भैरव और भैरवी के बीच बढ़ीं नजदीकियां, जंगली ब्रीड का भेड़िया मिलने की उम्मीद
- जंगल के सबसे चालाक जानवरों में शुमार भेड़िए जल्दी पकड़ में नहीं आते हैं। इन भेड़ियों ने बहराइच में आंतक मचा रखा था। इसके बाद वन विभाग और रेस्क्यू करने वाली टीम ने इन्हें पकड़ा और बारी-बारी से दोनों को गोरखपुर चिड़ियाघर लाया गया। इन दोनों को अलग-अलग क्वारंटीन सेल में रखा गया था।
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Wolf in Gorakhpur Zoo: बहराइच से गोरखपुर लाए गए आदमखोर भेड़िए भैरव और भैरवी को करीब लाने की कोशिश की जा रही है। दोनों को अब तक अलग-अलग समय पर खाना दिया जा रहा था लेकिन अब उन्हें खाना एक साथ दिया जा रहा है। चिड़ियाघर प्रशासन का मानना है कि इससे दोनों के बीच और नजदीकियां बढ़ेंगी। अगर ऐसा होता है तो चिड़ियाघर को पूरी तरह से जंगली ब्रीड का भेड़िया मिल सकता है। चिड़ियाघर के अधिकारियों-कर्मचारियों की उम्मीद बढ़ गई है।
जंगल के सबसे चालाक जानवरों में शुमार भेड़िए जल्दी पकड़ में नहीं आते हैं। बहराइच में इन भेड़ियों ने आंतक मचा रखा था। इसके बाद वन विभाग और रेस्क्यू करने वाली टीम ने इन्हें पकड़ा और बारी-बारी से दोनों को गोरखपुर चिड़ियाघर लाया गया। इन दोनों को अलग-अलग क्वारंटीन सेल में रखा गया था। जब दोनों का स्वभाव शांत हुआ तो इन्हें एक ही बाड़े में रखा गया। दोनों एक बाड़े में आने के बाद निकलने के लिए नाइट सेल से नौ से दस फीट की छलांग लगाने लगे।
इस पर चिड़ियाघर प्रशासन को मुख्य बाड़े की दीवार को 11 फीट से ऊपर कराना पड़ा। इसके बाद भी दिन भर में 20 से 25 बार वह बाड़े से निकलने के लिए नौ से 10 फीट की छलांग लगाते हैं। अब दोनों को एक साथ ही रखा गया है। अब तक दोनों को अलग-अलग समय पर खाना दिया जाता था लेकिन दोनों के बीच नजदीकियों को देखते हुए एक साथ ही खाना दिया जा रहा है।
जान पहचान में नहीं हुई कोई दिक्कत
चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि दोनों एक ही इलाके के हैं। इसलिए इनके जान-पहचान में कोई दिक्कत नहीं हुई। भेड़ियों के बारे में कहा जाता है कि वह दूसरे के इलाके के नर और मादा को अपने इलाके में नहीं आने देते। न ही उनसे जान पहचान बढ़ाते हैं। ऐसी स्थिति में भैरव और भैरवी की जान पहचान यह बता रही है कि दोनों एक-दूसरे से वाकिफ हैं।