महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सेट, इन दो फैक्टर पर रहेगा जोर, 24 अप्रैल को दूसरी बैठक
महागठबंधन सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है। जिसमें उम्मीदवारों की जीत की संभावना और साख को मापदंड बनाया गया है। 24 अप्रैल को दूसरी बैठक प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में होगी।

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है। जिसके लिए दो फैक्टर्स पर जोर रहेगा। जिसमें उम्मीदवारों की जीत की संभावना और साख को मापदंड बनाया गया है। जिस पर महागठबंधन के छह दलों की सहमति बनी है। सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन की दूसरी बैठक 24-25 अप्रैल को पटना में होगी। जिसका आयोजन प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में होगा। जिसमें औपचारिक रूप से सीट बंटवारे पर बातचीत शुरू हो सकती है। इससे पहले गुरूवार को हुई पहली बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव को गठबंधन की समन्वय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
तेजस्वी की अध्यक्षता में नए समन्वय पैनल द्वारा बैठक का दूसरा दौर आयोजित किया जाएगा। जिसमें हर गठबंधन सहयोगी दल से दो सदस्यों का प्रतिनिधित्व होगा। सीट बंटवारे की प्रक्रिया पर बातचीत इस बैठक से शुरू होगी, साथ ही चुनाव संबंधी अन्य मामलों पर भी चर्चा होगी। महागठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सीटों की ‘जीतने की क्षमता’ अन्य फैक्टरों के अलावा सीट बंटवारे का मुख्य मानदंड होगा।
सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन के सबसे वरिष्ठ सहयोगी होने के नाते आरजेडी कम से कम 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। 2020 के चुनावों में राजद ने करीब 145 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि कांग्रेस ने पिछले 2020 के चुनावों में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उसकी भी सीटों पर नजर है।
वामपंथी दलों में खासकर बिहार की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) 30 से अधिक सीटों पर नजर गड़ाए हुए है। और सीट सौदे में बड़ा हिस्सा चाहती है, जबकि सीपीआई और सीपीएम बिहार में पिछले कुछ चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर लगभग 10-12 सीटें पाने की इच्छुक हैं। सूत्रों ने बताया कि वीआईपी भी एक दर्जन से अधिक सीटें चाहती है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि सीटों के तालमेल और बंटवारे पर अंतिम फैसला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सहयोगियों के परामर्श से किया जाएगा। उन्होंने कहा, “बेशक सभी पार्टियां अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती हैं। एक समन्वय समिति बनाई गई है और सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाएंगे।
वहीं सीपीआई माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि सीट बंटवारे के मानदंड कई कारकों पर तय किए जा सकते हैं, लेकिन पिछले 2020 के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टियों के प्रदर्शन को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 2020 के चुनावों और 2024 के आम चुनावों में माले का प्रदर्शन शानदार रहा है। हमारा स्ट्राइक रेट हाई रहा है। इसलिए, हम अपने पिछले प्रदर्शन के मुताबिक अच्छी संख्या में सीटों पर नज़र गड़ाए हैं। माले ने 2020 के विधानसभा चुनावों में 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और 12 सीटें जीती थीं, जबकि 2024 के आम चुनावों में पार्टी ने 3 लोकसभा सीटों में दो सीटें जीती थीं।
हालांकि, महागठबंधन के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इस बार कांग्रेस, वाम दल, और राजद समेत सहयोगी दल वोट शेयर और उम्मीदवार की साख के आधार पर सीट बंटवारा चाहते हैं। ताकि सीटों की जीत की संभावना ज्यादा हो। नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ महागठबंधन नेता ने कहा, कि 2020 में राजद समेत कई जगहों पर हमारे गठबंधन सहयोगियों ने कुछ हज़ार वोटों के अंतर से 20 से ज़्यादा सीटें खो दी थीं। इसके अलावा, सहयोगियों के बीच समन्वय में भी कमियां थीं।
इस बार हम इन सभी खामियों को दूर करना चाहते हैं। गुरुवार को हुई महागठबंधन की बैठक में सभी सहयोगी दलों ने फैसला लिया कि आगामी चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान सभी छह दलों के नेताओं/कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने और चुनाव के दिनों में बेहतर बूथ प्रबंधन की सुविधा के लिए महागठबंधन पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर बैठकें करेगा।