उसे खोना नहीं चाहता...डॉक्टर ने जब्त कार को बताया दिल के करीब, दिल्ली HC ने दी राहत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक डॉक्टर के अपनी कार के प्रति लगाव को देखते हुए उसे रिलीज करने के आदेश दिए हैं। डॉक्टर ने याचिका दायर कर कहा था कि उनकी शेवरले कार की 15 साल की उम्र पूरी हो चुकी है। उनकी कार क्लीनिक के बाहर खड़ी थी। इसको नगर निगम उठाकर ले गया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक डॉक्टर के अपनी कार के प्रति लगाव को देखते हुए उसे रिलीज करने के आदेश दिए हैं। कार की 15 साल की उम्र पूरी होने पर नगर निगम ने इसे जब्त कर लिया था, लेकिन डॉक्टर की याचिका के तथ्यों को देखते हुए उसे छोड़ने के आदेश दिए गए हैं। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने डॉक्टर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि जीवन समाप्त कर चुके वाहन को स्क्रैप ना करें। इस वाहन को उसके मालिक को सौंपते समय निर्धारित प्रक्रिया का पालन करें।
दरअसल, डॉक्टर ने याचिका दायर कर कहा था कि उनकी शेवरले कार की 15 साल की उम्र पूरी हो चुकी है। उनकी कार क्लीनिक के बाहर खड़ी थी। इसको नगर निगम उठाकर ले गया है। इस कार से उनके परिवार की बहुत सी यादें जुड़ी हैं। वह इसको खोना नहीं चाहते। वह अपनी कार को अपनी यादों की धरोहर के तौर पर अपनी निजी संपति पर संभाल कर रखना चाहते हैं। वह हर वो शर्त मानने को तैयार हैं, जो सरकार अथवा अन्य संबंधित विभागों द्वारा इस तरह के मामलों में लागू की गई हैं।
जुर्माना देना होगा
पीठ ने सरकार द्वारा निर्धारित नियम के अनुसार चार पहिया कार को छोड़ने के एवज में दस हजार का हर्जाना जमा कराने के निर्देश दिए। डॉक्टर को कहा कि वह हलफनामा दाखिल कर आश्वासन दें कि कार के रिलीज होने के बाद वह इसे सड़क या गली में नहीं चलाएंगे। सार्वजनिक स्थल अथवा पार्किंग में खड़ा नहीं रखेंगे, बल्कि इस अपनी निजी संपति पर ताउम्र संजोंकर रखेंगे। इस वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र निगम में जमा कराना होगा।