मैच के दौरान बेचैन थे कप्तान सूर्यकुमार यादव, बोले- गेम जिस तरह से चल रहा था, उससे...
- भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने माना है कि चेन्नई में जब मैच एक दम बराबरी पर था तो वे बैचेन थे, क्योंकि मैच में कुछ भी हो सकता था। हालांकि, तिलक वर्मा की दमदार पारी के दम पर भारत ने जीत हासिल की।
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टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव ने चेन्नई में खेले गए दूसरे टी20 इंटरनेशनल मैच के बाद बताया कि एक समय उनको डर लग रहा था, क्योंकि मैच बराबरी पर खड़ा था। भारत के पास बल्लेबाज नहीं थे, लेकिन तिलक वर्मा ने जिस तरह की बल्लेबाजी की, उससे टीम को राहत मिली और टीम को उन्होंने जीत दिलाई। कप्तान सूर्या ने कहा कि हमें लग रहा था कि 160 प्लस का टोटल अच्छा है, लेकिन हम एक अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ खेल रहे हैं तो इससे हमें पता होता है कि कुछ रन हमें अतिरिक्त मिल सकते हैं। हालांकि, वे बीच के ओवरों में बैचेन थे, क्योंकि एक छोर से विकेट गिरते चले जा रहे थे।
सूर्यकुमार यादव ने पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन सेरेमनी में कहा कि उनकी जान में जान आई, क्योंकि मैच जिस तरह से चल रहा था, उस तरह लग रहा था कि भारत के हाथ से ये मैच फिसल भी सकता है। उन्होंने कहा, “गेम जिस तरह से चल रहा था, उससे थोड़ी राहत मिली। हमें लगा कि 160 रन अच्छा टोटल था। उन्होंने वास्तव में अच्छी गेंदबाजी की, अच्छा हुआ कि खेल अंतिम क्षणों तक चला। हम पिछली 2-3 सीरीज से एक अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ खेल रहे हैं। हम वह सहारा चाहते हैं और साथ ही वह बल्लेबाज हमें खेल में 2-3 ओवर देता है। बातचीत इस बात पर थी कि हमने पिछले मैच की तरह ही खेलना चाहिए। हम आक्रामक क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन साथ ही, जैसे-जैसे स्थिति की मांग हुई, लड़कों ने वास्तव में अपने हाथ ऊपर उठाए और छोटी-छोटी साझेदारियां कीं।”
उन्होंने आगे अक्षर पटेल के आउट होने के बाद अपने रिएक्शन पर कहा, "मैं अंदर बैठा था, थोड़ा अंधविश्वासी। ये सभी चीजें खेल का हिस्सा हैं, आप सीखते हैं, आप आगे बढ़ते हैं। तिलक ने जिस तरह से बल्लेबाजी की, उससे बहुत खुश हूं, उनके जैसे खिलाड़ी को जिम्मेदारी लेते हुए देखना अच्छा लगा। (बिश्नोई के बारे में) वह नेट्स में बहुत मेहनत कर रहा है, वह बल्ले से भी योगदान देना चाहता है, यह एक आदर्श उदाहरण है कि उसने आज ऐसा किया और अर्शदीप सिंह को भी नहीं भूलना चाहिए। अनुभव बहुत अच्छा रहा है, लड़कों ने मुझ पर से बहुत दबाव हटा दिया है, इसलिए मैं बाहर जाकर खुद को अभिव्यक्त कर सकता हूं।"