गुजरात से MP के देवास पहुंचे शव, दहाड़े मारकर रोने लगीं महिलाएं, पटाखा गोदाम में आग लगने से गई थी 21 की जान
गुजरात के बनासकांठा जिले में मंगवार को एक पटाखा गोदाम में हुए विस्फोट में मध्यप्रदेश के 21 लोगों की मौत हो गई। जिसमें से आठ पीड़ितों के पार्थिव शरीर उनके देवास स्थित गांव में लाए गए। शव पहुंचते ही परिजन बुरी तरह रोने लगे।

गुजरात के बनासकांठा जिले में मंगवार को एक पटाखा गोदाम में हुए विस्फोट में मध्यप्रदेश के 21 लोगों की मौत हो गई। जिसमें से आठ पीड़ितों के पार्थिव शरीर उनके देवास स्थित गांव में लाए गए। शव पहुंचते ही परिजन बुरी तरह रोने लगे। महिलाएं शव से लिपट-लिपटकर बुरी तरह रोती दिखीं। इस दौरान अन्य सदस्य उन्हें संभालने की कोशिश करते दिखे। अभी 13 मृतकों के शव आने बाकी हैं। पुलिस ने फैक्ट्री मालिक बाप-बेटे को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के नाम खुबचंद मोहनानी और दीपक मोहनानी हैं। दोनों ने फैक्ट्री को मौत का कुआं बना रखा था।
एसआईटी गठित
गुजरात सरकार ने डीसा के पास एक गोदाम में हुए विस्फोट की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। फॉरेंसिक जांच में घटनास्थल पर एल्यूमिनियम पाउडर का एक छोटा कंटेनर मिला है, जो आमतौर पर पटाखे बनाने में उपयोग होता है। राज्य गृह विभाग द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, एसआईटी का नेतृत्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी भविन पंड्या करेंगे, जो 15 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।
घटनास्थल पर मिला 'डेक्सट्रिन' पाउडर
बनासकांठा जिले के पुलिस सुपरिटेंडेंट अक्षयराज मकवाना ने बताया कि फॉरेंसिक टीम को घटनास्थल से पीले 'डेक्सट्रिन' पाउडर भी मिला, जो पटाखा निर्माण में उपयोग होता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि गोदाम में पटाखों का निर्माण किया जा रहा था या नहीं। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि 12 मार्च को पुलिस ने गोदाम का निरीक्षण कर रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद लाइसेंस नवीनीकरण नहीं किया गया। लेकिन निरीक्षण के बाद आरोपी ने अवैध रूप से गोदाम में एल्यूमिनियम पाउडर और अन्य सामग्री जमा कर ली।
पुलिस ने मंगलवार रात गोदाम मालिक दीपक और उसके पिता खुबचंद मोहनानी को गिरफ़्तार कर हत्या के प्रयास सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। जांच में यह भी पता चला कि दीपक मोहनानी तीन साल पहले सट्टेबाजी के मामले में पकड़ा गया था। इस घटना की जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक चिराग कोराडिया के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम बनाई गई है, जबकि अन्य सात टीमों को अलग-अलग पहलुओं की जांच सौंपी गई है।
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