शेयर बाजार में हाहाकार, एक झटके में निवेशकों के डूब गए ₹7 लाख करोड़, 5 बड़े कारण बने क्रैश की वजह
- Stock Market Crash Today 21 Jan: भारतीय इक्विटी बाजार में मंगलवार, 21 जनवरी को कारोबार में भारी बिकवाली देखी गई। बीएसई सेंसेक्स 1300 अंकों से अधिक टूटकर 75,641.87 अंक के इंट्रा डे लो पर आ गया। वहीं, निफ्टी में भी बड़ी गिरावट देखी गई।
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Stock Market Crash Today 21 Jan: भारतीय इक्विटी बाजार में मंगलवार, 21 जनवरी को कारोबार में भारी बिकवाली देखी गई। बीएसई सेंसेक्स 1300 अंकों से अधिक टूटकर 75,641.87 अंक के इंट्रा डे लो पर आ गया। वहीं, निफ्टी में भी बड़ी गिरावट देखी गई। निफ्टी कारोबार के दौरान करीबन 368 अंक तक फिसल गया था और 22,977 पर ट्रेड कर रहा था। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पद संभालने के तुरंत बाद पड़ोसी देशों पर ट्रेड शुल्क की योजना का खुलासा करने के बाद निवेशक अलर्ट हो गए।
5 लाख करोड़ रुपये स्वाहा
दोनों बेंचमार्क सूचकांकों बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में लगभग 2 तक फीसदी की गिरावट आई। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में आज कारोबार में 2-2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई।भारतीय शेयर बाजार में तेज बिकवाली के कारण निवेशकों को ₹7.4 लाख करोड़ से अधिक नुकसान हुआ, क्योंकि बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पिछले सत्र के ₹432 लाख करोड़ से गिरकर लगभग ₹425.5 लाख करोड़ हो गया।
ये हैं शेयर बाजार में गिरावट की 5 बड़ी वजह…
1. डोनाल्ड ट्रंप द्वारा महंगे टैरिफ की धमकी
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बन चुकी है। पद पर वापसी के साथ ही उन्होंने कनाडा और मैक्सिको पर 1 फरवरी से पहले ही 25 फीसदी टैरिफ लगाने की संभावना के बारे में बता दिया। इसके अलावा ट्रंप ने चीन समेत ब्रिक्स देशों पर महंगे टैरिफ लगाने की धमकी दी है और यूरोपीय देशों को भी संकेत दिया गया है।
2. केंद्रीय बजट 2025 से पहले सावधानी
1 फरवरी को देश का बजट पेश होने वाला है। ऐसे में निवेशकों की नजर बजट 2025 पर है। वे इस मेगा-पॉलिसी इवेंट पर फोकस कर रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। उम्मीदें अधिक हैं कि सरकार राजकोषीय विवेकशीलता बनाए रखते हुए खपत को बढ़ावा देने, ग्रामीण क्षेत्र को मजबूत करने और विनिर्माण और बुनियादी ढांचे का समर्थन करने के उपायों की घोषणा करेगी। हालांकि, प्रमुख उम्मीदों में कोई भी निराशा पहले से ही कमजोर बाजार भावना को एक और झटका दे सकती है।
3. विदेशी निवेशक लगातार निकाल रहे पैसे
अमेरिकी डॉलर में मजबूती और बॉन्ड यील्ड बढ़ने के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा लगातार बिकवाली हाल देखी जा रही है। हाल के महीनों में भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के पीछ यह एक प्रमुख कारक रहा है। 2 जनवरी को छोड़कर एफपीआई जनवरी में हर दिन भारतीय इक्विटी बेच रहे हैं और 20 जनवरी तक करीब 51,000 करोड़ रुपये की बिक्री कर चुके हैं।
4. नाखुश करने वाले रहे तिमाही नतीजे
इन दिनों कंपनियां चालू वित्त वर्ष के लिए दिसंबर तिमाही के अपने नतीजे जारी कर रही हैं। ऐसे में जिन कंपनियों के नतीजे अब तक जारी किए गए हैं उनसे निवेशक बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं। कमजोर Q1 और Q2 आय के बाद दिसंबर तिमाही के नतीजे अब तक सप्राइजिंग नहीं रहे हैं। एनालिस्ट का कहना है कि इनकम के मोर्चे पर निराशा से बाजार सेंटिमेंट्स कमजोर बनी हुई है।
5. कमजोर मैक्रो पर चिंता
जहां भारतीय अर्थव्यवस्था बुनियादी तौर पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, वहीं कुछ तिमाहियों से कॉरपोरेट आय कमजोर रही है क्योंकि आर्थिक गतिविधि में नरमी आई है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी की फंड मैनेजर प्रियंका खंडेलवाल ने मिंट को बताया, 'मार्केट अर्निंग और फ्लो को ट्रैक करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोरी के संकेत दिखा रही है, जिसने बाजार में सतर्क भावना में योगदान दिया है। उन्होंने कहा, 'हमें देश में व्यापक आधार वाली मांग वृद्घि नहीं दिख रही है, जिससे निजी पूंजीगत व्यय चक्र में देरी हो रही है, जिसे हमें भारत में देखना चाहिए। सरकारी पूंजीगत व्यय भी धीमा हो गया है, और इससे गैर-कृषि रोजगार को नुकसान हो रहा है। इसलिए हमारी अर्थव्यवस्था में वृद्धि में तेजी लाने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप के बावजूद हम नरमी देख रहे हैं।
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