10 महीने तक डंकी रूट पर भटका, 42 लाख का कर्ज; अमेरिका से निकाले गए भारतीयों के साथ क्या-क्या हुआ
- कनुभाई पटेल की बेटी भी निर्वासित लोगों में शामिल है। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने यूरोप गई थी।
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अमेरिका का एक सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर बुधवार दोपहर अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इन निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किये गये लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं।
35 वर्षीय सुखपाल सिंह अमेरिका से डिपोर्ट, परिवार को गहरा झटका
पंजाब के होशियारपुर जिले के दारापुर गांव के रहने वाले 35 वर्षीय सुखपाल सिंह के अमेरिका से डिपोर्ट होने की खबर ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। बुधवार को सुखपाल उन 104 भारतीयों में शामिल थे जिन्हें अमेरिका से वापस भारत भेजा गया। परिवार का कहना है कि वे इस खबर से हैरान हैं क्योंकि उनकी जानकारी के अनुसार सुखपाल इटली में थे, जहां उन्हें वर्क परमिट पर भेजा गया था। सुखपाल होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएट हैं और उनके पिता प्रेमपाल सिंह शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि परिवार ने उन्हें इटली में सेटल करने की पूरी तैयारी कर ली थी।
प्रेमपाल सिंह ने कहा, "हमने इटली में उनके काम की व्यवस्था की थी और हमें बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी कि उन्होंने बाद में अमेरिका जाने का फैसला किया। यह खबर हमारे लिए बेहद चौंकाने वाली है।" फिलहाल सुखपाल के परिवार को यह समझने की कोशिश है कि आखिर उन्होंने इटली छोड़कर अमेरिका क्यों जाने का निर्णय लिया और उन्हें डिपोर्ट क्यों किया गया।
गुजरात के 33 लोगों को किया गया है निर्वासित
सूत्रों ने बताया कि गुजरात के लोगों में से ज्यादातर लोग मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन, वडोदरा और खेड़ा जिलों से हैं। उम्मीद है कि वे बृहस्पतिवार को अपने पैतृक स्थानों पर पहुंच जाएंगे।
कनुभाई पटेल की बेटी भी निर्वासित लोगों में शामिल है। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने यूरोप गई थी। मेहसाणा जिले के चंद्रनगर-दभला गांव के निवासी पटेल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि यूरोप पहुंचने के बाद उसने क्या योजना बनाई। आखिरी बार हमने उससे 14 जनवरी को बात की थी। हमें नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची।’’
अमेरिका से निर्वासित लोगों में एक महिला वडोदरा जिले के लूना गांव की है। उनके चाचा प्रवीण पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि वह एक महीने पहले अमेरिका गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘वह गांव में ही रहती है। एक साल पहले उसकी शादी हुई थी और वह पिछले महीने अमेरिका गई थी। हमें केवल इतना पता है कि उसे निर्वासित कर दिया गया है। हमें उसके निर्वासन के पीछे का कारण नहीं पता है।’’
पुलिस उप महानिरीक्षक (सीआईडी-क्राइम) परीक्षिता राठौड़ ने कहा कि पुलिस इस स्तर पर निर्वासितों से पूछताछ नहीं करेगी। पूर्व में गुजरात पुलिस ने अवैध तरीकों से लोगों को अमेरिका और कनाडा भेजने वाले आव्रजन एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की थी। गांधीनगर के डिंगुचा गांव का एक परिवार 2022 में कनाडा से अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते समय ठंड से मर गया।
जनवरी 2022 में अमेरिका-कनाडा सीमा पर, जगदीश पटेल, उनकी पत्नी और उनके दो बच्चों की बर्फानी तूफान के बीच अत्यधिक ठंड के संपर्क में आने के कारण मृत्यु हो गई थी। बाद में पुलिस ने इस मामले में तीन एजेंट योगेश पटेल, भावेश पटेल और दशरथ चौधरी को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने इसी नेटवर्क के जरिए सात अन्य लोगों को कनाडा भेजा था।
झूठे वादों में फंसा परिवार, 10 महीने तक डंकी रूट पर भटका हरविंदर, 42 लाख के कर्ज तले दबा परिवार
पंजाब के होशियारपुर जिले के थलिया गांव के रहने वाले 40 वर्षीय हरविंदर सिंह की पत्नी कुलजिंदर कौर ने एक धोखेबाज ट्रैवल एजेंट के खिलाफ आवाज उठाई है। यह एजेंट उनके पति को अमेरिका तक सुरक्षित और जल्दी पहुंचाने का झूठा वादा कर फंसाने का काम कर रहा था। इसके बजाय हरविंदर को जानलेवा ‘डंकी रूट’ पर धकेल दिया गया, जहां उन्होंने 10 महीने की खौफनाक यात्रा झेली। इस पूरी घटना ने परिवार को 42 लाख रुपये के भारी कर्ज में डुबो दिया है।
कुलजिंदर ने बताया कि गरीबी ने उनके पति को विदेश में बेहतर भविष्य की तलाश करने के लिए मजबूर किया था, लेकिन उन्होंने कभी भी अवैध रास्ता अपनाने की योजना नहीं बनाई थी। एजेंट ने आश्वासन दिया था कि हरविंदर महज 15 दिनों में अमेरिका पहुंच जाएंगे, जिसके लिए उसने 42 लाख रुपये की मांग की थी। इस रकम को जुटाने के लिए परिवार ने अपनी एकमात्र एकड़ जमीन गिरवी रख दी और निजी साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लिया।
भावुक स्वर में कुलजिंदर ने कहा, "10 महीनों तक मेरे पति को एक देश से दूसरे देश में भटकाया गया। पहले उन्हें करीब डेढ़ महीने तक ब्राजील में रखा गया, फिर चीन सहित कई अन्य देशों से गुजारा गया। ऐसा लग रहा था मानो उन्हें किसी शतरंज के मोहरे की तरह इधर-उधर भेजा जा रहा हो।" परिवार अब कर्ज और धोखाधड़ी के इस मामले में न्याय की मांग कर रहा है।
हरविंदर ने आखिरी बार 15 जनवरी को उनसे बात की थी, जिस दिन वह मैक्सिको से अमेरिका में घुसने करने की तैयारी कर रहे थे। हरविंदर पिछले साल अप्रैल में घर से चले गए थे और जनवरी के मध्य तक अपने परिवार के संपर्क में रहे। अब वह बुधवार को अमेरिका से वापस भेजे गए 104 निर्वासितों में से एक हैं।