Hindi Newsबिहार न्यूज़Bihar NDA seat sharing a tight rope walk for BJP as Nitish JDU eying 122 seats considering Eknath Shinde episode

एकनाथ शिंदे इफेक्ट! नीतीश की जेडीयू का 122 सीट पर निशाना, भाजपा से कैसे बनेगी बात?

महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे का हश्र देखकर अलर्ट जेडीयू 122 सीट के लिए दबाव बना रही है। 2020 में भी नीतीश की पार्टी को 122 सीट मिली थी जिसमें 115 पर जेडीयू और 7 पर जीतनराम मांझी की हम लड़ी थी।

Jayesh Jetawat अनिर्बन गुहा रॉय, एचटी, पटनाThu, 23 Jan 2025 09:13 PM
share Share
Follow Us on
एकनाथ शिंदे इफेक्ट! नीतीश की जेडीयू का 122 सीट पर निशाना, भाजपा से कैसे बनेगी बात?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर घमासान के आसार बन रहे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ जो हुआ, उसे देखकर सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अलर्ट है। सबसे बड़ा संकट बिहार में सरकार चला रही जेडीयू और केंद्र में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच 100-100 सीट लड़ने पर अब तक कायम असहमति है। सूत्रों के अनुसार जेडीयू 243 में 122 सीटों पर लड़ना चाहती है ताकि चुनाव में स्ट्राइक रेट से बेअसर उसकी सीटें ठीक रहे। 2020 के चुनाव में जदयू और भाजपा के बीच 122-121 सीट पर समझौता हुआ था। इसमें जेडीयू ने 122 से जीतनराम मांझी की हम को 7 सीट दी और खुद 115 पर लड़ी। भाजपा ने अपने 121 से मुकेश सहनी की वीआईपी को 11 सीट दी और 110 सीट लड़ी।

जेडीयू चाहती है कि भाजपा और उसकी सीटों के बीच 'बड़ा भाई' बताने वाला स्पष्ट फासला रहे। लेकिन जेडीयू की चाह पूरी करना भाजपा के लिए संभव नहीं है। 121 सीट में भाजपा चिराग पासवान की लोजपा-आर, जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को कितनी सीट देगी और खुद कितना लड़ेगी। बिहार एनडीए में जदयू और भाजपा के अलावा चिराग पासवान की लोजपा-रामविलास (एलजेपी-आर), जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) शामिल है।

चिराग की 40-45 सीटों पर नजर है। मांझी तो 20-25 सीट खोलकर मांग चुके हैं।कुशवाहा भी 10-12 सीटें मांग रहे हैं। जेडीयू की मांग मानने का मतलब है कि भाजपा के पास लड़ने के लिए 50-60 ही बचेगी। राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का नेतृत्व कर रही भाजपा के लिए बिहार का सीट शेयरिंग फॉर्मूला चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है।

ये भी पढ़ें:पशुपति पारस का छलका दर्द, बोले- दलित की पार्टी समझकर एनडीए ने टिकट काट दिए थे

चुनाव का समय नजदीक आ रहा तो राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ रही है। एनडीए के नेता मिलकर राज्य का दौरा कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही गठबंधन के अंदर सीटों के लिए दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। सभी घटक दलों ज्यादा से ज्यादा सीट पाने के लिए ताकत दिखाने और मीठी धमकी देने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार जदयू स्ट्राइक रेट बढ़ाने के लिए 122 सीट के साथ-साथ जीत की संभावना वाली पसंदीदा सीटें भी मांग रही है।

एनडीए के एक नेता ने बताया कि एनडीए में सीट शेयरिंग पर गतिरोध है क्योंकि जेडीयू की 122 सीटों की मांग को भाजपा स्वीकार नहीं सकती। चिराग पासवान, जीतनराम मांझी जैसे नेता कम सीट लेने के मूड में नहीं नजर आ रहे हैं। एनडीए नेता ने दावा किया कि बिना किसी के पीछे हटे सीट बंटवारा आसान नहीं होगा। जेडीयू की रणनीति अब ये है कि उसके पास लड़ने और जीतने के लिए इतनी सीटें रहे कि नीतीश को जेडीयू के भविष्य की राजनीति के लिए कोई फैसला लेने में परेशानी ना हो।

