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पाकिस्तान से तनाव के बीच लखनऊ में 11 से बनने लगेगी ब्रह्मोस, सबसे खतरनाक मिसाइलों में है शामिल

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ब्रह्मोस फैक्टरी का उद्घाटन 11 मई को करेंगे। इस मिसाइल को डीआरडीओ और रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया कंपनी ने तैयार किया है। यह एशिया की 10 सबसे खतरनाक और मारक मिसाइलों में एक है।

Ajay Singh ज्ञान प्रकाश, लखनऊThu, 1 May 2025 06:43 AM
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पाकिस्तान से तनाव के बीच लखनऊ में 11 से बनने लगेगी ब्रह्मोस, सबसे खतरनाक मिसाइलों में है शामिल

पहलगाम आंतकी हमले के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव की स्थिति लगातार बनी हुई है। वहीं डिफेंस कॉरिडोर सरोजनीनगर लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल की फैक्‍ट्री तैयार है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ब्रह्मोस फैक्टरी का उद्घाटन 11 मई को करेंगे। मिसाइल को डीआरडीओ और रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया कंपनी ने तैयार किया है। यह एशिया की 10 सबसे खतरनाक और मारक मिसाइलों में एक है। रक्षामंत्री सरोजनीनगर के डिफेंस कॉरिडोर में एक और आयुध फैक्ट्री का उद्घाटन करेंगे। ब्रह्मोस पिछले 18 साल से सेवा में है। नेवी, एयरफोर्स और थल सेना के पास ब्रह्मोस की ताकत है।

इसमें 200 से अधिक मिश्रधातु, एल्युमिनियम, टाइटेनियम, 23 तरह की रबड़, 50 से 60 तरह के लुब्रिकेंट सहित एक हजार से ज्यादा छोटे-बड़े पार्ट इस्तेमाल होते हैं। इनका उत्पादन एमएसएमई कर रहे हैं। इस सुपर सॉनिक मिसाइल को युद्धपोत, पनडुब्बी, लड़ाकू विमान और जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मास्कोवा नदी पर आधारित है। ये खराब मौसम में भी दिन और रात में काम कर सकती है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

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हैदराबाद में बन रही मिसाइल

ब्रह्मोस मुख्यालय की आधारशिला 23 सितम्बर 2002 को दिल्ली में रखी गई थी। इसके बाद दिसम्बर 2004 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के तत्कालीन रक्षामंत्री प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में उद्धाटन किया था। यह कार्पोरेट मुख्यालय के साथ डिजाइन सेंटर है। हैदराबाद स्थित ब्रह्मोस इंटीग्रेशन कॉम्प्लेक्स में उत्पादन इकाई है। वहीं, दिसंबर 2007 में स्थापित हुई तिरुवनंतपुरम की इकाई में इसरो, डीआरडीओ, बीएआरसी आदि की जरूरतों के लिहाज से उत्पादन कार्य होता है।

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ब्रह्मोस मिसाइल की खासियतें

- मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है। यह मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की उच्च गति के साथ विश्व की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है।

- 1 मार्च 2017 को ब्रह्मोस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले संस्करण का परीक्षण हुआ था। जमीन पर 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस ने सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया था। यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है।

- यह हवा में ही मार्ग बदलकर चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है। इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है। यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है व रडार और अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है।

- अमेरिका की टॉम हॉक से लगभग दोगुनी अधिक तेजी से वार करने वाली यह मिसाइल हवा को खींचकर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।

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