21वीं सदी की सबसे बड़ी भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील, भारत में ताबड़तोड़ रिएक्टर लगाएगा US
- यूपीए सरकार में 2005 में भारत और अमेरिका के बीच हुई न्यूक्लियर डील 2008 में ठंडे बस्ते में चली गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने इस डील को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 16 साल पहले दोनों देशों के बीच हुए ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते के तहत भारत में अमेरिकी डिजाइन वाले परमाणु रिएक्टरों के निर्माण को सुविधाजनक बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया। 2008 में ऐतिहासिक डील होने के बाद पहली बार है जब दोनों देशों ने इस दिशा में तेजी से आगे काम करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और पूरे संकेत भी दिए हैं। भारत और अमेरिका के बीच यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी डील कही जा सकती है। इस डील को फाइनल यूपीए सरकार में ही किया गया था। हालांकि अब तक इसे जमीन पर उतारने का काम नहीं हो सका अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ में गुरुवार को ट्रंप और मोदी ने अपनी बातचीत में ऊर्जा सहयोग को मजबूती से आगे बढ़ाने का फैसला किया।
असैन्य परमाणु समझौते ने अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को बदल दिया और इसने विशेष रूप से और इससे रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करने के रास्ते खुल गए हैं। दोनों नेताओं के संयुक्त बयान के अनुसार, ‘ट्रंप और मोदी ने बड़े पैमाने पर स्थानीयकरण और संभावित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से भारत में अमेरिका द्वारा डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए मिलकर काम करने की योजनाओं के साथ आगे बढ़ते हुए अमेरिका-भारत 123 असैन्य परमाणु समझौते को पूरी तरह से साकार करने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की।’
वेस्टिंगहाउस इल्केट्रिक कंपनी भारत को 1000 एपी रिएक्टर बेचने पर विचार कर रही है। इसके अलावा कंपनी ने आंध्र प्रदेश के कोवाडा में 1000 मेगावॉट के न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने को लेकर भी भारत से बातचीत शुरू कर दी है।पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका द्वारा डिजाइन और रिएक्टर को भारत को देने, टेक्नॉलजी ट्रांसफर और भारत में रिएक्टर बनाने को लेकर भी बात की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करते हुए भारत के परमाणु दायित्व कानून के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन की योजना की घोषणा की थी। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने संसद में बजट सत्र के दौरान परमाणु रिएक्टरों के सदंर्भ में परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (सीएलएनडीए) में संशोधन करने की भारत सरकार की हालिया घोषणा का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 16 साल पहले दोनों देशों के बीच हुए ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते के तहत भारत में अमेरिकी डिजाइन वाले परमाणु रिएक्टरों के निर्माण को सुविधाजनक बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया। 2008 में ऐतिहासिक डील होने के बाद पहली बार है जब दोनों देशों ने इस दिशा में तेजी से आगे काम करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और पूरे संकेत भी दिए हैं। भारत और अमेरिका के बीच यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी डील कही जा सकती है। इस डील को फाइनल यूपीए सरकार में ही किया गया था। हालांकि अब तक इसे जमीन पर उतारने का काम नहीं हो सका अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ में गुरुवार को ट्रंप और मोदी ने अपनी बातचीत में ऊर्जा सहयोग को मजबूती से आगे बढ़ाने का फैसला किया।
असैन्य परमाणु समझौते ने अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को बदल दिया और इसने विशेष रूप से और इससे रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करने के रास्ते खुल गए हैं। दोनों नेताओं के संयुक्त बयान के अनुसार, ‘ट्रंप और मोदी ने बड़े पैमाने पर स्थानीयकरण और संभावित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से भारत में अमेरिका द्वारा डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए मिलकर काम करने की योजनाओं के साथ आगे बढ़ते हुए अमेरिका-भारत 123 असैन्य परमाणु समझौते को पूरी तरह से साकार करने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की।’
वेस्टिंगहाउस इल्केट्रिक कंपनी भारत को 1000 एपी रिएक्टर बेचने पर विचार कर रही है। इसके अलावा कंपनी ने आंध्र प्रदेश के कोवाडा में 1000 मेगावॉट के न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने को लेकर भी भारत से बातचीत शुरू कर दी है।पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका द्वारा डिजाइन और रिएक्टर को भारत को देने, टेक्नॉलजी ट्रांसफर और भारत में रिएक्टर बनाने को लेकर भी बात की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करते हुए भारत के परमाणु दायित्व कानून के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन की योजना की घोषणा की थी। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने संसद में बजट सत्र के दौरान परमाणु रिएक्टरों के सदंर्भ में परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (सीएलएनडीए) में संशोधन करने की भारत सरकार की हालिया घोषणा का स्वागत किया।|#+|
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने सीएलएनडीए के अनुसार द्विपक्षीय व्यवस्था स्थापित करने का निर्णय लिया है, जो नागरिक दायित्व के मुद्दे को संबोधित करेगा और परमाणु रिएक्टरों के उत्पादन और स्थापना में भारतीय एवं अमेरिकी उद्योग के सहयोग को सुविधाजनक बनाएगा। वर्ष 1962 का परमाणु ऊर्जा अधिनियम, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रतिबंधित करता है। प्रस्तावित संशोधन से इस प्रावधान को हटाने की उम्मीद है।
अमेरिका ने जनवरी में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेअर अर्थ्स (आईआरई) पर प्रतिबंध हटा दिए थे। भारत और अमेरिका ने जुलाई 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ बैठक के बाद असैन्य परमाणु ऊर्जा में सहयोग करने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की। ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को अंततः कई वार्ताओं के बाद लगभग तीन साल बाद बंद कर दिया गया। (एजेंसियों से इनपुट्स के साथ)