राजस्थान सरकार ने बदला 132 साल पुरानी झील का नाम, कहा- गुलामी का एक और प्रतीक कम हुआ
- राज्य सरकार ने अजमेर के 113 वर्ष पुराने किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम भी बदलकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी के नाम पर महर्षि दयानंद सरस्वती मेमोरियल विश्रांति गृह कर दिया है।
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राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने अजमेर की 132 साल पुरानी फॉय सागर झील का नाम बदलकर 'वरुण सागर' झील कर दिया है। राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद अजमेर नगर निगम ने इस बारे में आदेश भी जारी कर दिया है। वरुण देव हिंदू समाज खासकर सिंधी समाज के लिए बेहद पूजनीय है। इस बात की जानकारी देते हुए विधानसभा अध्यक्ष और अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि पुराना नाम गुलामी की निशानी था।
समाचार एजेंसी आईएएनएल से बात करते हुए उन्होंने बताया कि 'आजादी के लगभग 77 साल बाद भी अजमेर में कुछ गुलामी के प्रतीक बने हुए थे,जिसके कारण से लग रहा था यह प्रतीक हमारे मन में कहीं न कहीं गुलामी की मानसिकता पैदा कर रहे हैं। इस हेतु नाम बदलने का निर्णय लिया गया।'
आगे उन्होंने बताया, 'लगभग 132 साल पहले फॉय नाम के एक इंजीनियर इस झील का निर्माण किया था, उसी के नाम के आधार पर इसका नाम फॉय सागर चलता रहा। अब सरकार ने उसका नाम वरुण सागर के नाम पर किया है। वरुण देवता सिंधी समाज के और बाकी सब समाजों के आराध्य देव रहे हैं, और उनके नाम से अब इस झील को वरुण सागर के नाम से जाना जाएगा।'
आगे उन्होंने कहा, 'हमारी कोशिश रहेगी कि यहां पर वरुण देवता की एक बड़ी मूर्ति भी लगाई जाए और इस समाज का एक घाट भी बनाएं, जहां पर ये हर चालियों की समाप्ति (सिंधी त्योहार) के बाद आकर पूजन भी करते हैं। साथ ही यह भी कोशिश रहेगी कि अजमेर झीलों की नगरी के रूप में विकसित हो।'
अजमेर की फॉयसागर झील को नया नाम देने को लेकर देवनानी ने सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार भी जताया। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'अजमेर की फॉयसागर झील का नामकरण वरुण सागर किए जाने पर मैं मुख्यमंत्री श्री भजनलाल जी शर्मा और राज्य सरकार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। विगत 1 वर्ष में अजमेर में विकास की यात्रा को अभूतपूर्व गति मिली है, वहीं कई सकारात्मक परिवर्तनों के माध्यम से विरासतों को सहेजने का कार्य भी प्राथमिकता से किया गया है।'
अपनी पोस्ट में विधानसभा अध्यक्ष ने आगे बताया, 'पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय अकबर के किले का नाम अजमेर का किला किया गया। वहीं इस 1 साल में होटल खादिम का नाम होटल अजयमेरू, किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम महर्षि दयानंद विश्रांति गृह और फॉयसागर झील का नाम वरूण सागर झील किया गया है। हमें हमारी विरासत पर गर्व है। यह विरासतें हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति की द्योतक है, जिन्हें संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।'
वहीं इससे पहले की अपनी एक अन्य पोस्ट में देवनानी ने किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम बदले जाने को लेकर लिखा था, 'विकास भी और विरासत भी, विकसित भारत की संकल्पना का मूल मंत्र है। अजमेर के 113 वर्ष पुराने किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम गुलामी की मानसिकता को दर्शा रहा था, मुझे प्रसन्नता है कि उसका नाम अब महर्षि दयानंद सरस्वती जी के नाम पर किया गया है। अजमेर से महर्षि दयानंद सरस्वती जी का गहरा रिश्ता रहा है, उनका निर्वाण भी यही हुआ था और उन्होंने यहीं पर परोपकारिणी सभा की स्थापना की थी। राज्य सरकार का यह निर्णय महर्षि दयानंद जी को श्रद्धांजलि देने के साथ भारतीय संस्कृति के सम्मान की दिशा में बड़ा कदम है।'
बता दें कि मंगलवार को महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती है, और इस मौके पर उनकी याद में अजमेर के किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम भी बदलकर अब महर्षि दयानंद सरस्वती मेमोरियल विश्रांति गृह कर दिया गया है।