यूक्रेन संकट में ट्रंप का बड़ा दांव, इस मुस्लिम देश की एंट्री से बदलेगी जेलेंस्की की किस्मत?
- ट्रंप ने यूक्रेन पर महत्वपूर्ण वार्ता के लिए एक ऐसे मुस्लिम देश पर भरोसा जताया है, जो हाल के वर्षों में वैश्विक राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। यह देश कोई और नहीं, बल्कि सऊदी अरब है।

ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन पर बातचीत के लिए एक बड़ा दांव खेला है। ट्रंप ने यूक्रेन पर महत्वपूर्ण वार्ता के लिए एक ऐसे मुस्लिम देश पर भरोसा जताया है, जो हाल के वर्षों में वैश्विक राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। यह देश कोई और नहीं, बल्कि सऊदी अरब है, जो अब यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता के एक अहम केंद्र के रूप में उभर रहा है।
क्यों अहम है सऊदी अरब की भूमिका?
दरअसल, अमेरिका और पश्चिमी देशों का मजबूत सहयोगी होने के बावजूद सऊदी अरब ने हाल के वर्षों में अपनी स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है। 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब को कूटनीतिक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश की गई थी, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। अब रियाद ने खुद को एक ऐसे देश के रूप में स्थापित किया है, जो न केवल अपने हितों की रक्षा करता है बल्कि वैश्विक संकटों के समाधान में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
अमेरिका-सऊदी संबंधों में बदलाव
बाइडेन प्रशासन के दौरान सऊदी अरब ने अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश की थी। उसने रूस और चीन के साथ भी संबंध मजबूत किए, जिससे वाशिंगटन पर दबाव बना। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की संभावना के बीच सऊदी अरब और अमेरिका के रिश्तों में फिर से गर्मजोशी आ सकती है। ट्रंप प्रशासन के दौरान सऊदी अरब ने अमेरिका के साथ गहरे संबंध बनाए थे उनके दोबारा सत्ता में आने से यह संबंध और मजबूत हो सकता है।
इजरायल-सऊदी अरब शांति वार्ता पर असर
सऊदी अरब और इजरायल के बीच शांति वार्ता पहले ही गाजा युद्ध की वजह से अटक चुकी है। अगर सऊदी अरब यूक्रेन का समर्थन करता है, तो इससे पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंध और बेहतर हो सकते हैं। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि रूस इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है। वहीं डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा को फिलीस्तीन मुक्त करने और इसे पर्यटन केंद्र में बदलने की बात कही थी, जिसे सऊदी अरब ने तुरंत खारिज कर दिया। इसके बजाय, सऊदी अरब गाजावासियों को वहीं बसाकर दो-राष्ट्र समाधान की ओर बढ़ने की रणनीति पर काम कर रहा है।
क्या सऊदी अरब पर दांव यूक्रेन को फायदा पहुंचाएगा?
सऊदी अरब ने पहले भी रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता की कोशिशें की हैं, लेकिन अब ट्रंप उसे एक मजबूत कूटनीतिक साझेदार के रूप में देख रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सऊदी अरब वास्तव में यूक्रेन की नैया पार लगाने में सफल होता है या फिर यह कदम सिर्फ एक राजनीतिक कोशिश बनकर रह जाएगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।