Electricity Workers Protest Privatization in Hapur Uttar Pradesh पूर्वांचल और दक्षिणांचल में बिजली के निजीकरण के विरोध में भड़के विद्युत कर्मी, Hapur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsHapur NewsElectricity Workers Protest Privatization in Hapur Uttar Pradesh

पूर्वांचल और दक्षिणांचल में बिजली के निजीकरण के विरोध में भड़के विद्युत कर्मी

Hapur News - - पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जनपदों में निजीकरण करने का जताया विरोध जताया विरोध - विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति हापुड़ ने सदर विद्यालय को

Newswrap हिन्दुस्तान, हापुड़Wed, 30 April 2025 03:29 AM
share Share
Follow Us on
  पूर्वांचल और दक्षिणांचल में बिजली के निजीकरण के विरोध में भड़के विद्युत कर्मी

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति हापुड़ ने पूर्वाचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 48 जनपदों में बिजली के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को मिनाक्षी रोड स्थित सदर विधायक के कैंप कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने निजीकरण के विरोध में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन विधायक विजयपाल आढ़ती को सौंपा।

समिति के जिलाध्यक्ष हेमंत कुमार सिंह ने कहा कि एक अप्रैल 2010 में आगरा शहर की विद्युत व्यवस्था निजी संस्था टोरेंट पावर कंपनी को फंचाइसी के रूप में सौंपी गई थी। उस समय उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अंतर्गत आगरा शहर का 220 करोड़ रूपए बिजली बिल का राजस्व बकाया था। निजी कंपनी के करार में यह शर्त है कि धनराशि टोरेंट पावर कंपनी वसूल कर पावर कॉरपोरेशन को देगी और पावर कॉरपोरेशन इसकी एवज में दस फीसदी प्रोत्साहन राशि देगी। लेकिन 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह धनराशि पावर कॉरपोरेशन को नहीं दी है।

जिला सचिव महेन्द्र कुमार प्रजापति ने बताया कि पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 41 हजार करोड़ और दक्षिणाचंल में 25 हजार करोड़ राजस्व बकाया है। लेकिन यहां भी आगरा वाली कहानी ही दोहराई जाती है तो पूर्वाचल और दक्षिणांचल में आने वाली निजी कंपनी 41 और 25 हजार करोड़ की धनराशि हड़प लेगी। निजी कंपनियों की नजर बिजली के बकाया राजस्व पर है। उन्होंने कहा कि 42 जनपदों में बिजली के निजीकरण के निर्णय उचित नहीं है, ऐसा प्रतीत होता है कि पावर कॉरपोरेशन में बैठे लोगों की निजी कंपनियों से साठगांठ है। इसलिए उच्च प्रबंधन निजीकरण की जिद्द पर अड़ा है, इससे प्रदेश को अपूर्णीय क्षति होने जा रही है।

उन्होंने गरीब, किसानों समेत हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए पूर्वांचल व दक्षिमांचल के 42 जनपदों में निजीकरण के फैसले को निरस्त किया जाए। वहीं निजीकरण से 26 हजार नियमित व 50 हजार संविदा कर्मियों की नौकरी जाएगी, जबकि अधिकारियों के डिमोशन होंगे। वहीं 76 हजार पद सरकारी पद समाप्त हो जाएगा। ऐसे में विद्युत विभाग में निजीकरण के फैसले को वापस लिया जाए। इस मौके पर जिला सचिव महेन्द्र कुमार प्रजापति, आफरोज खान, कोषाध्यक्ष लोकेन्द्र कुमार आदि शामिल रहे।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।