Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Devendra Fadnavis Maharashtra New CM Took Mother Name in Oath Ceremony Reason Eknath Shinde also gave Message

शपथ लेते हुए देवेंद्र फडणवीस ने यूं ही नहीं लिया मां का नाम, खास है वजह; एकनाथ शिंदे भी दे गए मैसेज

  • आमतौर पर चलन यह है कि राजनेता या अन्य लोग अपने पिता का नाम अपने साथ लिखते हैं, लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने मां का नाम लिखकर एक तीर से कई निशाने साध दिए।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 5 Dec 2024 08:38 PM
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शपथ लेते हुए देवेंद्र फडणवीस ने यूं ही नहीं लिया मां का नाम, खास है वजह; एकनाथ शिंदे भी दे गए मैसेज

Fadnavis Maharashtra New CM: बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बन गए हैं। एनसीपी से अजित पवार और शिवसेना से एकनाथ शिंदे को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है। दोनों ने भी शपथ ग्रहण समारोह में शपथ ली। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, तमाम एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री समेत अन्य दिग्गज नेता शामिल हुए। शपथ लेते समय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बार अपनी मां का भी नाम लिया, जिसके जरिए उन्होंने खास संदेश देने की कोशिश की। वहीं, उद्धव ठाकरे से बगावत करके शिवसेना की कमान संभालने वाले एकनाथ शिंदे ने भी हमेशा की तरह बाला साहेब ठाकरे और अपने राजनैतिक गुरु आनंद दिघे को याद किया। फडणवीस और अजित पवार ने इस दौरान अनियन पिंक कलर की जैकेट पहन रखी थी, जबकि शिंदे अपनी रेग्युलर ड्रेस व्हाइट शर्ट और पैंट में ही नजर आए।

शपथ लेते समय फडणवीस ने पहली बार लिया मां का नाम

देवेंद्र फडणवीस इससे पहले 2014 और 2019 में भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। हालांकि, 2019 में वे कुछ समय के लिए ही सीएम बने थे और बाद में एमवीए ने सरकार बना ली थी। दोनों बार शपथ ग्रहण समारोह में फडणवीस ने अपनी मां का नाम अपने साथ नहीं लिया था, बल्कि पिता का नाम जोड़ा था। यह पहली बार था जब उन्होंने अपनी मां सरिता फडणवीस का भी नाम जोड़ा। उन्होंने शपथ लेते हुए कहा, ''मी देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस, ईश्वरसाक्ष शपथ घेतो की...''। इसके साथ ही, शपथ ग्रहण समारोह के कार्ड में भी फडणवीस के नाम के साथ उनकी मां का नाम लिखा गया था। कार्ड में 'देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस' लिखा गया। आमतौर पर चलन यह है कि राजनेता या अन्य लोग अपने पिता का नाम अपने साथ लिखते हैं, लेकिन फडणवीस ने मां का नाम लिखकर एक तीर से कई निशाने साध दिए।

मां के जरिए क्या साध गए फडणवीस?

अपने नाम के साथ पिता और मां, दोनों का नाम लिखकर फडणवीस ने यह साफ कर दिया कि वह सिर्फ अपने पिता ही नहीं, बल्कि मां के भी बहुत करीब हैं। जब वे शपथ समारोह के लिए निकल रहे थे, तब भी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मां के साथ अपनी तस्वीर शेयर की। उनकी मां उनका तिलक कर रही थीं। पोस्ट के साथ फडणवीस ने लिखा, ''मां के आशीर्वाद के साथ नए सीजन की शुरुआत।'' इसके अलावा, मां का नाम लिखकर फडणवीस राज्य की महिलाओं को भी खास संदेश दे गए। इस बार महायुति की सरकार बनाने में महिलाओं का काफी योगदान रहा है। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए लाडली बहना योजना चलाई गई, जिसमें हर महीने महिलाओं को 1500 रुपये दिए गए। इस स्कीम को गेमचेंजर की तरह देखा गया। सूत्रों के अनुसार, शिंदे भी आखिरी तक दोबारा सीएम बनाए जाने की मांग इसी वजह से करते रहे कि उनकी महिलाओं के लिए चलाई गई योजना की वजह से ही सरकार की वापसी हुई है। अब अपने पिता के साथ-साथ मां का भी नाम शपथ में बोलकर फडणवीस ने मैसेज दे दिया है कि भले ही शिंदे की जगह वे सीएम बने हों, लेकिन राज्य की महिलाओं को सम्मान मिलता रहेगा। उनके लिए चलाई जा रहीं योजनाओं को भी बंद नहीं किया जाएगा।

शिंदे ने लिया बाल ठाकरे और आनंद दिघे का नाम

कभी उद्धव ठाकरे के काफी करीबी रहे एकनाथ शिंदे ने जब ढाई साल पहले बगावत की, तब कई राजनैतिक जानकारों का मानना था कि अकेले दम पर शायद ही शिंदे भविष्य में सफल हो पाएं। महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे के लिए जो सम्मान वहां की जनता में है, उसका फायदा उनके बेटे उद्धव को ही मिलेगा। लोकसभा चुनाव में यही होता हुआ भी दिखाई दिया, जब शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन ने कमाल का प्रदर्शन किया, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नतीजे एकदम पलट गए। बीजेपी ने 132 सीटें जीतीं तो एकनाथ शिंदे ने भी शानदार प्रदर्शन किया। विधानसभा चुनाव में शिंदे उद्धव गुट पर भारी पड़ गए। उद्धव से दूर होने के बाद भी शिंदे बाल ठाकरे के नाम के इर्द-गिर्द ही अपनी राजनीति चलाते रहे। इसके जरिए उन्होंने मैसेज देने की कोशिश की कि भले ही उद्धव बाल ठाकरे के बेटे हों, लेकिन राजनैतिक रूप से असली शिवसेना शिंदे की ही पार्टी (शिवसेना) है। वही बाल ठाकरे की हिंदुत्व की विचारधारा पर चल रही है। लगभग हर मंच से ही उन्होंने बाल ठाकरे को याद किया। साथ ही, अपने राजनैतिक गुरु आनंद दिघे का भी उन्होंने नाम लिया। दिघे ठाणे-कल्याण के दिग्गज शिवसेना नेता माने जाते थे। उन्होंने अपने इलाके के लिए काफी काम किया। शिंदे ने दिघे से ही राजनीति सीखी है, जिसकी वजह से शिंदे उन्हें अपना गुरु भी मानते हैं।

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