LAC पर स्ट्राइकर की गरज से थर्रा उठेगा चीन, कितना है खतरनाक; ट्रंप ने किया पीएम मोदी को गिफ्ट
- स्ट्राइकर इंफैंट्री कॉम्बैट व्हीकल हल्का और शक्तिशाली युद्ध वाहन है जो कठिन इलाकों में लड़ाई के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है। इससे पहले, यूक्रेन युद्ध में भी इस वाहन ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था
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भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में एक बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सौजन्य से भारतीय सेना को जल्द ही स्ट्राइकर इंफैंट्री कॉम्बैट व्हीकल मिलने जा रहा है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक में इस फैसले को अंतिम रूप दिया गया। रिपोर्ट्स की मानें तो स्ट्राइकर मिलने से भारतीय सेना को लद्दाख में चीनी आर्मी का मुकाबला करने में काफी मदद मिलेगी।
स्ट्राइकर इंफैंट्री कॉम्बैट व्हीकल हल्का और शक्तिशाली युद्ध वाहन है जो कठिन इलाकों में लड़ाई के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है। इससे पहले, यूक्रेन युद्ध में भी इस वाहन ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था, जहां इसने बर्फीले और पहाड़ी इलाकों में प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
भारत को क्यों चाहिए हल्के युद्ध वाहन?
लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की चुनौती को देखते हुए भारतीय सेना को हल्के टैंकों की जरूरत पहले ही महसूस हो चुकी थी। 2020 में गालवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद इस जरूरत को और मजबूती मिली। उस समय भारतीय सेना को चीन के हल्के टैंक ZTQ-15 का मुकाबला करने के लिए पुराने रूसी BMP-2 इंफैंट्री फाइटिंग व्हीकल पर निर्भर रहना पड़ा था।
हालांकि, भारतीय सेना के पास अर्जुन, टी-90 (भीष्म) और टी-72 (अजेय) जैसे टैंक हैं, लेकिन ये भारी वजन के कारण लद्दाख के पहाड़ी इलाकों में कारगर नहीं माने जाते। ऐसे में, अमेरिकी स्ट्राइकर वाहन भारतीय सेना के लिए एक बड़ा सामरिक लाभ साबित हो सकता है।
स्ट्राइकर की ताकत
स्ट्राइकर वाहन में 105 मिमी की M-68 तोप लगी है, जिसने यूक्रेन युद्ध में कई बार रूसी टी-72 टैंकों को परास्त किया है। इसके अलावा, इसमें 50 मिमी की M2 ब्राउनिंग हैवी मशीन गन, MK-19 ग्रेनेड लांचर और M-240 मीडियम मशीन गन जैसे आधुनिक हथियार लगे हैं, जो पहाड़ी इलाकों में युद्ध के लिए बेहद प्रभावी माने जाते हैं।
भारत में बनेगा स्ट्राइकर
अमेरिका ने अब तक स्ट्राइकर को यूक्रेन समेत कुछ देशों को दिया है, लेकिन उत्तर अमेरिका से बाहर इस वाहन का निर्माण पहली बार भारत में होगा। अमेरिका और कनाडा की संयुक्त कंपनी ‘जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स’ अब इस वाहन को भारत में बनाने के लिए तैयार हो गई है।
गौरतलब है कि करीब 20 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच स्ट्राइकर को लेकर बातचीत हुई थी, लेकिन उस समय तकनीकी ट्रांसफर को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी। इस बार ट्रंप प्रशासन ने भारत को इस मामले में विशेष छूट दी है।
भारत तैयार कर रहा हल्के टैंक
प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और एल-एंड-टी मिलकर स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर का निर्माण कर रहे हैं। इस टैंक का कई बार परीक्षण किया जा चुका है और इसके शुरुआती नतीजे संतोषजनक रहे हैं। लद्दाख के अलावा, गुजरात के हजीरा में एल-एंड-टी हेवी इंजीनियरिंग की मदद से जोरावर का ट्रैक ट्रायल भी किया गया है। ऐसे में आने वाले समय में भारत को स्वदेशी हल्के टैंक के साथ-साथ अमेरिका से स्ट्राइकर जैसे उन्नत युद्ध वाहन भी मिलेंगे, जिससे भारतीय सेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।
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