पीएम मोदी साल में 300 दिन मखाना खाते हैं, बोले- इसे पूरी दुनिया के बाजारों में पहुंचाएंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भागलपुर में किसान रैली को संबोधित करते हुए कहा कि वह साल के 365 में से 300 दिन मखाना खाते हैं। आज शहरों के घरों में मखाना सुबह के नाश्ते का अहम हिस्सा बन गया है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल में 300 दिन मखाना खाते हैं। यह बात खुद पीएम ने सोमवार को बिहार के भागलपुर में आयोजित किसान जनसभा के दौरान कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि मखाना सुपरफूड है। अब इसे पूरी दुनिया के बाजारों में पहुंचाना है। बिहार सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है। इसलिए यहां मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा की गई है। इससे मखाना उत्पादक किसानों को वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग में बहुत मदद मिलेगी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार दोपहर को भागलपुर के हवाई अड्डा मैदान में किसान जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी की। डीबीटी के माध्यम से देशभर के 9 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खाते में 22 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि भेजी गई। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को गिनाया।
उन्होंने कहा कि बीते सालों में एनडीए सरकार के प्रयासों से भारत का कृषि निर्यात बहुत अधिक बढ़ा है। इससे किसानों को उनकी उपज की ज्यादा कीमत मिलने लगी है। कई कृषि उत्पाद ऐसे हैं, जिनका पहली बार निर्यात शुरू हुआ है। अब बिहार के मखाना की है। मखाना आज देश के शहरों में सुबह के नाश्ते का प्रमुख अंग हो चुका है।
पीएम ने कहा, "मैं भी साल के 365 में से 300 दिन मखाना जरूर खाता हूं। यह सुपरफूड है, जिसे दुनिया के बाजारों तक पहुंचाना है। इस साल के बजट में मखाना किसानों के लिए मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान किया गया। यह बोर्ड, मखाना उत्पादकों को उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जो किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त दी गई है, इसमें बिहार के भी 75 लाख से अधिक किसान परिवारों को लाभ मिला है। बिहार के किसानों के खाते में आज सीधे करीब 1600 करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं।
विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में किसानों को खाद के लिए लाठियां खानी पड़ती थीं। यूरिया की जमकर कालाबाजारी होती थी। मगर बीते 10 सालों में एनडीए शासनकाल के दौरान किसानों को पर्याप्त यूरिया और डीएपी मिल रहा है। केंद्र सरकार 3000 रुपये की खाद पर सब्सिडी देकर उसे 300 रुपये से कम में किसानों को उपलब्ध करा रही है।