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किसके पास सुप्रीम पावर वाली बहस में फिर कूदे कपिल सिब्बल, उपराष्ट्रपति को जवाब

  • सुप्रीम पावर वाली बहस पर कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'ना ही संसद और ना ही कार्यपालिका सुप्रीम है। संविधान ही सुप्रीम है। संविधान के प्रावधानों की ही सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या की है। यही कानून है, जो अब तक देश ने समझा है।'

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 22 April 2025 05:04 PM
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किसके पास सुप्रीम पावर वाली बहस में फिर कूदे कपिल सिब्बल, उपराष्ट्रपति को जवाब

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज फिर से सुप्रीम कोर्ट, सरकार और संसद वाली बहस में बयान दिया तो कपिल सिब्बल का भी तुरंत ही जवाब आ गया। उपराष्ट्रपति ने आज एक कार्यक्रम में कहा कि लोकतंत्र में संसद ही सुप्रीम है और उसके ऊपर कोई भी अथॉरिटी नहीं है। उन्होंने कहा था कि संविधान कैसा होना चाहिए, यह तय करने का अधिकार सिर्फ सांसदों का है। इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। अब इस सुप्रीम पावर वाली बहस पर कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'ना ही संसद और ना ही कार्यपालिका सुप्रीम है। संविधान ही सुप्रीम है। संविधान के प्रावधानों की ही सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या की है। यही कानून है, जो अब तक देश ने समझा है।'

इस बीच कपिल सिब्बल पर सोशल मीडिया पर हमले भी हो रहे हैं। कई यूजर्स ने एक्स पर उनका 6 अगस्त, 2022 का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुझे सुप्रीम कोर्ट नाम की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा था कि अदालत में जज बिठाए जाते हैं और उसकी व्यवस्था गलत है। चीफ जस्टिस तय करता है कि कौन सा केस किसे मिलेगा। ईडी और उसे मिली शक्तियों को लेकर कपिल सिब्बल ने कहा था कि कानून कहता है कि जिसे गिरफ्तार किया गया है, वही सबूत देगा कि मैं बेगुनाह हूं। ऐसे मनमाने कानून को सुप्रीम कोर्ट ने सही करार दिया है तो आप उससे कैसी उम्मीद रखेंगे। इस तरह उनके सुप्रीम कोर्ट पर ही सवाल उठाने वाले वीडियो को लोग दोबारा शेयर कर रहे हैं और उन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं।

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बता दें कि यह बहस बीते सप्ताह तब शुरू हुई थी, जब तमिलनाडु में 10 विधेयकों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था, उस पर जगदीप धनखड़ ने आपत्ति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राष्ट्रपति को भी तीन माह के भीतर विधेयकों पर फैसला लेना होगा। यदि वह खारिज करते हैं तो कारण बताना होगा और तीन महीने में फैसला न कर पाने पर उन्हें स्वत: मंजूर माना जाएगा। इसी फैसले की आलोचना उपराष्ट्रपति ने की थी और कहा था कि आज जज संसद को चलाना चाहते हैं। ऐसे दिन की हमने लोकतंत्र में कल्पना नहीं की थी। उनके इस बयान पर भी कपिल सिब्बल ने हमला बोला था और कहा था कि वे सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की बात कर रहे हैं।

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