रूस की कीमत पर यूरोप के साथ क्यों दोस्ती बढ़ा रहा चीन, अमेरिका को भी झटके की तैयारी; बदले समीकरण
- अमेरिका और रूस साथ आ गए हैं और दोनों देश यूक्रेन से जंग खत्म करने पर सहमत हैं। इसे लेकर अमेरिका और रूस की बात भी चल रही है। इस बीच चीन ने अलग ही दांव चल दिया है और उसका कहना है कि यूक्रेन शांति वार्ता में यूरोप के देशों को भी शामिल करना चाहिए।
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वैश्विक कूटनीति इन दिनों बदलावों के दौर से गुजर रही है और उथल-पुथल जारी है। एक तरफ संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और रूस साथ आ गए हैं तो वहीं यूक्रेन के मामले में यूरोपियन यूनियन अलग-थलग पड़ गया है। इसी उलटफेर के बीच एक बड़ा बदलाव यह है कि अमेरिका से यूरोपीय देशों की दरार का फायदा उठाने में चीन जुट गया है। अमेरिका और रूस साथ आ गए हैं और दोनों देश यूक्रेन से जंग खत्म करने पर सहमत हैं। इसे लेकर अमेरिका और रूस की बात भी चल रही है। इस बीच चीन ने अलग ही दांव चल दिया है और उसका कहना है कि यूक्रेन शांति वार्ता में यूरोप के देशों को भी शामिल करना चाहिए। इस जंग का उन पर असर हुआ है और कोई भी फैसला उनके लिए मायने रखेगा। इसलिए यूरोपियन यूनियन को इसमें शामिल करने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन के राजदूत फु कॉन्ग ने कहा, 'शांति के लिए किए जा रहे हर प्रयास का चीन स्वागत करता है। अमेरिका और रूस के बीच जो समझौता हुआ है, उसका भी चीन पक्षधर है।' इसके साथ ही चीन ने एक बात और जोड़ दी, जो रूस ओर अमेरिका को चुभने वाली है, लेकिन यूरोप को अच्छी लगेगी। उन्होंने कहा, 'चीन को उम्मीद है कि यूक्रेन संकट से जुड़े हर पक्ष को शांति वार्ता में शामिल किया जाएगा। यह विवाद यूरोप की जमीन पर ही शुरू हुआ था। इसलिए किसी भी हल पर पहुंचने में यूरोपियन यूनियन को भी साथ लेना चाहिए।' यह बात रूस के स्टैंड से अलग है। रूस लगातार यह कहता रहा है कि वह यूक्रेन के मसले का हल निकालेगा। इसके लिए अमेरिका से ही बात की जाएगी।
दरअसल चीन का यह स्टैंड चौंकाने वाला है, जो रूस की राय से अलग जाकर यूरोपियन यूनियन का समर्थन कर रहा है। जानकारों का मानना है कि चीन की कोशिश अमेरिका और यूरोप के बीच दरार का फायदा उठाने की है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका के साथ चीन का ट्रेड वॉर चल रहा है। ऐसे में चीन की कोशिश है कि यूरोप में ही पैठ मजबूत की जाए। यूरोप के तौर पर यदि एक बड़ा बाजार उसके साथ बना रहा तो फिर अमेरिकी ट्रेड वॉर से निपटने में उसे मदद मिलेगी। बता दें कि सोमवार को सऊदी अरब में अमेरिकी डेलिगेशन से मुलाकात के दौरान रूसी विदेशी मंत्री सेरगेई लावरोव ने स्पष्ट कहा था कि इस वार्ता में यूरोप की कोई जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि मसले का हल करने के लिए यूरोप को पहले भी कई मौके दिए गए, लेकिन उनका रुख सही नहीं था।
बता दें कि 2022 में यूक्रेन से जंग शुरू होने के बाद से ही चीन का समर्थन रूस के लिए रहा है। लेकिन इस बार राय अलग है। उसे लगता है कि अमेरिकी रुख से यूरोप की जो चिंता है, वह उसे चीन के करीब लाएगी। ऐसी स्थिति ड्रैगन के लिए राजनीति से लेकर कारोबार तक में फायदा देगी। डोनाल्ड ट्रंप के ये अपने शब्द रहे हैं कि आखिर कब यूरोप की सुरक्षा के लिए अमेरिका खर्च करेगा। ऐसा गलत है और यूरोप को अपनी रक्षा के लिए निवेश करना चाहिए।
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