पीक आवर्स में महंगी हो सकती है बिजली, दरों को लेकर हो सकता है बड़ा बदलाव
- सभी राज्यों में पीक आवर्स यानी शाम 5 बजे से देर रात तक उपभोग की जाने वाली बिजली की दरें दिन की बिजली की अपेक्षा 15 से 20% तक महंगी हो सकती हैं। इसकी जद में अकेले यूपी से करीब 3.30 करोड़ उपभोक्ता आएंगे। यूपी के 15 लाख किसान उपभोक्ता इन महंगी दरों से अछूते रहेंगे।
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Electricity Rates: किसानों को छोड़ सभी श्रेणी के घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो सकती है। उत्तर प्रदेश के साथ सभी राज्यों में पीक आवर्स (शाम पांच बजे से देर रात तक) में उपभोग की जाने वाली बिजली की दरें दिन की बिजली की अपेक्षा 15 से 20% तक महंगी हो सकती हैं। इसकी जद में अकेले यूपी से करीब 3.30 करोड़ उपभोक्ता आएंगे। यूपी के 15 लाख किसान उपभोक्ता इन महंगी दरों से अछूते रहेंगे। इस संबंध में अंतिम फैसला राज्यों के नियामक आयोग द्वारा बिजली की दरें तय करने की सुनवाई के बाद होगा। फिलहाल, इसकी जोरशोर से तैयारी चल रही है।
स्लाट के हिसाब से छूट और जुर्माने का प्रस्ताव
भारत सरकार द्वारा 14 जून 2023 में जारी गजट में एक अप्रैल 2025 से ‘टाइम आफ द डे टैरिफ’ लागू करने की बात लिखी गई है। ‘टाइम आफ द डे टैरिफ’ स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं पर लागू होगा। जैसे-जैसे मीटर लगते जाएंगे, उपभोक्ता जद में आ जाएगा। इस आधार पर दरें तय करने को यूपी विद्युत नियामक आयोग के मसौदे में भी प्रावधान कर दिया गया है। लिखा है कि विद्युत वितरण लाइसेंसी केंद्र के विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) संशोधित अधिनियम-2023 के तहत ‘टाइम आफ द डे टैरिफ’ प्रस्ताव दे सकते हैं।
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पीक आवर्स क्या हैं
जब घरों में बिजली खपत अधिक रहती है उसे पीक आवर्स माना गया है। जब घरों में बिजली की खपत न्यूनतम रहती है, उसे नान पीक आवर्स की श्रेणी में रखा गया है।
यूपी में औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए लागू है व्यवस्था
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि 2023 में भारत सरकार ने विद्युत संशोधित अधिनियम-2023 लागू किया। यूपी में औद्योगिक बिजली एचबी-2 और एलएमवी-6 श्रेणी में यह व्यवस्था लागू है। प्रस्तावित व्यवस्था के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियां अधिक से अधिक लाभ कमाएंगी। घरेलू उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण होगा।
इंजीनियर्स फेडरेशन की बात
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इससे घरेलू उपभोक्ताओं पर बोझ आएगा। यह बिजली वितरण क्षेत्र की निजी कंपनियों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।