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वीरान पड़ा पाकिस्तान का ग्वादर एयरपोर्ट, बनाने के लिए चीन ने डाले अरबों; मिला सन्नाटा

  • ग्वादर जिस बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, वहां पिछले कई दशकों से अलगाववाद की लड़ाई चल रही है। बलूच अलगाववादी गुटों को लगता है कि पाकिस्तान सरकार ने उनके संसाधनों का दोहन किया है और उन्हें उनका हक नहीं दिया।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानMon, 24 Feb 2025 11:56 AM
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वीरान पड़ा पाकिस्तान का ग्वादर एयरपोर्ट, बनाने के लिए चीन ने डाले अरबों; मिला सन्नाटा

पाकिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर में अरबों रुपये झोंककर चीन ने एक शानदार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया, मगर हकीकत ये है कि वहां न कोई जहाज उतर रहा है और न कोई मुसाफिर नजर आ रहा है। 240 मिलियन डॉलर (करीब 2,000 करोड़ रुपये) की लागत से बने न्यू ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का हाल ऐसा है कि चीन अब सूखी हिचकियां ले रहा होगा।

चीन ने अपने पैसे में लगाई आग

ये एयरपोर्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का एक अहम हिस्सा है, जो चीन के शिनजियांग प्रांत को अरब सागर से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। मगर जिस ग्वादर में यह एयरपोर्ट बना वहां के हालात इस प्रोजेक्ट से कोई बेहतर नहीं हुए। ग्वादर आज भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। शहर में न तो पर्याप्त बिजली है, न साफ पानी। वहां रहने वाले 90,000 लोगों के लिए ये एयरपोर्ट किसी काम का नहीं।

बगावत की आग में झुलस रहा बलूचिस्तान

ग्वादर जिस बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, वहां पिछले कई दशकों से अलगाववाद की लड़ाई चल रही है। बलूच अलगाववादी गुटों को लगता है कि पाकिस्तान सरकार ने उनके संसाधनों का दोहन किया है और उन्हें उनका हक नहीं दिया। चीन के निवेश ने हालात और खराब कर दिए हैं। पाकिस्तानी सेना ने ग्वादर में भारी सुरक्षा तैनात कर रखी है। हर जगह चेकपोस्ट, कंटीले तार, बैरिकेड्स और सैनिकों की मौजूदगी आम है। सड़कें कई दिनों तक बंद रहती हैं ताकि चीनी नागरिकों और पाकिस्तानी वीआईपी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले ग्वादर में लोग आजादी से घूमते थे, मगर अब हर मोड़ पर पहचान पत्र दिखाना पड़ता है। एक बुजुर्ग, खुदा बख्श हाशिम कहते हैं, “हम अपने ही शहर में पराए हो गए हैं। पहले हम पहाड़ों में रातभर पिकनिक मनाते थे, मगर अब हमें खुद को साबित करना पड़ता है कि हम यहां के ही बाशिंदे हैं।”

सरकार का दावा है कि सीपीईसी ने 2,000 नौकरियां दी हैं, मगर स्थानीय लोग कहते हैं कि इसमें बलूच समुदाय के कितने लोग शामिल हैं, ये कोई नहीं बताता। ग्वादर के फिश मार्केट में पत्रकारों को जाने तक की इजाजत नहीं है। बलूचिस्तान अवामी पार्टी के नेता अब्दुल गफूर होथ कहते हैं, "ग्वादर एयरपोर्ट में एक भी स्थानीय व्यक्ति को नौकरी नहीं मिली, यहां तक कि चौकीदार भी बाहर से लाए गए हैं।" हाल ही में उन्होंने 47 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद सरकार ने बिजली-पानी की दिक्कतें दूर करने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

उद्घाटन भी सुरक्षा के साए में

चीन और पाकिस्तान के लिए ये एयरपोर्ट कितना संवेदनशील है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग को इसका उद्घाटन वर्चुअल रूप से करना पड़ा। इनॉगरेशन फ्लाइट तक को मीडिया और आम जनता से दूर रखा गया।

सीपीईसी प्रोजेक्ट में फायदे से ज्यादा नुकसान?

चीन ने पाकिस्तान में अरबों रुपये झोंक दिए, मगर नतीजे उलटे आ रहे हैं। सीपीईसी के साथ ही बलूच विद्रोहियों ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज के मुताबिक, 2014 के बाद हिंसा कम हुई थी, लेकिन 2021 के बाद हमलों में फिर तेजी आ गई। अलगाववादी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) अब और आक्रामक हो गया है। पाकिस्तानी तालिबान के साथ हुए संघर्ष विराम के खत्म होने के बाद स्थिति और खराब हो गई।

खतरे में ग्वादर का भविष्य

ग्वादर के लोग चाहते हैं कि सीपीईसी से फायदा मिले, स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, हालात सुधरें। लेकिन फिलहाल इस परियोजना ने फायदे से ज्यादा तनाव और अविश्वास को जन्म दिया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सरकार बलूच लोगों को कुछ देने को तैयार नहीं, और बलूच लोग सरकार से कुछ लेने को तैयार नहीं। ग्वादर में हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट बने, मगर यहां के लोग आज भी पानी की बूंद-बूंद और रौशनी की किरण के लिए तरस रहे हैं।

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