485 किमी पैदल चलकर सचिन पहुंचे संगम, हाथरस से प्रयागराज महाकुंभ की पूरी की यात्रा
- महाकुम्भ में देश-विदेश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। हाथरस के टुकसान गांव के सचिन 10 दिन में 485 किलोमीटर पैदल यात्रा कर सोमवार की रात संगम पहुंचे। आस्था की डुबकी लगाने के बाद गंगा मइया का पूजन किया।
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महाकुम्भ में देश-विदेश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। हाथरस के टुकसान गांव के सचिन 10 दिन में 485 किलोमीटर पैदल यात्रा कर सोमवार की रात संगम पहुंचे। आस्था की डुबकी लगाने के बाद गंगा मइया का पूजन किया। सेक्टर 20 में लगे संत प्रवीन के शिविर में विश्राम कर सुबह पैदल अयोध्या प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए निकले। सचिन जय श्रीराम लिखे दो झंडे लिए हुए हैं। उन्होंने अपने 18 महीने के दिव्यांग बेटे की खुशहाली के लिए पैदल धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए मन्नत मांगी थी।
वह 24 जनवरी को अपने घर से पैदल महाकुम्भ के लिए निकल थे। सचिन ने बताया कि प्रतिदिन 40 से 45 किलोमीटर पैदल यात्रा करते हैं। रात में किसी ढाबे पर भोजन के बाद आराम करते हैं। सुबह आठ बजे से यात्रा शुरू करते हैं। संगम स्नान के बाद वह गंगा मइया का आशीर्वाद लेकर अयोध्या की यात्रा पर निकल पड़े। बताया कि प्रभु श्रीराम के दर्शन के बाद दो दिन आराम करेंगे। इसके बाद उज्जैन महाकाल दर्शन के लिए पैदल यात्रा शुरू करेंगे।
बताया कि बेटा दिवांक कमर और गर्दन से दिव्यांग है। इलाज के लिए कई अस्पतालों में गए। मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। मन्नतें मांगी। बेटा कुछ ठीक होने लगा तो पैदल यात्रा करने का संकल्प ले लिया। सचिन ने बताया कि चाहे जितने दिन लग जाएं, संकल्प पूरा करके ही घर लौटूंगा। कहा कि गंगा मइया का आशीर्वाद मिल गया है। अब उनके आशीष से यात्रा पूरी हो जाएगी।
रेलवे की चिकित्सा टीम ने किया इलाज
वसंत पंचमी स्नान पर्व पर रेलवे के चिकित्सा विभाग ने 1026 श्रद्धालुओं का उपचार किया। अब्जर्वेशन रूम में श्रद्धालुओं को रखा गया। स्थिति सामान्य होने के बाद इलाज के लिए उन्हें रेलवे और शहर के अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया। 11 जनवरी से तीन फरवरी तक 96390 श्रद्धालुओं को चिकित्सा सेवा प्रदान की गई। वहीं मंगलवार को झुंसी स्टेशन स्थित ऑब्जर्वेशन रूम और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर 278 श्रद्धालुओं का उपचार किया गया। रामबाग के ऑब्जर्वेशन रूम और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में 263 श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधाएं दी गई।