बिहार में पुलों का बनेगा हेल्थ कार्ड, इंजीनियरों के तय होंगे टास्क, बोले डिप्टी CM विजय सिन्हा
बिहार में पुलों का अब हेल्थ कार्ड बनेगा। पुलों के वास्तविक स्थिति का आकलन आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस, मशीन लर्निंग, सेंसर डाटा रिर्पोट जैसे नये तकनीकों के माध्यम से किया जाएगा। साथ ही इंजीनियरों को टास्क भी दिया जाएगा।
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बिहार में पुलों का हेल्थ कार्ड बनेगा। साथ ही इंजीनियरों के टास्क और दायित्व निर्धारित किए जाएंगे। इसकी जानकारी डिप्टी सीएम सह पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने दी। उन्होने बताया कि अभी विभाग के अन्तर्गत कोई पुल संधारण नीति नहीं है, और न ही अभियंताओं को कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व स्पष्ट रूप से निर्धारित है। इस संबंध में शीघ्र ही एक पुल संधारण नीति तैयार की जाएगी। स्वतंत्र एजेंसी से पुलों का ऑडिट कराया जाएगा। साथ ही अभियंताओं के कर्तव्य एवं दायित्व भी निर्धारित किये जाएंगे। पुलों का हेल्थ कार्ड भी तैयार किया जाएगा।
पुल संधारण नीति एवं अभियंताओं के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व निर्धारण पर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग की ओर से इस बाबत विस्तृत जानकारी दी गई है। पुल संरचना के संपूर्ण जीवनकाल के दौरान दो चरणों में इनके प्रबंधन और संधारण पर विचार किया जा रहा है। पुलों को चार भागों में बांटा गया है। पहले भाग में 1000 मीटर से लम्बे पुल, दूसरे भाग में 250-1000 मीटर से लम्बे पुल तीसरे भाग में 60-250 मीटर से एवं चौथें भाग में 60 मीटर से छोटे पुलों को रखा गया है।
पुलों के प्रबंधन हेतु पुलों के वास्तविक स्थिति का आकलन आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस, मशीन लर्निंग, सेंसर डाटा रिर्पोट जैसे नये तकनीकों के माध्यम से किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री ने बताया कि परियोजनाओं को तय सीमा के अन्तर्गत पूर्ण करने के लिए अभियंताओं के कर्तव्य एवं दायित्वों का निर्धारण भी किया जा रहा है। परियोजनाओं में विलम्ब के कारण समय वृद्धि एवं लागत मूल्य में वृद्धि भी होती है, इसे गंभीरता से लेते हुए जिम्मेदारी निर्धारित करने का कार्य भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष राज्य के कई जिलों में बाढ़ के समय वर्षों पूर्व निर्मित कई छोटे पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं, इसे देखते हुए पुल संधारण नीति लागू किया जाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।