत की थी। इसके बाद याची ने यह याचिका दाखिल कर एसडीएम सदर के आदेश को चुनौती दी थी।

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