पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नाम से पाकिस्तान में है स्कूल, गांव वाले आज भी क्यों देते हैं धन्यवाद
- मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के पीएम रहे हैं। लालकृष्ण आडवाणी की तरह ही वह भी ऐसी शख्सियत रहे हैं, जिनका ताल्लुक भारत के अलावा पाकिस्तान से भी रहा है। उन्होंने विभाजन का दर्द सहा तो भारत की आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को भी लागू किया।
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भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह आज 92 साल के हो गए हैं। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी, नेता विपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस लीडर मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई बड़े नेताओं ने शुभकामनाएं दी हैं। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के पीएम रहे हैं। लालकृष्ण आडवाणी की तरह ही वह भी ऐसी शख्सियत रहे हैं, जिनका ताल्लुक भारत के अलावा पाकिस्तान से भी रहा है। उन्होंने विभाजन का दर्द सहा तो भारत की आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को भी लागू किया। मनमोहन सिंह का जन्म पंजाब के चकवाल जिले के गाह गांव में हुआ था।
उनके भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान में काफी चर्चाएं हुई थीं। यही नहीं 2007 में पाकिस्तान के पंजाब की तत्कालीन सरकार ने गाह गांव को आदर्श ग्राम के तौर पर विकसित करने का ऐलान किया था। इसके अलावा गाह गांव में बने गवर्नमेंट बॉयज स्कूल का नाम उन पर रखा गया था। अब इसे मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल के नाम से जाना जाता है। यही नहीं उनके पीएम रहने के दौरान गांव के लोगों ने मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया था। गांव के रहने वाले राजा मोहम्मद अली ने कहा था कि हम उन्हें यहां आने का न्योता देते हैं। यही नहीं वे खुद भारत आए तो मनमोहन सिंह और उनके परिवार से मिलकर गए थे।
यदि मनमोहन सिंह आएंगे तो हमें खुशी होगी। हम उन्हें बाजरे की रोटी खिलाएंगे। मनमोहन सिंह और उनका परिवार विभाजन के बाद भारत आ गए थे। उनके गांव में सिखों और हिंदुओं की बड़ी आबादी थी, लेकिन बड़े पैमाने पर हिंसा भड़की तो लोग किसी तरह जान बचाकर निकले। अब जिस स्कूल का नाम मनमोहन सिंह गवर्नमेंट स्कूल है, वहीं पर पूर्व पीएम ने पढ़ाई की थी। हिंसा भड़की तो मनमोहन सिंह के अलावा उनके साथ पढ़ने वाले कई अन्य लोगों के परिवार भी भारत आ गए। आज ये लोग अंबाला, अमृतसर और दिल्ली जैसे भारत के अलग-अलग शहरों में बसे हैं।
दोस्त बोले- आज मनमोहन सिंह की वजह से ही गांव में सबकुछ
पाकिस्तान के ही गाह गांव में रह रहे उनके क्लासमेट राजा मोहम्मद अली ने बताया था कि वह और मनमोहन सिंह पहली से चौथी क्लास तक साथ पढ़े थे। इसके बाद मनमोहन सिंह चकवाल कस्बे में पढ़ने लगे थे और फिर विभाजन के बाद उनके परिवार ने भारत पलायन कर लिया। उनके गांव के लोग आज भी मनमोहन सिंह को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि उनके चलते ही आदर्श ग्राम बन गया। राजा मोहम्मद अली ने कहा था, 'उस एक शख्स के चलते गांव में डबल रोड हैं। स्ट्रीट लाइट्स हैं। लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग दो स्कूल हैं। दो अस्पताल भी बन गए हैं। इसके अलावा मस्जिदों से लेकर मकानों तक को पक्का कराया गया है।'