क्या है इस्लामिक बॉन्ड, जिससे इंडोनेशिया ने जुटाई 734 मिलियन डॉलर की रकम
- इस्लामिक बांड को सुकुक भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का वित्तीय साधन है जो इस्लामी कानून (शरीयत) के तहत जारी किया जाता है। आप जानते हैं कि पारंपरिक बॉन्ड्स ब्याज पर आधारित होते हैं।
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इंडोनेशिया ने इस्लामिक बॉन्ड नीलामी से 12 ट्रिलियन रुपिया जुटाए हैं। अमेरिकी करेंसी के हिसाब से यह धनराशि 734 मिलियन डॉलर पहुंच जाती है। मालूम हो कि इंडोनेशिया की मुद्रा रुपिया है। इंडोनेशियाई वित्त मंत्रालय की ओर से इस्लामिक बॉन्ड नीलामी को लेकर मंगलवार को जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि 10 ट्रिलियन रुपिया इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे पार कर लिया गया है। नीलामी के दौरान कुल 19.91 ट्रिलियन रुपिया की बोलियां लगीं, जो 11 फरवरी को पिछली प्रक्रिया में 30.26 ट्रिलियन रुपिया से कम रहा।
इंडोनेशिया से पहले पाकिस्तान ने आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस्लामिक बांड से मोटी रकम हासिल की थी। पाकिस्तान ने 7.95% के रिकॉर्ड रिटर्न रेट पर 1 अरब डॉलर जुटाए थे। चलिए हम आपको इस्लामिक बांड के बारे में बताते हैं...
क्या होता है इस्लामिक बांड?
इस्लामिक बांड को सुकुक भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का वित्तीय साधन है जो इस्लामी कानून (शरीयत) के तहत जारी किया जाता है। आप जानते हैं कि पारंपरिक बॉन्ड्स ब्याज पर आधारित होते हैं। मगर, सुकूक किसी वास्तविक संपत्ति से जुड़े होते हैं और निवेशकों को उस उससे होने वाली आय में हिस्सेदारी मुहैया कराते हैं।
सुकूक की खासियतें -
1. ब्याज रहित: इस्लाम में ब्याज लेना-देना हराम माना गया है। इसलिए सुकूक किसी निश्चित ब्याज दर पर रिटर्न नहीं देते।
2. वास्तविक संपत्ति आधारित: सुकूक को किसी वास्तविक संपत्ति (जैसे कि भूमि, भवन, बुनियादी ढांचे आदि) से जोड़ा जाता है।
3. लाभ-हानि में भागीदारी: निवेशक को कंपनी या प्रोजेक्ट से होने वाले लाभ में हिस्सा मिलता है। मगर, हानि होने पर उसे भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
4. शरीयत बोर्ड की निगरानी: किसी भी सुकूक को जारी करने से पहले इस्लामी विद्वानों की समिति उसकी समीक्षा करती है। इसके बाद ही उसे मंजूरी मिलती है।
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