भाजपा संगठन चुनाव में लेनदेन की शिकायत मिली तो करेक्टर रोल खराब कर देंगे, केंद्रीय प्रेक्षक ने चेताया
भारतीय जनता पार्टी इस बार संगठन चुनाव को लेकर बेहद सख्त है। चुनाव में संगठनात्मक भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी है। गत दिवस हुई पश्चिम और बृज क्षेत्र की क्षेत्रीय चुनाव कार्यशालाओं के दौरान इसकी साफ झलक देखने को मिली।
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भारतीय जनता पार्टी इस बार संगठन चुनाव को लेकर बेहद सख्त है। चुनाव में संगठनात्मक भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी है। गत दिवस हुई पश्चिम और बृज क्षेत्र की क्षेत्रीय चुनाव कार्यशालाओं के दौरान इसकी साफ झलक देखने को मिली। दो टूक शब्दों में चुनाव प्रक्रिया से जुड़े लोगों को समझा दिया गया कि संगठन चुनाव पूरी ईमानदारी से कराएं। पैसे के लेनदेन या अन्य किसी प्रकार की शिकायत मिली तो खैर नहीं। नेताओं को चेता दिया गया कि गड़बड़ी करने वालों की सीआर (करेक्टर रोल) खराब हो जाएगी। जिसका असर उनकी आगे की राजनीति पर पड़ेगा।
भाजपा संगठन चुनाव की शुरुआत बूथों के गठन की प्रक्रिया से हुई थी। प्रदेश में तकरीबन 1.31 लाख बूथों के गठन का दावा किया गया है। अब मंडल अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके लिए मंगलवार को सभी छह क्षेत्रों में मंडल चुनाव कार्यशालाएं आयोजित की गई थीं। पश्चिम की बैठक राष्ट्रीय महामंत्री और केंद्रीय चुनाव प्रेक्षक विनोद तावड़े और बृज की बैठक पूर्व सांसद संजय भाटिया ने ली थी जबकि अवध क्षेत्र की बैठक महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने की थी।
तावड़े ने बैठक में तीखे तेवर दिखाए। कहा कि चुनाव प्रक्रिया में लगे सभी लोग अनुभवी हैं। संगठन चुनाव पूरी तरह ईमानदारी से और पारदर्शी ढंग से होने चाहिए। कहीं से लेनदेन या कोई अन्य शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। वहीं प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा. महेंद्रनाथ पांडेय भी चुनावी आचार संहिता को लेकर सजग हैं।
अवध की बैठक में महामंत्री संगठन की भी खरी-खरी
शब्द अलग थे किंतु संजय भाटिया ने बृज की बैठक में भी कुछ ऐसे ही तेवर दिखाए। स्पष्ट कर दिया कि ऐसी कोई शिकायत न मिले कि किसी ने किसी को मैनेज कर लिया है। शालीनता से समझा दिया कि गड़बड़ी मिली तो ठीक नहीं होगा। वहीं महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने अवध क्षेत्र की बैठक में भी स्पष्ट कर दिया था कि चुनाव प्रक्रिया को लेकर कोई शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। यह मान लें कि अच्छे ढंग से चुनाव कराना नेताओं के बायोडाटा का हिस्सा होगा। यह भी समझा दिया गया कि नेताओं की जेब के नामों की जगह संगठन की मजबूती को वरीयता दें।
कड़े रुख से पार्टी कार्यकर्ता खुश
दरअसल, कई जिलों और क्षेत्रों से मंडल अध्यक्ष चुनाव को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। खासतौर से पश्चिम और बृज से ऐसी शिकायतें अधिक हैं। इससे पहले निकाय चुनाव में भी जिलों और क्षेत्रीय स्तर पर गड़बड़ी और लेनदेन की तमाम शिकायतें नेतृत्व तक पहुंची थीं। मगर तब नीचे वाले अपनी खिचड़ी पकाने में सफल रहे थे। मगर पिछले अनुभवों से सबक लेकर पार्टी इस बार सजग है। नीचे वालों के हाथ में ज्यादा कुछ छोड़ा ही नहीं गया है। मंडल अध्यक्षों की जो घोषणा क्षेत्रीय स्तर से होती रही है, वो भी इस बार प्रदेश स्तर से की जाएगी। जिलाध्यक्षों का मामला तो दिल्ली दरबार तक जा सकता है। हालांकि पार्टी की इस सख्ती से कार्यकर्ता खुश हैं। उन्हें चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की उम्मीद जगी है। अब सबकी निगाहें उस पैनल पर जुड़ी हैं, जो प्रदेश को भेजा जाएगा।