Hindi Newsदेश न्यूज़123 years was broken due to heat now UNICEF gave shocking news about the year 2024 what is there to be afraid of

टूटा था 123 साल का रिकॉर्ड, अब साल 2024 को लेकर यूनिसेफ ने दी चौंकाने वाली खबर; क्या है डरने वाली बात

  • बीते साल भारत में लगभग 5 करोड़ छात्र लू (हीटवेव) की वजह से प्रभावित हुए। यह रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण एशिया, खासकर भारत, बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे देशों में अप्रैल महीने में हीटवेव ने शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 25 Jan 2025 04:04 PM
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टूटा था 123 साल का रिकॉर्ड, अब साल 2024 को लेकर यूनिसेफ ने दी चौंकाने वाली खबर; क्या है डरने वाली बात

साल 2024 में भारत ने गर्मी के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। आईएमडी ने बताया कि यह साल 1901 के बाद से सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज हुआ। इस दौरान भारत ही नहीं, पूरी दुनिया जलवायु संकट की मार झेल रही थी। अब संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है, जिसमें बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहे जलवायु संकट के खतरनाक असर को उजागर किया गया है।

5 करोड़ भारतीय छात्रों पर हीटवेव का असर

यूनिसेफ की रिपोर्ट "लर्निंग इंटरप्टेड: ग्लोबल स्नैपशॉट ऑफ क्लाइमेट-रेलेटेड स्कूल डिसरप्शन्स इन 2024" के मुताबिक, बीते साल भारत में लगभग 5 करोड़ छात्र लू (हीटवेव) की वजह से प्रभावित हुए। यह रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण एशिया, खासकर भारत, बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे देशों में अप्रैल महीने में हीटवेव ने शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया।

भारत को जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बेहद संवेदनशील देश करार दिया गया है। यूनिसेफ के चिल्ड्रन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (सीसीआरआई) में भारत 163 देशों में 26वें स्थान पर है।

स्कूल बंद होने का रिकॉर्ड भी बना

सितंबर 2024 में 18 देशों में जलवायु संकट के चलते स्कूलों में सबसे ज्यादा व्यवधान देखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक, 242 मिलियन (24.2 करोड़) छात्रों की पढ़ाई जलवायु संकट की वजह से प्रभावित हुई, जिनमें 74% छात्र निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों से थे। दक्षिण एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहा, जहां 128 मिलियन छात्रों की शिक्षा बाधित हुई। वहीं अफ्रीका में 107 मिलियन बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, और 20 मिलियन बच्चे स्कूल छोड़ने की कगार पर हैं।

यूनिसेफ की चेतावनी

यूनिसेफ ने साफ कहा है कि जलवायु संकट न केवल बच्चों की तालीम बल्कि उनके पूरे भविष्य को खतरे में डाल रहा है। हीटवेव, बाढ़, तूफान, चक्रवात और सूखे जैसी घटनाओं का असर बच्चों की पढ़ाई पर भारी पड़ रहा है। अगर इस संकट से निपटने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो इसका असर पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा। यूनिसेफ ने सरकारों से अपील की है कि वे शिक्षा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए ठोस रणनीतियां बनाएं। स्कूलों को जलवायु के प्रति अधिक सहनशील बनाने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

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