कहता रह गया मैं उनका लड़का हूं... जगलाल जयंती पर बेटे भूदेव चौधरी को ही राहुल के मंच पर जगह नहीं
जिन जगलाल चौधरी जयंती के समारोह में राहुल गांधी शामिल हुए, उसी समारोह में उनके बेटे भूदेव चौधरी को मंच पर जगह नहीं मिली। जिसके बाद जगलाल के बेटे ने कहा कि हमारे पिता की जयंती मनाई जा रही थी। जिसमें हम लोग शिरकत नहीं कर पाए। इसका दुख हमेशा रहेगा।

स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में शामिल होने के लिए बुधवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पटना पहुंचे। इस दौरान उन्होने पूरे देश में जातीय गणना की बात कही। बीजेपी और संघ पर निशाना साधा। लेकिन जिन जगलाल चौधरी जयंती के समारोह में राहुल गांधी शामिल हुए, उसी समारोह में उनके बेटे भूदेव चौधरी को मंच पर जगह नहीं दी गई। जिससे भूदेव काफी आहत है। अपने पिता की जयंती में भूदेव मंच के पास बैठना चाहते थे, लेकिन उन्हें कुर्सी तक नसीब नहीं हुई।
मीडिया से बातचीत के दौरान जगलाल चौधरी के बेटे भूदेव ने बताया कि हमने मंच तक पहुंचने की कोशिश की थी। वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों से कहा कि हम बुजुर्ग हैं, बीमार हैं, जगलाल के लड़के हैं। हमको मंच के पास एक चेयर का इंतजाम कर दिया जाए। लेकिन उन्होने कहा कोई रास्ता नहीं है, यही एक रास्ता है, जिससे आप मंच पर जा सकते हैं। फिर हमको मंच तक नहीं जाने दिया गया। दुख तो बहुत है, क्योंकि हमारे पिता की जयंती मनाई जा रही थी। जिसमें हम लोग शिरकत नहीं कर पाए। इसका दुख हमेशा रहेगा। वहीं अब बताया जा रहा है कि मामले सामने आने के बाद बिहार कांग्रेस ने संज्ञान लेते हुए भूदेव चौधरी को सम्मानित करने की बात कही है।
इससे पहले राहुल गांधी ने जगलाल चौधरा का नाम लेने में ही गलती कर दी थी। उन्हें जगतलाल कहकर संबोधित किया था, हालांकि ठोंकने के बाद राहुल ने माफी भी माांगी थी। राहुल गांधी ने संबोधन में कहा कि हम देश में जातीय जनगणना कराएंगे। यह जनगणना बिहार की तरह नहीं बल्कि तेलंगाना की तरह होगी। जनगणना कराने का मतलब केवल लोगों की संख्या जानना नहीं बल्कि उनको सक्रिय भागीदारी दिलानी है। नौकरशाह, शैक्षिक संस्थाएं, न्यायपालिका और मीडिया में दलित, पिछड़े और आदिवासी की भागीदारी न के बराबर है।