2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू के खाते में 122 और भाजपा के खाते में 121 सीटें आई थीं। नीतीश की पार्टी ने अपने कोटे से 7 सीटें मांझी को दी थी। भाजपा ने अपने हिस्से की 11 सीटें मुकेश सहनी को दी थी। एनडीए ने 243 में से 125 सीटें जीतकर बहुमत तो हासिल किया था लेकिन जदयू का स्ट्राइक रेट भाजपा के मुकाबले बहुत कम रहा। जदयू 115 में 43 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई, जबकि भाजपा ने 110 में 74 सीटों पर जीत हासिल की थी। चुनाव पूर्व घोषणा के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने।

मणिपुर में हलचल का बिहार तक असर

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में नीतीश कुमार की जदयू के प्रदेश अध्यक्ष के. बीरेन सिंह ने राज्यपाल को एक पत्र भेजकर वहां की भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही। इसके बाद बिहार से दिल्ली तक हलचल बढ़ गई। पत्र में जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि मणिपुर में पार्टी के एकमात्र विधायक अब्दुल नासिर को विपक्षी एमएलए समझा जाए। जेडीयू ने कुछ देर में प्रदेश अध्यक्ष को पद से हटा दिया। पार्टी ने कहा कि नेतृत्व से बिना पूछे ऐसा किया गया था। जदयू ने मणिपुर में भाजपा सरकार को समर्थन जारी रखने की बात कही। इस प्रकरण ने एनडीए के नेताओं को भी चौंकाया है और अटकलें लग रही हैं कि कहीं मणिपुर जदयू अध्यक्ष का ऐसा करना भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है।

एनडीए के एक नेता ने कहा कि जदयू खुद को हाशिए पर जाने से बचाने के लिए अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है। एक दूसरे नेता ने कहा कि जदयू को डर है कि उसे भाजपा के पीछे रहना पड़ सकता है, जैसा महाराष्ट्र चुनाव में एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना के साथ हुआ। यही कारण है कि बिहार चुनाव में नीतीश की पार्टी भाजपा से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।

जीतनराम मांझी और चिराग पासवान भी दिखा रहे तेवर

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने हाल ही में भाजपा द्वारा झारखंड और दिल्ली के चुनाव में हम की अनदेखी पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कैबिनेट छोड़ने की धमकी तक दे दी। हालांकि, बाद में वो बयान से पलट गए और कहा कि वो मरते दम तक नरेंद्र मोदी के साथ रहेंगे। मांझी के इस तेवर को भी सीट शेयरिंग की सौदेबाजी के तौर पर देखा जा रहा है। उन्हें मालूम है कि उन्हें 15 से कम सीटों पर ही समझौता करने कहा जा सकता है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी आक्रामक हैं। हाल ही में BPSC परीक्षा के खिलाफ चल रहे आंदोलन के मुद्दों का उन्होंने समर्थन किया था। चिराग के स्टैंड को भी दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

किस पार्टी को कितनी सीटें देने के मूड में बीजेपी?

एनडीए के सूत्रों की मानें तो भाजपा चिराग की लोजपा-आर को 20 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को 5 से 6 सीटें देने के मूड में है। मांझी की पार्टी को भी 10-15 के बीच सीटें दी जा सकती हैं। भाजपा चाहती है कि जदयू और भाजपा बराबर सीटों पर चुनाव लड़े। सांकेतिक रूप से किसी को बड़ा-छोटा दिखाना हो तो एक सीट कम-ज्यादा से काम चल जाएगा। वैसे आधिकारिक तौर पर भाजपा और जदयू के नेता दावा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा सभी दलों के बीच सौहार्दपूर्ण तरीके से हो जाएगा।

बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने हाल ही में कहा था कि सीट शेयरिंग का एक फार्मूला तैयार किया गया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दानिश इकबाल ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर घटक दलों के बीच कोई विवाद नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा उचित समय पर फॉर्मूला तय कर लिया जाएगा। जदयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि पार्टी नेतृत्व और सहयोगी दलों के आला नेताओं की बैठकर बातचीत होगी। फिर सीट शेयरिंग पर फैसला होगा। एनडीए में सीट बंटवारे पर कोई विवाद नहीं है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें