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सेक्स वर्कर्स को परेशान ना करें, केस-गिरफ्तारी से बचा जाए; MP में किसका ऐसा फरमान

मध्य प्रदेश पुलिस ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया है कि होटलों और ढाबों पर छापेमारी के दौरान पकड़ी गई सेक्स वर्करों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किए जाएं।

Krishna Bihari Singh पीटीआई, भोपालSun, 6 April 2025 07:50 PM
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सेक्स वर्कर्स को परेशान ना करें, केस-गिरफ्तारी से बचा जाए; MP में किसका ऐसा फरमान

मध्य प्रदेश पुलिस ने अपने अधिकारियों को होटलों और ढाबों पर छापेमारी के दौरान पकड़ी गई सेक्स वर्करों के खिलाफ केस दर्ज नहीं करने का आदेश दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि 3 अप्रैल को जारी आदेश में कहा गया है कि वेश्यालय चलाना अवैध है, लेकिन सेक्स वर्करों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय की महिला सुरक्षा शाखा की ओर से जारी आदेश में भोपाल और इंदौर के पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस अधीक्षकों (एसपी) और रेलवे को उक्त निर्देश दिए गए हैं।

मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय की महिला सुरक्षा शाखा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि होटलों और ढाबों के मालिकों की ओर से चलाए जा रहे वेश्यालयों पर छापेमारी के बाद पकड़ी गई महिलाओं पर अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम (पीआईटीए) के तहत मामला दर्ज किया जाता है, जबकि इस बारे में महिला (सेक्स वर्कर) के साथ पीड़ित की तरह व्यवहार करने की बात पहले कही जा चुकी है।

जारी आदेश में कहा गया है कि मौजूदा कानून के तहत सूबे में केवल वेश्यालय चलाना अवैध है। सेक्स वर्करों को गिरफ्तार, दंडित या परेशान नहीं किया जाना चाहिए। अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 के तहत दर्ज किए जाने वाले अपराधों में उपरोक्त दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि उक्त आदेश राज्य की विशेष पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव की ओर से अधिकारियों

जारी आदेश में कहा गया है कि क्रिमिनल अपील क्रमांक 135/2010 बुद्धदेव कर्मास्कर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वैश्यालयों पर दबिश के मामलों में स्वैच्छिक लैंगिक कार्य अवैध नहीं हैं। कानून की नजर में वैश्यालय चलाना अवैध है। आदेश में यह भी कहा गया है कि कुछ जिलों में यह देखने में आया है कि जब अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के तहत पुलिस अधिकारियों की ओर से कार्रवाई की जाती है, तो पकड़ी गई महिला को भी आरोपी बना दिया जाता है, जबकि उसे पीड़िता मानकार व्यवहार किया जाना चाहिए।

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