हिमालय से नजदीकी, तीन फॉल्ट लाइनों की मौजूदगी; क्यों दिल्लीवाले महसूस करते रहते हैं भूकंप के झटके
दिल्ली में सोमवार सुबह आया भूकंप प्लेट टेक्टोनिक्स की वजह से नहीं बल्कि भूगर्भीय विशेषताओं में प्राकृतिक रूप से होने वाले बदलाव का परिणाम है। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने यह बात बताई।
दिल्ली में सोमवार सुबह आया भूकंप प्लेट टेक्टोनिक्स की वजह से नहीं बल्कि भूगर्भीय विशेषताओं में प्राकृतिक रूप से होने वाले बदलाव का परिणाम है। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने यह बात बताई। भूकंप की वजह राजधानी का हिमालय के दक्षिण में स्थित होना और तीन एक्टिव फॉल्ट लाइनों की मौजूदगी है। मतलब शहर ऐसी जगह पर है जो सिस्मिकली (भूकंप के लिहाज से) एक्टिव क्षेत्र है।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के डेटा से पता चलता है कि इस क्षेत्र में 1993 से 2025 के बीच सोमवार के भूकंप के केंद्र के 50 वर्ग किलोमीटर के दायरे में 446 भूकंप दर्ज किए गए हैं। 1.1 से 4.6 की तीव्रता वाले ये झटके इस क्षेत्र की हाई सिस्मिक गतिविधि को दिखाते हैं। दिल्ली की संवेदनशीलता में योगदान देने वाला पहला कारण सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइनों की मौजूदगी है। इसके अलावा, दिल्ली के चारों ओर बसे हरियाणा में सात फॉल्ट लाइनें हैं, जो राजधानी में सिस्मिक डिस्टरबेंस के खतरे को और बढ़ाते हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों में वर्गीकृत करता है, जोन II (कम तीव्रता) से लेकर जोन V (बहुत गंभीर)। दिल्ली और एनसीआर जोन चार में आते हैं, जो एक 'गंभीर' भूकंपीय जोखिम को दर्शाता है। इसका मतलब है कि इस क्षेत्र में भूकंप असामान्य नहीं हैं, और सोमवार का झटका कोई असामान्य बात नहीं है। दिल्ली की हिमालय से निकटता, जो जोन V में आती है, इसे पर्वतीय क्षेत्र में बड़े भूकंपों के बाद के झटकों के लिए भी संवेदनशील बना देती है।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के पूर्व प्रमुख एके शुक्ला ने कहा, 'दिल्ली और एनसीआर भूकंपीय क्षेत्र चार में हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में कई फॉल्ट लाइन हैं। ये फॉल्ट लगातार एनर्जी छोड़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप यहां अक्सर हल्के भूकंप आते रहते हैं, जो कई बार महसूस नहीं होते। इसके अलावा, दिल्ली की हिमालय क्षेत्र से निकटता, जो जोन V में है, इसे विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है। अगर हिमालय में 8 या उससे अधिक की तीव्रता वाला कोई बड़ा भूकंप आता है, तो इससे दिल्ली में काफी नुकसान हो सकता है।'
एनसीएस के पूर्व प्रमुख जेएल गौतम ने कहा, 'धौला कुआं के नीचे कठोर चट्टानें हैं, जो भूकंपीय तीव्रता को कम कर सकते हैं। इसके उलट, लोधी रोड जैसे क्षेत्रों में लूज (ढीली) मिट्टी है, जो भूकंप के झटकों को बढ़ा सकती है। हालांकि, डेटा से पता चलता है कि दिल्ली में फॉल्ट लाइन्स बहुत सक्रिय नहीं हैं, यही वजह है कि हाल ही में आए ज्यादातर भूकंप 5 तीव्रता से कम रहे हैं।S