WPL 2025 में थर्ड अंपायर से एक नहीं, बल्कि तीन बार हुई गलती! मुंबई इंडियंस के हाथ से छिन गया मैच
- WPL 2025 में थर्ड अंपायर से एक नहीं, बल्कि तीन बार गलती हुई। इसी वजह से शायद दिल्ली कैपिटल्स ने मुंबई इंडियंस को हराया दिया। अगर नतीजे मुंबई के पक्ष में होते तो मैच मुंबई ही जीत जाती।
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WPL 2025 के दूसरा मैच वैसे तो रोमांचक रहा, लेकिन इसमें तीन फैसले थर्ड अंपायर के विवादित रहे। तीनों फैसले रन आउट से जुड़े थे। यहां तक कि एक फैसले ने तो मैच का नतीजा ही पलट दिया, जिसमें दिल्ली कैपिटल्स को जीत मिली और मुंबई की टीम जो सुपर ओवर खेल सकती थी, उसे हार का सामना करना पड़ा। वडोदरा में खेले गए इस मैच में तीनों ही फैसले तीसरी अंपायर गायत्री वेणुगोपालन ने दिए। तीनों बार बल्लेबाज को नॉटआउट करार दिया गया।
नियम ये कहते हैं कि अगर एलईडी स्टंप्स हैं तो आपको ये देखना होता है कि उनके रन आउट के समय लाइट कब जली, लेकिन इस मैच में अंपायर ने ये देखा कि दोनों बेल्स कब निकले। ये कन्फ्यूजन एक या दो बार नहीं, बल्कि तीन बार हुआ। ईएसपीएनक्रिकइन्फो के अनुसार थर्ड अंपायर से चूक हुई और उन्होंने उस क्षण को नजरअंदाज कर दिया जब एलईडी स्टंप्स पहली बार जले थे। मैच पर टिप्पणी करते हुए पूर्व भारतीय कप्तान मिताली राज ने कहा कि इनमें से दो फैसले मुंबई इंडियंस के पक्ष में जाने चाहिए थे।
जियोहॉटस्टार पर मिताली राज ने मैच के बाद कहा, "पांडे को नॉट आउट दिया गया, जबकि बल्लेबाज का बल्ला लाइन पर था। जब आप डाइव करते हैं और आपका बल्ला पहले जमीन से टकराता है (क्रीज के अंदर) और फिर यह ऊपर उछलता है, क्योंकि आपको पूरा डाइव करना होता है, तो यह आउट नहीं होता है, लेकिन राधा यादव के मामले में, हम बल्ले के ब्लेड को ऊपर देख सकते हैं। यह क्रीज के अंदर जमीन के किसी भी हिस्से को नहीं छू रहा है, जब एलईडी स्टंप जलते हैं। इसका मतलब है कि वह आउट हैं। बल्ला क्रीज में नहीं था। यह काफी हद तक आउट है।"
डब्ल्यूपीएल 2025 की प्लेइंग कंडीशन्स के अनुसार, विशिष्ट दिशानिर्देश परिभाषित करते हैं कि एलईडी स्टंप के उपयोग के समय स्टंप्स से बॉल का संपर्क उसी समय माना जाएगा, जब स्टंप्स की लाइट जले। पहला विवादास्पद निर्णय शिखा पांडे से जुड़ा था, जिन्होंने दिल्ली कैपिटल्स के लक्ष्य का पीछा करते हुए 18वें ओवर में अपनी पहली गेंद का सामना किया। वह बाय कन रन लेना चाहती थीं, लेकिन निकी प्रसाद ने उन्हें वापस भेज दिया। स्ट्राइकर एंड पर एक सीधा थ्रो आया, जिस पर रिव्यू हुआ।
रिप्ले से पता चला कि जब एलईडी स्टंप पहली बार रोशन हुए, तब पांडे का बल्ला क्रीज लाइन पर था। हालांकि, तीसरे अंपायर ने बाद के फ्रेम पर निर्णय लिया, जहां बेल पूरी तरह से उखड़ गई थीं, जिस समय तक पांडे का बल्ला क्रीज के अंदर सुरक्षित था, जिसके परिणामस्वरूप नॉट-आउट का फैसला हुआ। एमआई की कप्तान हरमनप्रीत कौर स्पष्ट रूप से नाखुश थीं और उन्होंने मैदानी अंपायर एन जननी और अनीश सहस्रबुद्धे से चर्चा की। इसके बाद एक और नजारा ऐसा ही देखने को मिला।
आखिरी गेंद पर भी हुआ ड्रामा
अरुंधति रेड्डी आखिरी गेंद के लिए क्रीज पर आईं, क्योंकि पांचवीं गेंद पर निकी प्रसाद आउट हो गई थीं। आखिरी गेंद पर रेड्डी ने गेंद को कवर के ऊपर से उछाला। गेंद हरमनप्रीत से थोड़ी दूर गिरी, लेकिन इस बीच वे दूसरा रन दौड़ गईं। हरमनप्रीत ने भाटिया को एक तेज थ्रो फेंका। यास्तिका ने स्टंप्स बिखेरे, लेकिन करीबी मामला था तो थर्ड अंपायर को रेफर किया गया। रेड्डी ने पूरी तरह से डाइव लगाई, लेकिन शुरुआती फ्रेम में रेड्डी का बल्ला क्रीज के अंदर नहीं, बल्कि लाइन पर था और उस समय एलईडी स्टंप जल चुके थे, लेकिन तीसरे अंपायर ने बाद के फ्रेम पर भरोसा करते हुए फैसला सुनाया कि "बल्लेबाज का बैट बेल्स निकलने से पहले क्रीज के अंदर था।
क्या कहते हैं नियम
WPL की प्लेइंग कंडीशन्स यानी नियम ये कहते हैं कि अगर सादा स्टंप्स यूज हो रहे हैं तो अंपायर को रन आउट या स्टंपिंग के केस में ये देखना होगा कि बेल्स कब निकले, लेकिन जब एलईडी स्टंप्स यूज हो रहे हैं तो अंपायर को ये देखना होगा कि लाइट कब जली और फिर अगले फ्रेम में देखना होगा कि क्या बेल्स निकले या नहीं। अगर बेल्स निकल गए हैं तो पहले फ्रेम के आधार पर निर्णय देना होगा। यही चूक थर्ड अंपायर से दिल्ली वर्सेस मुंबई मैच में हुई।