Hindi Newsविदेश न्यूज़Pakistan had set out to build a second Dubai but Gwadar became a curse how was this dream shattered

दूसरा दुबई बनाने चला था पाकिस्तान, मगर ग्वादर बन गया अभिशाप, कैसे चकनाचूर हुआ ये सपना?

  • फरवरी 2024 में महज 30 घंटे की बारिश ने पूरे ग्वादर को जलमग्न कर दिया, सड़कें और पुल बह गए, जिससे पूरा इलाका बाकी देश से कट गया। यह इलाका समुद्र तल के बेहद करीब है, जिससे समुद्री जलस्तर बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानFri, 14 Feb 2025 01:31 PM
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दूसरा दुबई बनाने चला था पाकिस्तान, मगर ग्वादर बन गया अभिशाप, कैसे चकनाचूर हुआ ये सपना?

कभी पाकिस्तान, ग्वादर को दूसरा दुबई बनाने का ख्वाब देखा था, मगर आज यही ग्वादर उसके लिए एक भारी मुसीबत बन चुका है। अरब सागर के किनारे बसा यह इलाका अब पाकिस्तान के आर्थिक, पर्यावरणीय और राजनीतिक संकट की पहचान बन गया है। चीन के साथ मिलकर अरबों डॉलर के निवेश के बावजूद ग्वादर एक विफल परियोजना साबित हो रहा है, जहां न तो स्थिरता है और न ही तरक्की।

30 घंटे की बारिश में हुई थी ग्वादर की हालत खराब

सबसे बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन और बुनियादी ढांचे की बदहाली बनकर सामने आई है। फरवरी 2024 में महज 30 घंटे की बारिश ने पूरे ग्वादर को जलमग्न कर दिया, सड़कें और पुल बह गए, जिससे पूरा इलाका बाकी देश से कट गया। यह इलाका समुद्र तल के बेहद करीब है, जिससे समुद्री जलस्तर बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। अगर यही हाल रहा, तो विशेषज्ञों का मानना है कि ग्वादर का एक बड़ा हिस्सा भविष्य में समुद्र में समा सकता है।

इसके अलावा, स्थानीय लोग भी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बगावत कर चुके हैं। बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन पहले से ही तेज था, मगर ग्वादर अब इस संघर्ष का नया गढ़ बन चुका है। बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे उग्रवादी गुट आए दिन पाकिस्तानी सेना और सरकारी ठिकानों पर हमले कर रहे हैं। वहीं, चीन के निवेश से भी स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ, क्योंकि नौकरियां चीनी मजदूरों और इंजीनियरों को दे दी गईं, जिससे गुस्सा और बढ़ गया।

चीन से भी हुआ रिश्ते खराब

चीन और पाकिस्तान के रिश्तों में भी ग्वादर को लेकर खटास बढ़ गई है। 2015 में शुरू हुई 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा' (सीपीईसी) परियोजना के तहत ग्वादर को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र बनाना था, मगर बढ़ती अस्थिरता और विद्रोह के चलते चीन का निवेश अब फंस गया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पाकिस्तान ने चीन से 'न्यूक्लियर ट्रायड' तकनीक मांगी, मगर चीन ने यह मांग ठुकरा दी, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

कर्ज के जाल में फंसे पाकिस्तान के लिए ग्वादर अब एक अभिशाप बन चुका है। सीपीईसी के चलते पाकिस्तान पर चीन का भारी कर्ज चढ़ गया है, जिसे चुकाना अब उसके बस में नहीं है। अमेरिका की वजह से आईएमएफ और विश्व बैंक भी पाकिस्तान की ज्यादा मदद करने से कतरा रहे हैं। नतीजा यह है कि जो ग्वादर कभी पाकिस्तान की उम्मीदों का केंद्र था, वही अब उसकी सबसे बड़ी नाकामी की मिसाल बन चुका है।

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