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3 साल से जंग लड़ते रूस और यूक्रेन के संत पहुंचे महाकुंभ; संगम नगरी में पढ़ा रहे शांति का पाठ

  • संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में दुनिया के अलग-अलग देशों से हजारों श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं। इस बीच रूस और यूक्रेन से दर्जनों आए श्रद्धालु एक ही टेंट में रह कर शांति की प्रार्थना कर रहे हैं।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, प्रयागराजThu, 23 Jan 2025 02:45 PM
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3 साल से जंग लड़ते रूस और यूक्रेन के संत पहुंचे महाकुंभ; संगम नगरी में पढ़ा रहे शांति का पाठ

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए अब लगभग तीन साल का समय बीत चुका है। फिलहाल इस जंग के खत्म होने के आसार भी नहीं नजर आ रहे हैं। हालांकि सभी दूरियों और मतभेदों को दूर रखते हुए रूस और यूक्रेन के दर्जनों श्रद्धालु महाकुंभ मेले में जुटे हैं। महाकुंभ में दोनों देशों से आए लोग शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। वहीं यूक्रेन के स्वामी विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज और रूस से आईं आनंद लीला माता प्रयागराज में महाकुंभ मेले में एक ही मंच से शांति का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। इस शिविर में फिलहाल यूक्रेन और रूस के 70 से ज्यादा लोग एक साथ रह रहे हैं और 100 और लोगों के आने की उम्मीद है।

आनंद माता को पहले ओल्गा के नाम से जाना जाता था। वह पश्चिमी रूस के निजनी नोवगोरोड से हैं। उन्होंने बताया कि वह पांचवीं बार कुंभ मेले में हिस्सा रही हैं। उन्होंने बताया, “पहली बार मैं महामंडलेश्वर पायलट बाबाजी के निमंत्रण पर यहां आई थी। 2010 में मैंने महामंडलेश्वर का दर्जा स्वीकार किया। तब से मैं हर बार यहां आती हूं।"

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आनंद माता ने कहा, "कुंभ मेला साधु संस्कृति में खुद को डुबोने और शांति का संदेश फैलाने का एक अनूठा अवसर है।” उन्होंने आगे कहा, “मैं यहां अपने छात्रों को सनातन धर्म की संस्कृति दिखाने, अद्वैत वेदांत, शैव धर्म और योग की शिक्षा देने के लिए आती हूं।" आनंद माता ने आगे कहा, "जब रूस और यूक्रेन के लोग एक साथ बैठते हैं तो यह एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे आध्यात्म लोगों को एकजुट कर सकता है।"

वहीं स्वामी गिरिजी और आनंद माता पायलट बाबा के शिविर में प्रवचन देते हैं। यहां दुनिया के अलग-अलग देशों से आए भक्त उनके प्रवचन को सुनने के लिए आते हैं। गिरिजी महाराज पूर्वोत्तर यूक्रेन के खार्किव शहर से हैं और अब जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "विश्व शांति के लिए मेरा संदेश दो शब्दों में व्यक्त किया गया है, लोकसंग्रहम (सार्वभौमिक भलाई) और अरु पडै (सार्वभौमिक ज्ञान)।

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