ईंट-भट्ठा उद्यमियों को सब्सिडी पर कोयला और लोन की जरूरत
मोतिहारी में ईंट भट्ठा संचालक कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कोयले की कमी और महंगे दामों पर मिट्टी खरीदने के कारण ये व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं। अवैध भट्ठों के कारण लाइसेंसी संचालकों को नुकसान हो...
मोतिहारी। भट्ठा संचालक लोगों के आशियाने के सपने पूरे करते हैं, लेकिन हाल के दिनों में वे कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। ईंट उद्योग की सबसे पहली जरूरत मिट्टी और कोयले के लिए कारोबारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रुपये जमा करने के बाद भी उन्हें सब्सिडी पर कोयला नहीं मिल रहा है। सरकारी आवंटन नहीं मिलने से प्रति टन डेढ़ से दो हजार रुपये अधिक खर्च कर उन्हें कोयला मंगाना पड़ रहा है। महंगे दामों पर किसानों से खरीदनी पड़ती है मिट्टी : ईंट भट्ठा संघ के मोतिहारी जिलाध्यक्ष सत्यवीर प्रताप सिंह, सदस्य विजय कुमार सिंह, विजय कुमार यादव, अवधेश प्रसाद, नवल किशोर कुमार, संजय कुमार, सोनेलाल पंडित, पप्पू कुमार, मुकेश कुमार, नागेश कुमार मिश्रा, नवल किशोर प्रसाद यादव व जितेन्द्र सिंह आदि भट्ठा संचालकों का कहना है कि कोयले के आवंटन में सरकारी अनुदान का लाभ इन्हें नहीं मिलता है। ईंट भट्ठे के व्यवसाय में मिट्टी की समस्या बढ़ गई है। महंगे दामों पर किसानों से मिट्टी खरीदनी पड़ती है। कोयले के साथ इस पर भी अतिरिक्त व्यय करना पड़ रहा है। रही-सही कसर ओवरलोडिंग के नाम पर परिवहन विभाग के अफसर पूरी कर दे रहे हैं। डेढ़ से दो हजार ईंट लदे वाहनों से भी नजराना वसूल किया जा रहा है। ईंट भट्टा कारोबारियों का कहना है कि चौतरफा संकट के कारण अब इस व्यवसाय में लाभ नहीं रह गया है।
फ्लाई ऐश ईंट से लाल ईंट व्यवसाय हो रहा प्रभावित : कारोबारियों का कहना है कि हाल के वर्षों में सरकारी कार्यों में लाल ईंट की जगह फ्लाई ऐश ईंट का प्रयोग बढ़ने और मिट्टी, कोयले, मजदूर व पूंजी संकटों से जूझ रहे ईंट-भट्ठा उद्योग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मिट्टी खनन में पर्यावरणीय स्वीकृति तथा खनन के जटिल नियमों के चलते काफी परेशानी हो रही है। कम्पोजिशन टैक्स स्लेब 1 से बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है। माइनिंग टैक्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है। इसके अलावा आयकर टैक्स है। इससे भठ्ठा संचालकों पर टैक्स का भार काफी बढ़ गया है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। इनका कहना है कि लेबर से संबंधित मामलों में चिमनी मालिकों का शोषण हो रहा है।
सरकारी दर पर फिर से कोयला मिले : संजय कुमार, सोनेलाल पंडित, पप्पू कुमार, मुकेश कुमार, नागेश कुमार मिश्रा, नवल किशोर प्रसाद यादव व जितेन्द्र सिंह आदि भट्ठा संचालकों का कहना है कि सरकारी कार्य मे लाल ईंट का प्रयोग बंद कर दिया गया है, जबकि फ्लाई ऐश के मुकाबले लाल ईंट ज्यादा टिकाऊ व मजबूत होती है। इनका कहना है कि सरकारी दर पर फिर से कोयला मिलने लगे तो इस उद्योग में फिर से जान आ सकती है। कारोबारियों का कहना है कि प्रशासन अवैध रुप से चल रहे ईंट भट्ठों पर कड़ी कार्रवाई करने से बचती है। अवैध ईंट भट्ठों की वजह से सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है। इनके चलते लाइसेंसी ईंट भट्ठा संचालकों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। अवैध भठ्ठा संचालक टैक्स का भुगतान किए मोटी कमाई कर रहें हैं और लाइसेंसी ईंट भट्ठा संचालक कानून प्रक्रिया को पूरी करने तथा टैक्स भरते-भरते परेशान हैं। वरीय अधिकारी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।
सुझाव
1.ईंट-भट्ठा कारोबारियों को सरकारी बैंक से लोन की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। इससे उद्योग को चलाने में सहूलियत होगी।
2. ईंट भट्ठा संचालन के लिए सरकारी अनुदान पर कोयला मिले। ईंट-भट्ठा में प्रयोग होने वाले ट्रैक्टर, हाइवा, जेसीबी पर भी सरकारी अनुदान मिले।
