भोपाल के मुस्लिम कवि ने भगवान राम पर लिखी गजल, PM मोदी ने की तारीफ; भेजा लेटर
मध्य प्रदेश के भोपाल में एक मुस्लिम कवि अंजुम बाराबंकवी ने भगवान राम की स्तुति में एक गजल लिखी है, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तारीफ की है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस गजल की सराहना करते हुए बाराबंकवी को एक पत्र भेजा है।
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मध्य प्रदेश के भोपाल में एक मुस्लिम कवि अंजुम बाराबंकवी ने भगवान राम की स्तुति में एक गजल लिखी है, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तारीफ की है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस गजल की सराहना करते हुए बाराबंकवी को एक पत्र भेजा है। चिट्ठी में इस रचना के लिए उनका आभार व्यक्त किया गया है। अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके जैसे देशवासियों की कोशिशों से देश गौरवान्वित हो रहा है और इससे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व की भावना के साथ, हम अमृत काल में एक भव्य और विकसित भारत के निर्माण की ओर बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आप जैसे देशवासियों द्वारा किए जा रहे प्रयास देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।' पीएम ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के मौके पर लिखी गई गजल के जरिए भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने के लिए भी बाराबंकवी की तारीफ की।
इंडिया टुडे से बात करते हुए, मूल रूप से यूपी के अवध के रहने वाले बाराबंकवी ने कहा कि भगवान राम का बचपन से ही उनके जीवन पर गहरा प्रभाव रहा है, क्योंकि उनके आदर्श अतुलनीय हैं- चाहे वह एक बेटे के रूप में हों, एक भाई के रूप में हों, एक पति के रूप में हों, अपने 14 साल के वनवास के दौरान एक संन्यासी के रूप में हों, एक राजा के रूप में हों या एक पिता के रूप में हों।
उन्होंने कहा, 'श्री राम आदर्श भाई, पुत्र और पति का उदाहरण हैं। उनका चरित्र इस बात का मानक तय करता है कि किसी व्यक्ति में क्या गुण होने चाहिए। यही कारण है कि हर व्यक्ति उनमें अपना प्रतिबिंब देखता है। उनके चरित्र में कुछ ऐसा है जो आपको अपनी ओर खींचता है, जिससे उनके खिलाफ एक शब्द भी बोलना असंभव हो जाता है।' हिंदू देवता पर गजल लिखने पर समुदाय के नेताओं द्वारा विरोध की संभावना को लेकर पूछे जाने पर, बाराबंकवी ने कहा कि अगर श्री राम पर गजल लिखने के लिए उनके खिलाफ फतवा भी जारी किया जाता है, तो भी इससे उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि आजकल के माहौल में वंदे मातरम जैसे शब्दों के उच्चारण पर अक्सर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। लेकिन बाराबंकवीइस बात पर जोर दिया कि उनका पालन-पोषण ऐसे माहौल में हुआ है कि उन्हें वंदे मातरम कहने में कभी झिझक नहीं हुई। उन्होंने भरोसा जताया कि स्थिति जल्द ही फिर से बदल जाएगी।
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