निफ्टी-500 के 80% से अधिक शेयरों में मंदी, 200-DMA से नीचे कर रहे ट्रेड
- स्टर्लिंग एंड विल्सन रिन्यूएबल, होनासा कंज्यूमर, व्हर्लपूल ऑफ इंडिया, अडानी ग्रीन एनर्जी और चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों के शेयर भी अपने 200-दिवसीय मूविंग एवरेज से 40% से 50% नीचे कारोबार कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिशुल्क (Reciprocal Tariff) की धमकी और विदेशी निवेशकों के लगातार फंड निकासी को लेकर चिंताओं के बीच मंगलवार को बेंचमार्क इंडेक्स में भारी गिरावट देखी गई। मार्केट में हुई इस बिकवाली के दौरान कई शेयरों ने अपने महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया। Nifty 500 इंडेक्स के लगभग 84% शेयर अपने 200-डे मूविंग एवरेज से नीचे आ गए हैं। वहीं ब्लूमबर्ग डेटा के अनुसार निफ्टी 50 अपने 200-डे मूविंग एवरेज (DMA) से 4% नीचे आ गया है।
क्या है 200-डे मूविंग एवरेज
शेयर बाजार में एक टेक्निकल इंडीकेटर है, जो किसी शेयर या इंडेक्स के पिछले 200 दिनों के औसत मूल्य (Closing Price) को दर्शाता है। यह एक लान्ग टर्म का मूविंग एवरेज है और इसे शेयर बाजार में ट्रेंड को समझने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अगर शेयर या इंडेक्स का मूल्य 200-DMA से ऊपर है, तो इसे एक बुलिश ट्रेंड माना जाता है। और अगर शेयर या इंडेक्स का मूल्य 200-DMA से नीचे है, तो इसे बेयरिश ट्रेंड यानी मंदी का रुझान माना जाता है।
दिग्गज कंपनियों के शेयर भी 40 से 50 पर्सेंट नीचे
ब्लूमबर्ग डेटा से यह भी पता चलता है कि स्टर्लिंग एंड विल्सन रिन्यूएबल, होनासा कंज्यूमर, व्हर्लपूल ऑफ इंडिया, अडानी ग्रीन एनर्जी और चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों के शेयर भी अपने 200-दिवसीय मूविंग एवरेज से 40% से 50% नीचे कारोबार कर रहे हैं। इन शेयरों में निफ्टी-500 इंडेक्स में सबसे बड़ा गैप देखा गया है।
हालांकि, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भारी गिरावट के बावजूद, इन श्रेणियों के शेयर अभी भी अपने ऐतिहासिक लेवल से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। ब्लूमबर्ग डेटा के अनुसार, निफ्टी मिडकैप इंडेक्स अपने एक साल के फॉरवर्ड ईयरिंग्स के 29 गुना पर कारोबार कर रहा है, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स का वैल्यूएशन 22 गुना है। इसकी तुलना में, दोनों इंडेक्स के पांच साल के औसत क्रमशः 26 गुना और 18 गुना थे।
मिडकैप-100 इंडेक्स में 16.4% की गिरावट
सितंबर 2024 से अब तक, निफ्टी मिडकैप-100 इंडेक्स में 16.4% की गिरावट आई है, जबकि स्मॉलकैप शेयरों का निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स दिसंबर के हाई से 18.2% नीचे आ गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि हाई मल्टीपल और रिच वैल्यूएशन वाली कंपनियों के शेयरों में करेक्शन के दौरान बिकवाली देखी जा रही है।
विदेशी निवेशक लगातार खींच रहे पैसा
पिछले साल अक्टूबर से विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। इसका मुख्य कारण अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और डॉलर का मजबूत होना है। पिछले साल सितंबर के अंत से अब तक उन्होंने बाजार से लगभग 22 अरब डॉलर की नेट निकासी की है, जबकि इस साल यह आंकड़ा 10 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया है।
एनएसई पर मंगलवार को सभी 15 सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए, जिसमें प्रॉपर्टी डेवलपर्स और मीडिया कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। निफ्टी-50 के रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक जैसे भारी-भरकम शेयरों ने इंडेक्स में गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान दिया। मंगलवार के कारोबार में चार शेयरों को छोड़कर सभी में गिरावट देखी गई।
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