3. सरकारी भवनों, सड़क की सोलिंग तथा पुल-पुलियों के निर्माण में लाल ईंट का प्रयोग करने की संवेदक को अनुमति मिले।
4. ईंट लदी गाड़ियों को ओवरलोडिंग के नाम पर परिवहन विभाग द्वारा परेशान किया जाना बंद हो। इससे कारोबार संचालन में परेशानी हो रही है।
5. अवैध रूप से संचालित ईंट-भट्ठों को बंद कराने की दिशा में प्रशासन कार्रवाई करे। इससे लाइसेंसी कारोबारियों को घाटा हो रहा है।
शिकायतें
1.ईंट लदी गाड़ियों को ओवरलोडिंग के नाम पर परिवहन विभाग द्वारा परेशान किया जाता है। जांच के नाम पर नजराना वसूला जाता है।
2. जिले में अवैध रूप से संचालित ईंट-भट्ठों को बंद कराने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं होती है। अवैध ईंट-भट्ठा संचालकों पर कठोर कार्रवाई हो।
3. खनन, परिवहन व वाणिज्य कर विभाग को एक चिमनी से करीब छह लाख का टैक्स मिलता है। बदले में हमें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती।
4. मौसम की बेरूखी से ईंट-भट्ठा कारोबारियों को कोई सरकारी अनुदान नहीं मिलता। इन्श्योरेंस का भी लाभ नहीं मिलता है।
5. करोड़ों का व्यवसाय व सैकड़ों को रोजगार देने के बावजूद ईंट-भट्ठा उद्योग के नाम पर बैंक लोन की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
ईंट-भट्ठा हजारों परिवारों के जीविकोपार्जन का है साधन
ईंट-भट्ठा संघ के मोतिहारी जिलाध्यक्ष सत्यवीर प्रताप सिंह कहते हैं कि ईंट उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है जो ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराता है। मोतिहारी जिले में 354 ईंट भट्ठा उद्योग संचालित है। मजदूर से लेकर मुंशी-मैनेजर तक एक ईंट उद्योग में करीब 300 लोग काम करते हैं। इस तरह जिले के करीब एक लाख परिवारों का जीविकोपार्जन ईंट भट्ठा उद्योग के माध्यम से होता है। पर, सरकारी स्तर पर इस उद्योग को संरक्षण देने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। सरकार को उदार भाव से इस उद्योग को बचाने के लिए आगे बढ़कर प्रयास करना चाहिए।
बैंक आसानी से नहीं देता लोन, लेना पड़ता है कर्ज
ईंट भट्ठा संघ के मोतिहारी जिलाध्यक्ष सत्यवीर प्रताप सिंह, सदस्य विजय कुमार सिंह, विजय कुमार यादव, अवधेश प्रसाद, नवल किशोर कुमार, संजय कुमार, सोनेलाल पंडित, पप्पू कुमार, मुकेश कुमार, नागेश कुमार मिश्रा, नवल किशोर प्रसाद यादव व जितेन्द्र सिंह ने बताया कि भट्ठा के संचालन में लगभग दो करोड़ रुपए की लागत आती है। बैंकों द्वारा लोन नहीं दिए जाने के कारण स्थानीय साहूकारों से मोटे ब्याज पर रुपए लेकर हमलोग कारोबार करते हैं। मौसम की जरा सी बेरुखी कच्चे ईंट को बर्बाद कर देती है, जिससे संचालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
जिगजैग प्रणाली से रुक रहा प्रदूषण, धुआं होता है फिल्टर
प्रदूषण की रोकथाम के लिए भट्ठा संचालकों को हाइड्रा तकनीक अपनानी पड़ रही है। इसमें पंखे लगाकर जिगजैग प्रणाली से प्रदूषण की रोकथाम की जा रही है। ईंट भट्टों में ईंट पकने वाली जगह को तोड़कर पानी का चैंबर बनता है। इसके बाद ईंटों की जेड टाइप से भराई की जाएगी। इससे धुआं घूमकर फिल्टर होता है। इसके लिए ईंट भट्टों में पंखों की व्यवस्था होती है। जो सारे धुएं को पानी से फिल्टर कर निकालते हैं। इससे ज्यादा काला, ज्यादा विषैला एवं मिट्टी के कणों वाला धुआं सफेद और फिल्टर होकर बाहर निकलता है। इस तकनीक को अपनाने में 20-30 लाख रुपए का खर्चा होता है। जिले के सभी लाइसेंस प्राप्त चिमनी जिगजैग प्रणाली के तहत संचालित हो रहे हैं। कोरोनाकाल के बाद जिगजैग चिमनी बनाने के बाद आर्थिक दबाव झेल रहे व्यवसायियों को व्यवसाय को बचाने के लिये बैंक लोन व इंश्योरेंस सुविधा की दरकार है। पर, बैंक चिमनी उद्योग के नाम पर लोन देने से कतराते हैं। कुछ ईंट भट्ठा संचालकों का बैंक लोन की सुविधा तो मिली है, परंतु वह ईंट भट्ठा के नाम पर नहीं है।
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