जन कल्याण या राजनीतिक आकाओं में से एक चुनें; आतिशी को LG के लेटर का AAP ने दिया जवाब
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल का यह आरोप कि यमुना के पानी में 'जहर' मिलाया जा रहा है और राष्ट्रीय राजधानी में 'नरसंहार का प्रयास' हो रहा है, बेहद आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है। इसपर पार्टी ने पलटवार किया है।
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दिल्ली में इन दिनों यमुना में कथित तौर पर जहर मिलाने के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इसे लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का यह आरोप कि यमुना के पानी में 'जहर' मिलाया जा रहा है और राष्ट्रीय राजधानी में 'नरसंहार का प्रयास' हो रहा है, बेहद आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला है। पलटवार करते हुए आप ने कहा कि उपराज्यपाल को जन कल्याण और अपने 'राजनीतिक आकाओं' में से किसी एक को चुनना होगा।
एलजी सक्सेना ने मीडिया में आईं खबरों का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार पर यमुना नदी में जहर मिलाने और दिल्ली में ‘'नरसंहार' का प्रयास करने के केजरीवाल के आरोप 'अत्यंत आपत्तिजनक, दुर्भाग्यपूर्ण और अवांछनीय' हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा, 'पेयजल जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जहर मिलाने और नरसंहार के प्रयास के झूठे, भ्रामक, गैर-तथ्यात्मक आरोप लगाना तथा किसी अन्य राज्य सरकार के खिलाफ जनता को भड़काने का प्रयास करना न केवल संबंधित राज्यों के लिए, बल्कि राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भी खतरा है।'
एलजी ने कहा कि केजरीवाल के लिए 'भ्रामक और तथ्यहीन' बयान देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन उनके इस 'सरासर झूठे' दावे से न केवल दिल्ली के लोगों में 'भ्रम और भय' पैदा होने की संभावना है, बल्कि इससे दो पड़ोसी राज्यों के बीच बैरभाव भी पैदा हो सकता है। यमुना में हर साल होने वाली अमोनिया की समस्या का दस वर्ष में सार्थक उपाय किए जा सकते थे, लेकिन कुछ नहीं किया और अब इस संवेदनशील समय में अपनी असफलता का दोष आदतन दूसरे प्रदेश पर थोप कर जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।
सक्सेना के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आप ने दावा किया कि यमुना में अमोनिया का स्तर खतरनाक स्तर 7.2 पीपीएम तक पहुंच गया है - जो स्वीकार्य सीमा से 700 प्रतिशत अधिक है। फिर भी सक्सेना इस गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट पर कार्रवाई करने में 'विफल' रहे हैं। पार्टी ने कहा, 'अगर वह पक्षपातपूर्ण राजनीति से ऊपर नहीं उठ सकते तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। यह राजनीति की बात नहीं है। यह जिंदगियां बचाने की बात है।'